
स्मरण हो, भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने स्वतन्त्रता दिवस में अवसर पर लाल किले की प्राचीर से भारत में पाकिस्तान समर्थकों द्वारा अनुच्छेद 370 के पक्षकारों से स्पष्ट प्रश्न किया था कि "यदि यह अनुच्छेद देश और जम्मू-कश्मीर के हित में था तो 70 वर्षों तक इसे अस्थाई क्यों रखा था, क्यों नहीं इसे स्थाई किया गया?" जो स्पष्ट करता है कि यह भारत का अंदरूनी मामला है, जिसे भारत में तुष्टिकरण के पुजारी अपने वोट-भगवान समझ पूज रहे थे, और पाकिस्तान भारत की इस कमजोरी का भरपूर लाभ उठा रहा था।
वैसे पाकिस्तान अपनी आदत के अनुरूप झूठ बोलता रहा है, और वैसा ही अब भी झूठ पर झूठ बोल रहा है। पाकिस्तान में सरकारें आएंगी जाएंगी लेकिन झूठ बोलना वहीं का वहीं रहेगा।
एक तरफ पाकिस्तान भारत पर दबाव बनाने के लिए विश्व में भटकता फिर रहा है, वहीं दूसरी तरफ भारत को आतंकवाद, जिहाद और युद्ध की धमकी भी दे रहा है। यह क्या दोगली चाल चल रहा है, पाकिस्तान? क्या विश्व पाकिस्तान की इस दोगली चाल को अनदेखा कर रहा है?

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि खान ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सुरक्षा परिषद की बैठक के संबंध में अमेरिकी राष्ट्रपति को भरोसे में लिया है। रेडियो पाकिस्तान ने कुरैशी के हवाले से कहा कि प्रधानमंत्री खान ने कश्मीर के ताजा घटनाक्रम और क्षेत्रीय शांति पर इसके खतरे के संबंध में पाकिस्तान की चिंता से अवगत करा दिया है। विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच दोस्ताना माहौल में बातचीत हुई। दोनों ने कश्मीर मुद्दे पर संपर्क में रहने पर भी सहमति जताई है।
इसके अलावा दोनों के बीच अफगानिस्तान में स्थिति पर भी चर्चा हुई। प्रधानमंत्री खान ने कहा कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में शांति लाने के लिए रचनात्मक भूमिका निभा रहा है और इसने पूर्व में प्रयास किए हैं और भविष्य में भी वह ऐसा ही करेगा। कुरैशी ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से चार से संपर्क किया और फ्रांस के राष्ट्रपति से भी संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि उनका देश हमारी स्थिति को समझ सके।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लिए जाने के भारत के फैसले पर चर्चा करने के लिए अगस्त 16 को बंद कमरे में असाधारण बैठक की। पाकिस्तान के करीबी सहयोगी चीन ने इस मुद्दे पर परिषद में ‘बंद कमरे में विचार-विमर्श’ करने का आग्रह किया था। इस बैठक में पांच स्थायी सदस्य और केवल 10 अस्थायी सदस्य ही शामिल हो सकते थे। भारत ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लेने के लिए संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को पांच अगस्त को निरस्त कर दिया था और साथ ही राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प : पाकिस्तान भारत के साथ तनाव को द्विपक्षीय तरीके से सुलझाया जाए
सूत्रों के अनुसार, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ शुक्रवार(अगस्त 16) को फोन पर हुई बातचीत में कश्मीर मामले पर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता के जरिए तनाव कम किए जाने की महत्ता पर बल दिया। जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा हटाने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के भारत के फैसले को लेकर न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बंद कमरे में हुई बैठक से पहले ट्रम्प और इमरान ने फोन पर बातचीत की। बैठक के बाद व्हाइट हाउस के उप प्रेस सचिव होगान गिडले ने एक बयान में कहा,‘राष्ट्रपति ने जम्मू-कश्मीर में हालात के संबंध में भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता के जरिए तनाव कम करने की महत्ता बताई ।'
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