कश्मीर मुद्दे पर मुस्लिम देशों सहित विश्व ने पाकिस्तान से किया किनारा

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और उनके सलाहकार शायद भूल रहे हैं, कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त करने का मुद्दा भाजपा के एजेंडा में तत्कालीन भारतीय जनसंघ के समय रहा है। और इसी कारण संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुख़र्जी की शेख अब्दुल्ला के कार्यकाल में रहस्यमयी परिस्थितियों में जेल में ही मृत्यु भी हो गयी थी। फिर इस अनुच्छेद पाकिस्तान और भारत में कांग्रेस एक ही बोली बोल रहे हैं। जबकि मुद्दे पर कांग्रेस में ही विभाजन है, क्योकि कांग्रेस में इस मुद्दे पर वर्तमान मोदी सरकार के पक्षकार बन रहे हैं, प्रमाणित करता है कि यह विघटनकारी अनुच्छेद देश के लिए घातक है, बस अवसर देख रहे थे कि "बिल्ली के गले में घण्टी कौन बांधे?" और अगस्त 5 को आए मौका को किसी ने नहीं गंवाया। 
दूसरे, जहाँ तक पाकिस्तान की बात है, 1947 में पाकिस्तान बनने से आज तक पाकिस्तानी फौज केवल कश्मीर को लेकर हर सरकार को मूर्ख बनाती रही है और सरकारें भी आज तक फौज के इशारे पर नाचती रहती हैं, जिस कारण कोई भी सरकार पाकिस्तान आत्मनिर्भर नहीं बना सकी, फिर जो भी फौज के विरुद्ध बोला, फौज तुरन्त पख्ता पलट देती है। जब जनता के सहयोग से चुनी सरकार अपने आपसे कोई काम नहीं सकती, सरकार फौज ने चलानी है, फिर वोट क्यों देते हैं? 
आखिर किस आधार पर पाकिस्तान भारत के अंदरूनी मामलों में दखल देता है? सिंध, बलूच और हथियाये कश्मीर के हिस्से (PoK) का क्या हाल कर रखा है? पाकिस्तान फौज और हुक्मरान शायद यह भूल रहे हैं कि यदि अब कश्मीर में किसी भी तरह विघटनकारी चाल चली, कहीं ऐसा न हो, PoK के साथ पाकिस्तान के कुछ और क्षेत्र भी भारत में सम्मिलित हो सकते हैं। गृह मंत्री अमित शाह पहले ही लोकसभा में स्पष्ट कर चुके हैं कि "कश्मीर से मतलब पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भी शामिल है।" फिर भी पाकिस्तान सरकार अगर अपनी फौज के चुंगल से बाहर देश के बारे में सोंचना नहीं चाहती, पाकिस्तान की जनता कभी माफ़ नहीं करेगी। 
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान बौखला गया है। वह भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करने में जुट गया है। अपने संसद के संयुक्त सत्र में वह जाहिर कर चुका है कि वह इस मसले को सभी देशों और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाएगा। दुनिया उसकी बातों एवं दावों को कितनी गंभीरता से लेगी यह अलग बात है लेकिन अनुच्छेद 370 के बाद की घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय स्थितियों को संभालना भारत सरकार के लिए एक चुनौती है। भारत के लिए राहत की बात है कि अभी तक किसी भी देश ने अनुच्छेद 370 हटाए जाने का विरोध नहीं किया है। पाकिस्तान के 'सदाबहार मित्र' चीन ने अपना पुराना रुख दोहराया है।   
पाकिस्तान को सऊदी अरब और खाड़ी देशों से उम्मीद थी कि कश्मीर मसले पर वे उसका साथ देंगे लेकिन अभी तक उसे किसी भी देश का साथ नहीं मिला है। अमेरिका के विदेश विभाग ने पाकिस्तान को दिलासा देते हुए यह कहा है कि वह 'स्थिति' पर नजर बनाए हुए है। गौर करने वाली बात यह है कि दुनिया इस बार भी पाकिस्तान का साथ देती नजर नहीं आ रही है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह चुप होकर बैठने वाला है। वह कश्मीर में अपना वजूद दिखाने और दुनिया की नजरों में इस मुद्दे को लाने के लिए वह जरूर कोई न कोई हरकत करेगा। पाकिस्तान सेना पहले ही कह चुकी है वह कश्मीर के लिए किसी हद तक जाएगी और इमरान खान ने पुलवामा जैसे हमले की धमकी दी है। पाकिस्तान के दुस्साहस का सामना करने के लिए भारत सरकार को अपनी तैयारी पुख्ता रखनी होगी। 
अलगाववादी भावनाओं को भड़का सकता है पाक
जाहिर है कि पाकिस्तान चुप होकर बैठने वाला नहीं है। वह कश्मीरी लोगों को गुमराह करने और हिंसक रास्ता अपनाने के लिए हर हथकंडा अपनाएगा। वह कश्मीर में जेहादी तत्वों और पत्थरबाजों को सक्रिय करना चाहेगा। 370 हटने के बाद कश्मीर लोगों के साथ अपनी एकजुटता दिखाने के लिए इमरान सरकार इस समय गंभीर दबाव का सामना कर रही है। कश्मीर मसले के जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान इस बार यदि चुप रह गया तो उसके हाथ से कश्मीर निकल सकता है, ऐसा वह कभी नहीं चाहेगा। उसकी पूरी कोशिश होगी कि कश्मीर का स्थानीय नेतृत्व अलगाववादियों और आतंकवादियों के हाथों में आ जाए। नई दिल्ली को बैकफुट पर लाने के लिए उसकी कोशिश घाटी में हिंसा एवं आतंकवादी घटनाओं को बढ़ाने की होगी। भारत सरकार को जमीनी स्तर पर अपनी तैयारी पुख्ता रखनी होगी।

पाकिस्तान को 370 हटाने की भनक तक नहीं लगी
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें इस बात का अंदेशा शुरू से था कि भारत कश्मीर में इस तरह का कोई कदम उठा सकता है। इस बात की कोई कल्पना नहीं कर सकता है कि भारत कश्मीर में इतना बड़ा कदम उठाने जा रहा हो और पाकिस्तान में कोई सुगबुगाहट न हो। इमरान खान झूठ बोल रहे हैं कि उन्हें 370 हटाए जाने का अंदेशा था। यह बात अगर उन्हें पता होती या इसके बारे में पाकिस्तानी फौज को जरा भी जानकारी होती तो वे घाटी का माहौल पहले ही खराब कर चुके होते। यह पाकिस्तान की विदेश नीति, उसकी कूटनीति एवं खुफिया एजेंसियों की पूरी तरह नाकामी है। वहीं, भारत सरकार ने कश्मीर पर जो इरादा किया था उस पर वह दृड़ता के साथ आगे बढ़ गई। अब पाकिस्तान की हालत 'खिसियाई बिल्ली खंभा नोचे' वाली हो गई है। वह जोर-जोर से चिल्ला रही है कि ऐसा हो गया, वैसा हो गया लेकिन उसकी बात कोई नहीं सुन रहा है। 

अमेरिका ने पाकिस्तान को दिया है दिलासा 
पाकिस्तान को उम्मीद थी कि उसे कश्मीर पर चीन और बदली हुई परिस्थितियों में अमेरिका का साथ मिलेगा लेकिन दोनों में से कोई भी देश उसके साथ नजर नहीं आया है। अमेरिका ने माना है कि यह भारत का आंतरिक मसला है और वह स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए है। अमेरिका का यह बयान सामान्य है। इसमें पाकिस्तान के लिए कुछ भी नहीं है। उसने इस्लामाबाद को मात्र दिलासा भर दिया है। पाकिस्तान अमेरिका से इससे ज्यादा की उम्मीद कर रहा था। इमरान सरकार की यह उम्मीद इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि वह अफगानिस्तान से निकलने और तालिबान के साथ शांति वार्ता में इस समय मदद कर रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने हालांकि कहा है कि कश्मीर मसले का असर अफगानिस्तान पर भी होगा। उन्होंने एक तरीके से अमेरिका को धमकाने की कोशिश की है कि अगर आपने हमारी मदद नहीं की तो इसका असर अफगानिस्तान में हो सकता है।  

सऊद अरब और यूएई ने भी नहीं दिया साथ
भारती की कूटनीति के समक्ष पाकिस्तान एक बार फिर अलग-थलग पड़ गया है। यहां तक कि मुस्लिम देशों का भी उसे साथ मिलता नहीं दिख रहा है। पाकिस्तान को सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और मलेशिया से बहुत उम्मीद थी लेकिन इनमें से कोई भी देश उसके साथ खड़ा होता नजर नहीं आया है। सऊदी अरब से पाकिस्तान को बहुत उम्मीदें थीं लेकिन वहां से अब तक कोई बयान जारी नहीं हुआ है। यूएई ने तो उसे झटका दे दिया है। यूएई ने कश्मीर को भारत का आंतरिक मसला बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया है। मलेशिया का जवाब भी टालमटोल करने वाला है। चीन ने भी कोई बड़ी प्रतिक्रिया नहीं दी है। कुछ मीडिया रिपोर्टों में यह बात सामने आई है कि सीपेक पर इस समय काम ठप पड़ा है जिसे लेकर चीन पाकिस्तान से नाराज चल रहा है। 

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जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) से धारा 370 और 35ए हटाए जाने से परेशान पाकिस्‍तान ने एक और कदम उठाते हुए समझौता एक्‍सप्रेस सेवा को .....

पाकिस्तान कश्मीर मसले संयुक्त राष्ट्र में उठाने की सोच रहा है। संयुक्त राष्ट्र में अगर यह मामला आता भी है तो यहां सुनवाई की प्रक्रिया लंबी हो सकती है। पाकिस्तान कश्मीर में भारत को बढ़त लेने से रोकने के लिए फौरी तौर पर कोई कदम उठाने के बारे में सोच सकता है लेकिन किसी तरह की सैन्य कार्रवाई या भारत के साथ सीधे टकराव उसके खिलाफ जाएगा। आर्थिक तंगी में फंसे और कूटनीतिक रूप से कमजोर पाकिस्तान यदि कोई दुस्साहसी कदम उठाएगा तो भारत से माकूल जवाब मिलेगा क्योंकि भारत ने रातोंरात अनुच्छेद 370 खत्म करने का फैसला नहीं किया है। इसके पीछे लंबी तैयारी रही है। 370 खत्म होने के बाद घरेलू और वैश्विक मोर्चे पर उत्पन्न होने वाली स्थितियों से निपटने के लिए भारत ने पुख्ता तैयारी की है। 

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