
कौन हैं अजीत डोभाल
अजीत डोभाल केरल कैडर के एक आईपीएस अधिकारी हैं। सेवानिवृत्त होने के बाद वो देश के पांचवें सुरक्षा सलाहकार बने। डोभल का जन्म 20 जनवरी 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के गिरि बानसेल्युन गाँव में हुआ था। उनके पिता इंडियन आर्मी में थे।
उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान के अजमेर में अजमेर सैन्य स्कूल में की। उन्होंने 1967 में आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री ली। स्नातक के बाद उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा की तैयारी शुरू कर दी थी। डोभाल केरल कैडर में 1968 में आईपीएस में शामिल हुए।
अजीत डोभाल ने ज्यादातर समय खुफिया विभाग में ही काम किया। कहा जाता है कि वह सात साल तक पाकिस्तान में खुफिया जासूस रहे।

साल 1989 में अजीत डोभाल ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से चरमपंथियों को निकालने के लिए 'ऑपरेशन ब्लैक थंडर' का नेतृत्व किया था। उन्होंने पंजाब पुलिस और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के साथ मिलकर खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों के दल के साथ मुख्य भूमिका निभाई थी।
जम्मू-कश्मीर में घुसपैठियों और शांति के पक्षधर लोगों के बीच काम करते हुए डोभाल ने कई आतंकियों को सरेंडर कराया था।
अजीत डोभाल 33 साल तक नार्थ-ईस्ट, जम्मू-कश्मीर और पंजाब में खुफिया जासूस रहे हैं, जहां उन्होंने कई अहम ऑपरेशन में हिस्सा लिया है। 30 मई, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजीत डोभाल को देश के 5वें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया।
ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान उन्होंने एक जासूस की भूमिका निभाई और भारतीय सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई, जिसकी मदद से सैन्य ऑपरेशन सफल हो सका।
पाकिस्तान में 7 साल तक रह चुके हैं डोभाल
एनएसए अजीत डोभाल 7 सालों तक खुफिया तरीके से पाकिस्तान में जासूस के तौर पर रह चुके हैं। इसका एक किस्सा काफी फेमस हुआ था- लाहौर में एक मजार के पास एक मुसलमान ने अजीत डोभाल को पहचान लिया था कि वो पाकिस्तानी या एक तरह से कहें तो मुसलमान हैं ही नहीं। उस मुसलमान ने उनसे पूछा कि क्या तुम हिंदू हो? तो डोभाल चौंक गए और उन्होंने जवाब दिया- नहीं। फिर वो उन्हें अपने साथ लेकर गया और एक छोटे कमरे में दोनों गए, उसने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और एक बार फिर उसने कहा कि देखो मैं कह रहा हूं तुम हिंदू हो। डोभाल ने फिर से ना मे जवाब दिया। तो उस मुसलमान ने अजीत से कहा कि तुम्हारे कान छिदे हुए हैं।
डोभाल ने बात बनाते हुए कहा कि हां बचपन में मेरे कान छेदे गए थे लेकिन मैं बाद में कनवर्ट हो गया था। उसने कहा तुम बाद में भी कनवर्ट नहीं हुए थे। खैर तुम इसकी प्लास्टिक सर्जरी करवा लो नहीं तो यहां लोगों को शक हो जाएगा।
इसके बाद उस मुसलमान ने कहा कि वो भी एक हिंदू है। फिर उसने अपनी आलमारी में शिव और दुर्गा जी की तस्वीरें उन्हें दिखाई। डोभाल ने विदर्भ मैनेजमेंट एसोसिएशन के समारोह में भाषण देते हुए एक कहानी सुनाई थी।
पाकिस्तान में छिपकर रहते हुए पाकिस्तान के कई खुफिया राज अजीत डोभाल ने पता कर लिए थे और यही वजह है कि पाकिस्तान आज भी उनसे डरता है।
डोभाल का कश्मीर दौरा
अजीत डोभाल इनदिनों कश्मीर दौरे पर है। डोभाल खुद जमीन पर उतर कर काम कर रहे हैं, और स्थानीय लोगों से बातचीत कर उन्हें समझा रहे हैं कि उनके पास एकमात्र विकल्प भारत और उसका विकास का मॉडल है। वहाबी सलाफिज्म मत में इस्लामिक कट्टरता है, जो युवाओं को राजनीतिक जिहाद के लिए प्रेरित करती है, जो भारत के लिए सबसे बड़ी चिन्ता की बात है। इंटरनेट पर डार्क बेब का उपयोग कर इसका प्रचार-प्रसार किया जाता है।
यह देखते हुए कि पुलवामा हमला एक स्थानीय फियादीन द्वारा किया गया था, भारत काफी सर्तकता बरत रहा है। हालांकि सभी प्रमुख देशों ने कहा है कि यह भारत का आंतरिक मसला है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के लिए रास्ता आगे कठिन है, क्योंकि कर्फ्यू हटाकार जनजीवन को सामान्य करना सबसे बड़ी चुनौती है।
डोभाल वहां धुरी की तरह काम कर रहे हैं। लेकिन केवल सोमवार का ईद त्योहार ही केंद्र सरकार के संकल्प का परीक्षण नहीं है, बल्कि पूरा हफ्ता कठिन रहने वाला है। 14 अगस्त को पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस है और 15 अगस्त को भारत स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, जब दक्षिण कश्मीर की पंचायतों में भारतीय तिरंगा लहराया जाएगा, जिसमें तनावग्रस्त सोपियां, कुलगाम, पुलवामा और अनंतनाग जिले भी शामिल हैं।
भाजपा सरकार संदेश देने के लिए जोर दे रही है कि सभी तीनों क्षेत्रों में तिरंगा लहराया जाए। घाटी में डोभाल अर्धसैनिक बलों, सेना के कमांडरों और अन्य यूनिफाइड कमांड पिरामिड के साथ लगातार संपर्क में हैं, ताकि इस काम में तेजी आ सके। भारत इस तरह के निर्णय लेने के बाद संकल्प के इस प्रदर्शन में किसी भी बिंदु पर कमजोर नहीं दिखना चाहता।
सरकार ने पत्थरबाजी और अलगाववादी आंदोलनों को रोकने के लिए बड़ी सर्तकता के साथ काम किया है। इंतेफादा के संभावित नेताओं को एयरलिफ्ट कर आगरा और बरेली के जेल में भेजने की तैयारी है। अब यह जानकारी सामने आई है कि एनएसए ने इसे लेकर 15 दिन पहले ही अभ्यास किया था।
आईबी और जेकेएपी के दल ने उत्तर प्रदेश की कुछ उच्च सुरक्षा वाली जेलों का जायजा लिया था, जिसमें आगरा और बरेली की जेलें शामिल हैं। साथ ही हरियाणा की कुछ जेलों का भी जायजा लिया गया था।
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