कांग्रेस NSUI की राष्ट्रीय महासचिव ने सावरकर को बताया गद्दार, कहा- ‘कालिख पोत कर ठीक किया’

सुरभि द्विवेदी (बाएँ) ने वीर सावरकर की प्रतिमा के अपमान (दाएँ) को जायज ठहराया
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
लगता है भारत में कांग्रेस के दिन पूरे होने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तो भारत को कांग्रेस मुक्त करवा पाएं या नहीं, लेकिन कांग्रेस खुद ही अपने विनाश की ओर अग्रसर हो रही है। दिल्ली विश्वविद्यालय में कांग्रेस की छात्र यूनियन NSUI ने जो हरकत की है, उसे राष्ट्र ही शायद माफ़ कर सके। 
कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने से पाकिस्तान से कहीं ज्यादा बौखलाहट कांग्रेस में दिख रही है। इन्हें शायद नहीं मालूम, यदि सावरकर ने ब्रिटिश सरकार से माफ़ी मांगी होती तो उन्हें काला पानी की सजा नहीं होती। काला पानी किसी नेहरू या गाँधी को नहीं हुई। इन्हें इतना भी ज्ञान नहीं कि काला पानी की सजा कितनी कठोर और हष्ट-पुष्ट व्यक्ति को तोड़ देती है, लेकिन सावरकर ने देश की खातिर हर क़ुरबानी बर्दाश्त की। 
इतना ही नहीं 1984 में इन्दिरा गाँधी की हत्या पर जो सिखों का नरसंहार हुआ, उसे तो आज तक इन्दिरा विरोधी चीखते-चिल्लाते रहते हैं, परन्तु महात्मा गाँधी की हत्या होने पर चितपावन ब्राह्मणों का तो सिखों से कहीं अधिक भयंकर नरसंहार हुआ था, जिसकी न कोई चर्चा करता है और न ही नरसंहार करने वालों को सजा देने की बात। जो स्वतन्त्र भारत का सबसे दर्दनाक और भयंकर नरसंहार था। उससे अधिक दर्दनाक और भयंकर नरसंहार भारत के इतिहास में नहीं हुआ। जिसको देखो गांधीभक्त बना फिर रहा है, जिस कारण उस नरसंहार की किसी को सुध तक नहीं। 
और जहाँ तक सुभाष चंद्र बोस की बात है, उनके अपमान में कोई पार्टी पीछे नहीं। प्रमाण : दिल्ली में लाल किला के सामने मेरी युवा अवस्था में एडवर्ड की बड़ी-सी मूर्ति थी, जिस कारण आज भी अक्सर लोग इसे एडवर्ड पार्क कहते हैं, जिसे हटाकर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मूर्ति लगाई गयी, जो दूर से दिखती थी, लेकिन मेट्रो स्टेशन बनने तक, मूर्ति धूल खाती रही, और स्टेशन बनने उपरान्त इतनी नीचे स्थापित की है, जो अब केवल पास आने (यानि सड़क पर मूर्ति की दिशा में आने) पर ही दिखती है, जिसका आज तक किसी ने कोई संज्ञान नहीं लिया, क्योकि वोट नेताजी सुभाष के नाम पर नहीं, बल्कि गाँधी और तुष्टिकरण के नाम पर मिलते हैं।    
दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर में लगी स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, विनायक दामोदर सावरकर और सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमाओं को दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन (डूसू) ने हटा दिया है। इससे पहले कांग्रेस के छात्र संघ एनएसयूआई ने भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस के साथ दामोदर सावरकर की प्रतिमा लगाए जाने पर विरोध जताया था। इतना ही नहीं वीर सावरकर की प्रतिमा पर कालिख पोतकर जूते-चप्पलों की माला पहना दी थी। इन प्रतिमाओं को पूर्व डूसू अध्यक्ष शक्ति सिंह ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिन मंगलवार को बगैर विश्वविद्यालय प्रशासन से अनुमति लिए नार्थ कैंपस में स्थित कला संकाय गेट के बाहर स्थापित कराया था। विरोध होने पर शुक्रवार को इन अर्ध प्रतिमाओं को हटा दिया गया।
delhi university removed the disputed statues of the savarkar bose and bhagat singएनएसयूआई (NSUI) की राष्ट्रीय महासचिव सुरभि द्विवेदी ने सोशल मीडिया पर महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर को लेकर ज़हर उगला है। सुरभि ने वीर सावरकर को न सिर्फ़ देशद्रोही और गद्दार कह कर सम्बोधित किया बल्कि यह भी दावा किया कि वे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की हत्या में शामिल थे। सुरभि ने ट्विटर पर लिखा कि सावरकर की प्रतिमा उन स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमा के साथ नहीं लगाई जानी चाहिए, जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दे दी। सुरभि ने लिखा कि सावरकर अंग्रेजों को क्षमा याचिकाएँ लिखा करते थे।
गौर करने वाली बात है कि कांग्रेस के संगठन नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया की राष्ट्रीय महासचिव ने दिल्ली विश्वविद्यालय में एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष अक्षय लकड़ा द्वारा वीर सावरकर की प्रतिमा के चेहरे पर कालिख पोतने और उन्हें जूतों का हार पहनाए जाने को सही ठहराया। इस कुकृत्य के लिए सुरभि ने अक्षय को बधाई भी दी। भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी को देशद्रोही, गद्दार कह कर उनकी प्रतिमा का अपमान और फिर उस अपमान का समर्थन!
कांग्रेस के छात्र संगठन ‘नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI)’ ने आधी रात में वीर सावरकर की प्रतिमा को जूतों का हार पहनाया और चेहरे पर कालिख पोत दी थी। मंगलवार (अगस्त 20, 2019) को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैम्पस में आर्ट्स फैकल्टी गेट के बाहर सावरकर की प्रतिमा की स्थापना की थी।

वीर सावरकर की प्रतिमा को एनएसयूआई दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष अक्षय लकड़ा ने जूते की माला पहनाई थी। अक्षय ने समर्थकों संग मिल कर प्रतिमा के चेहरे पर कालिख पोत दिया था। इस दौरान एनएसयूआई के छात्रों की सुरक्षाकर्मियों से झड़प भी हुई थी।
राष्ट्रीय सेवयंसेवक संघ की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने बयान जारी कर कहा, “भगत सिंह, सावरकर और सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमाओं का अपमान कर के एनएसयूआई ने कांग्रेस की मानसिकता को उजागर करने का काम किया है।” एबीवीपी ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह आश्वासन दिलाया है कि डूसू चुनाव संपन्न हो जाने के बाद आवश्यक प्रक्रिया के अनुसार स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाओं को पुन: वापस लगा दिया जाएगा।
पूर्व डूसू अध्यक्ष शक्ति सिंह ने इससे पहले कहा कि उन्होंने प्रतिमाओं को स्थापित करने के संबंध में कई बार विश्वविद्यालय प्रशासन से इजाजत लेने की कोशिश की, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिला। सिंह ने कहा, “मुझे पता है कि प्रतिमा स्थापित करने की प्रक्रिया पर बहस हो सकती है, लेकिन हम एबीवीपी में राष्ट्रवाद का अनुसरण करते हैं और सावरकर महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे।”

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एनएसयूआई के सदस्यों ने बुधवार को सावरकर की अर्ध प्रतिमा को जूते की माला पहना दी थी और उसके चेहरे पर कालिख पोत दी थी। एनएसयूआई ने अपने कार्य को उचित ठहराते हुए गुरुवार को जारी एक बयान में कहा कि सावरकर एक ‘गद्दार’ था। उसने बयान में एबीवीपी पर दिल्ली विश्वविद्यालय का ‘भगवाकरण’ करने का आरोप भी लगाया।

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