
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
किसी भी पार्टी के कार्यकलाप केवल सत्ता मुक्त होने पर उजागर होते हैं। इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता कि अमुक पार्टी दूध की धुली है। फिर अब एक नयी प्रक्रिया चालू हो गयी है कि नेता से अधिक उसकी गृहणी के पास चुनाव नामांकन में दर्शायी जाती है। पिछले ही माह अपने इसी ब्लॉग पर लिखा था कि भाजपा के उम्मीदवार ही अपने विपक्ष के हाथों बिक दोनों हाथों से माल लूटते हैं। इतना ही नहीं, दिल्ली में चुनाव सिर पर हैं, लेकिन हारा हुआ उम्मीदवार द्वारा पार्टी में ही रहकर व्हाट्सअप के माध्यम से विपक्ष को वोट देने का प्रचार किया जा रहा है और पार्टी के किसी भी नेता को संज्ञान लेने की फुर्सत नहीं, जो दर्शाता है, कि पार्टी अपने जनाधार को बढ़ाने में व्यस्त है, लेकिन पार्टी में लग रहे घुन अथवा दीमक की ओर ध्यान नहीं।
मध्य प्रदेश के सहकारिता एवं सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने रविवार को आरोप लगाया कि पिछले 15 साल (वर्ष 2003 से वर्ष 2018 तक) के भाजपा शासनकाल में मध्य प्रदेश में जमकर लूट हुई। इस लूट में भाजपा नेताओं ने आक्रमणकारी महमूद गजनवी तक को पीछे छोड़ दिया और उससे कई गुना ज्यादा लूट की गई। उन्होंने कहा कि इस लूट में भाजपाई गजनवी के भी 'ग्रैंडफादर' निकले और अब कांग्रेस सरकार ने इन सभी अवैध कामों पर रोक लगाई है। कांग्रेस के नेताओं के लगातार बयान देने पर सिंह ने कहा कि कांग्रेस जिंदा लोगों की पार्टी है और सभी लोगों को अपनी बात रखने का अधिकार है।

उन्होंने आगे कहा कि मेरा तो यह भी अनुभव है कि मोहम्मद गजनवी जब हिंदुस्तान को लूटने आया था, उसने सोमनाथ मंदिर भी लूटा था, तो रहम करके कुछ छोड़ गया था। लेकिन भाजपा ने कहीं कुछ नहीं छोड़ा।' सिंह ने आरोप लगाया कि (लूट में) भाजपाई गजनवी के भी ग्रैंडफादर निकले।
सत्ता गलियारों में चर्चा है कि यदि यह आरोप सत्य है, फिर किस आधार पर कार्यवाही में देरी की जा रही है? जब केन्द्र में भाजपा सरकार कांग्रेस और अन्य विरोधियों के घोटालों को उजागर कर कार्यवाही कर विपक्ष को कमजोर करने में व्यस्त है, फिर मध्य प्रदेश सरकार देरी क्यों कर रही है?
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