चीनी अर्थव्यवस्था धराशाई, 17 साल में सबसे बड़ा झटका: भारत को मिल सकता है फायदा!

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                                                                                                             IMF साभार 
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन की ओर से बहुत ही बुरी खबर निकलकर सामने आ रही है। दरअसल, अमेरिका से चल रहे ट्रेड वॉर की वजह से चीन में औद्योगिक उत्पादन लुढ़ककर 17 साल के निचले स्तर पर आ गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगस्त के दौरान इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन की ग्रोथ साढ़े 17 साल के निचले स्तर पर पहुँच गई है। यह चीन और उसकी अर्थव्यवस्था से जुड़े देशों के लिए यह बड़ी चिंता का विषय हो सकता है।
जानकारी के मुताबिक, अगस्त महीने के दौरान चीन के औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 4.4 फीसदी दर्ज की गई, जो कि फरवरी 2002 के बाद का सबसे निचला स्तर है। वहीं जुलाई के दौरान औद्योगिक उत्पादन की दर 4.8 फीसदी दर्ज की गई थी। सोमवार (सितंबर 16, 2019) को जारी आँकड़े बताते हैं कि चीन की खुदरा बिक्री और निवेश की हालत भी खराब हो चुकी है। इस तेज गिरावट को रोकने के लिए चीन तक कुछ अहम ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। 
यह आँकड़े राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (NBS) ने जारी किए हैं। ब्लूमबर्ग ने भी अपने सर्वेक्षण में वृद्धि दर के 5.2 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया था। साथ ही ब्लूमबर्ग ने खुदरा बिक्री की वृद्धि दर 7.9 प्रतिशत रहने की संभावना व्यक्त की थी।
चीन और अमेरिका के बीच चल रहे ट्रेड वॉर के कारण पिछले साल चीन द्वारा देश की वृद्धि दर बढ़ाने के लिए किए गए उपाय काम नहीं आए। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस भयंकर मंदी को दूर करने के लिए चीन को और प्रोत्साहन की जरूरत होगी। प्रीमियर ली केकियांग ने भी सोमवार को आँकड़ों की पुष्टि की और कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था के लिए यह मुश्किल दौर है।
जानकारों का कहना है कि चीन के आर्थिक हालात में संकट की स्थिति होने पर भारत भी इससे अछूता नहीं रह पाएगा। क्योंकि भारत के आयात में चीन की बड़ी हिस्सेदारी 16 फीसदी से ज्यादा है। चीन भारत के लिए निर्यात का 4.39 फीसदी हिस्सेदारी के साथ चौथा सबसे बड़ा बाजार भी है। इसलिए चीन में आई गिरावट का असर भारत पर पड़ने की उम्मीद है।
वहीं, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत को लाभ भी मिल सकता है। चीन की कंपनियों के लिए शानदार ठिकाना बन सकता है। यानी चीन की जो कंपनियाँ अपने उत्पाद भारत में बेचती हैं, वह भारत में ही अपना उत्पादन शुरू कर सकती हैं। भारत को ढाँचागत सुविधाओं के मामले में भी चीन की कंपनियों से मदद मिलेगी। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को फायदा हो सकता है।

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