
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने ट्वीट किया, 'हमारे देश में सभी आधिकारिक भाषाएं समान हैं. हालांकि, जहां तक कर्नाटक की बात है, कन्नड़ यहां की प्रमुख भाषा है. हम कभी भी इसके महत्व से समझौता नहीं करेंगे. हम कन्नड़ भाषा और हमारे राज्य की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.'
उधर, पुद्दुचेरी की राज्यपाल किरण बेदी ने भी इस पर बयान दिया. किरण बेदी (Kiran Bedi) ने दक्षिण भारतीय लोगों से अपील करते हुए हिन्दी भाषा को सीखकर भारत सरकार से जुड़ने को कहा. भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी रहीं बेदी ने आगे कहा कि भाषाएं लोगों के बीच एक भावनात्मक रिश्ता बनातीं थीं. उन्होंने यह भी कहा कि मैं यहां हर समय ट्रांसलेटर का इस्तेमाल करती हूं. लेकिन जो गैर हिन्दी भाषी वक्ता हैं वह हमारी भाषा सीखते हैं और अपनी संस्कृति और विरासत से दूरी महसूस नहीं करते.
All official languages in our country are equal. However, as far as Karnataka is concerned, #Kannada is the principal language. We will never compromise its importance and are committed to promote Kannada and our state's culture.— CM of Karnataka (@CMofKarnataka) September 16, 2019
वहीं, पुद्दुचेरी के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता वी नारायणसामी ने गृहमंत्री अमित शाह को दक्षिण भारतीय राज्यों पर हिंदी को न थोपने को लेकर चेतावनी भी दी थी. सामी ने कहा था कि हिन्दी को थोपकर हम देश को एक नहीं रख सकते. उन्होंने न्यूज एजेंसी ANI से कहा कि हमें सभी धर्मों, संस्कृतियों और भाषाओं का सम्मान करना चाहिए और काम करने का यही तरीका होना चाहिए.
तमिलनाडु में विपक्ष के नेता एमके स्टालिन भी अमित शाह को तमिलनाडु में हिंदी विरोधी भड़काने को लेकर चेताया था. स्टालिन ने कहा 'यह इंडिया है हिंडिया नहीं'. उन्होंने कहा कि केंद्र दूसरे भाषाई युद्ध के लिए तैयार रहे अन्यथा पीएम मोदी इस पर अपनी सफाई दें. केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी अमित शाह के बयान को युद्ध की चीख बताया.
हिंदी के विरोध में दक्षिणी राज्यों में प्रदर्शन
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