कौशाम्बी गैंग रेप : फांसी तक चैन नहीं, खुद लड़ेगी केस --पीड़िता

कौशाम्बी दलित रेप केस: तीसरा आरोपित आकिब गिरफ्तार
 (फोटो साभार- ABP Ganga)
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
भाजपा के पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानन्द के विरुद्ध शोर मचाने वाले कौशाम्बी में दलित का शान्तिदूतों द्वारा सामूहिक बलात्कार करने पर दलितों का दम भरने वाले सब खामोश क्यों हैं? इन शांतिदूतों द्वारा बलात्कार चाहे मदरसे में हो या कहीं और, कोई नहीं बोलता, सबकी बोलती बंद हो जाती है, आखिर ये लोग कब तक तुष्टिकरण पुजारी बने रहेंगे?
उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी गैंग रेप केस में आरोपित ₹25 हजार के इनामी मोहम्मद आकिब उर्फ बड़का को कौशाम्बी पुलिस ने सराय अकिल इलाके से हिरासत में ले लिया है। आकिब पर अपने दो दोस्तों आदिल, नाजिक के साथ मिल कर एक दलित नाबालिग लड़की का बलात्कार करने और उसका अश्लील वीडियो बनाने का आरोप है। शनिवार को हुई इस घटना का मुख्य आरोपित मोहम्मद आदिल उर्फ़ छोटका उर्फ आतंकवादी को पुलिस पहले ही गिरफ़्तार कर चुकी है। एक अन्य आरोपित नाज़िक को पहले ही ग्रामीणों ने पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया था। इनकी धर-पकड़ के लिए पुलिस ने पाँच टीमें गठित की थीं। आज बड़का की गिरफ़्तारी के साथ पुलिस का यह अभियान सफलतापूवक सम्पन्न हो गया है।

घोसिया गाँव में घास काटने गई दलित नाबालिग लड़की के साथ नाज़िक, आकिब (बड़का) और आदिल (छोटका) ने बलात्कार किया था। तीनों आरोपित लड़की को पकड़ कर झाड़ियों में ले गए और उसके साथ दुष्कर्म किया। इस दौरान लड़की बार-बार दया की भीख माँगती रही, लेकिन आरोपितों ने उसकी एक न सुनी और पूरे घटनाक्रम का वीडियो बना लिया। रिपोर्ट के अनुसार वीडियो बनाने का काम आकिब ने किया था। वायरल वीडियो में साफ सुना जा सकता है पीड़िता दलित नाबालिग लड़की गिड़गिड़ा रही है, ‘भैया आप मुझे जानते हो, अल्लाह के लिए छोड़ दो” फिर भी इन दरिंदों को रहम नहीं आई। वह रोती, चीखती, चिल्लाती रही और आदिल, नजिक जैसे दरिंदे उसकी चीख को फिल्माते रहे।

रिपोर्ट्स के अनुसार, दलित नाबालिग लड़की की चीख-पुकार सुनकर खेतों में काम कर रहे लोग घटनास्थल पर पहुँचे, नाजिक को पकड़ लिया, और उसकी जमकर पिटाई की। लेकिन बाकी दोनों मौक़े से भागने में क़ामयाब रहे थे
पुलिस पर गोलीबारी करने लगा था आरोपी 
पुलिस को ख़बर मिली थी कि आरोपित आदिल रावतपुर गाँव में छिपा हुआ है। इसके बाद चार थानों की पुलिस वहाँ उसे गिरफ़्तार करने पहुँचीं। आरोपित आदिल जंगल में स्थित एक मजार में छिपा हुआ था। जैसे ही पुलिस ने उसकी घेराबंदी की, वह तमंचे से गोलीबारी करने लगा। पुलिस सादी वर्दी में हथियारों से लैस होकर पहुँची थी। पहले तो ग्रामीणों को लगा कि गैंगवार जैसी कोई स्थिति उत्पन्न हो गई है लेकिन जैसे ही उन्हें असलियत पता चली, वे सभी पुलिस की तारीफ करने लगे।
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फांसी तक चैन नहीं, खुद लड़ेगी केस 
पीड़िता ने साफ़-साफ कहा है कि जब तक आरोपितों को फाँसी की सज़ा नहीं मिल जाती, तब तक उसे शांति नहीं मिल सकती है। पीड़िता ने मदद करने वाले नेताओं व संगठनों को धन्यवाद करते हुए लोगों से आगे आने की अपील की। पीड़िता ने कहा कि वह ख़ुद क़ानूनी लड़ाई लड़ेगी। आरोपित की गिरफ़्तारी करने वाली टीमों को ₹25 हज़ार का इनाम भी दिया जाएगा। वहीं पीड़िता का हालचाल जानने के लिए लगातार नेताओं की लाइन लगी रही। दलित सेना संगठन ने एसपी से मुलाक़ात कर आरोपित पर कड़ी कार्रवाई की माँग की थी।
दलित बच्ची से गैंगरेप पर धर्मनिरपेक्षता के ठेकेदार चुप्पी साधे रहे, आखिर क्यों?
पिछले कुछ वर्षों से देश में इस तरह का माहौल बनाया जा रहा है कि मुसलमानों का रहना मुश्किल हो गया है। मीडिया का एक धड़ा और धर्मनिरपेक्षता का ढोंग करने वाले लोग जहर फैला रहे हैं कि हिंदूवादी संगठनों ने देशभर में मुसलमानों के लिए विकट हालात पैदा कर दिए हैं। जबकि सच्चाई इसके उलट है। केंद्र की मोदी सरकार और भाजपा शासित राज्यों की सरकारों को बदनाम करने के लिए साजिश के तहत इस तरह का झूठ गढ़ा जा रहा है। हिंदुओं द्वारा मामूली झगड़े को सांप्रदायिक रंग देने वाले ये छद्म धर्मनिरपेक्ष लोग मुसलमानों द्वारा की गई बड़ी से बड़ी आपराधिक वारदात पर चुप्पी साध लेते हैं। इन लोगों को हिंदुओं के साथ की जा रही मॉब लिंचिंग दिखाई नहीं देती है। देश में हिंदुओं, दलितों, आदिवासियों के साथ मॉब लिंचिंग की घटनाएं आम हैं, लेकिन हिंदू विरोधी ताकतों को ये दिखाई नहीं देता है।
यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले इसी वर्ष कई ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें मुसलमानों ने हिंदुओं पर जुल्म ढाए, लेकिन पीएम मोदी को बदनाम करने में लगे लोगों ने कभी अपनी जुबान नहीं खोली। ऐसी घटनाओं की संख्या सैकड़ों में है। हम आपको 2019 में हिंदुओं के साथ हुई ज्यादती की कुछ ऐसी ही घटनाओं को दिखाते हैं, जिन पर धर्मनिरपेक्षता का चोला ओड़े लोगों ने चुप्पी साधे रखी। 
हिंदुओं पर जुल्म की घटना नंबर-1
8 जनवरी, 2019 को मुंबई के मलाड मुसलमानों की टोली ने एक पेट्रोल पर तोड़फोड़ की और स्टाफ को मारा, क्योंकि पेट्रोल पंप पर लंबी लाइन की वजह से उन्हें नमाज के लिए देर हो रही थी।

नंबर-2
15 मई, 2019 को यूपी के गोंडा में मामूली विवाद के बाद चार मुसलमानों ने विष्णु कुमार गोस्वामी नाम के युवक को पेट्रोल डालकर जला दिया,  लेकिन कहीं से इसके विरोध में कोई आवाज नहीं उठती है।

नंबर-3
18 मई, 2019 को उत्तर प्रदेश के मथुरा में मुसलमानों की भीड़ ने एक हिंदू युवक को सरेआम पीट-पीट कर मार डाला। भारत यादव और पंकज यादव नाम को दो भाई मथुरा में लस्सी की दुकान चलाते थे। 18 मई को कुछ मुस्लिम आए और 15 गिलास लस्सी पी। जब भाइयों ने पैसे मांगे तो मुसलमानों ने अपने साथियों को बुलाया और दोनों के काफिर कहते हुए मारा-पीटा। पिटाई से भरत यादव की मौत हो गई। इतनी बड़ी घटना को मीडिया ने भी दबा दिया और धर्मनिरपेक्षता का ढोंग करने वालों ने भी।

नंबर-4
7 जून, 2019 को यूपी के शामली में मुसलमानों की भीड़ ने बजरंग दल के कार्यकर्ताओं पर हमला बोल दिया। इतना ही नहीं जब पुलिस आरोपियों को पकड़ने गई तो पुलिस टीम पर भी पथराव किया गया।

नंबर-5
10 जून, 2019 को बिहार में बेगूसराय के नूरपुर गांव में 10 जून की रात को कुछ मुस्लिम युवकों ने एक दलित महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। गांव छोड़ने की धमकी भी दी। लेकिन आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए किसी ने आंदोलन नहीं चलाया।

नंबर-6
23 जून, 2019 को बिहार के जमुई में शमशुद्दीन अंसारी नाम का शख्स एक 8 वर्षीय हिंदू बच्ची की रेप के बाद हत्या कर देता है, लेकिन इस घटना के खिलाफ किसी का मुंह नहीं खुलता है।

नंबर-7
24 जून, 2019 को मध्य प्रदेश के गुना में अपहरण के आरोपी इमरान के परिजनों ने पुलिस स्टेशन पर हमला बोल दिया और पुलिसवालों को जान से मारने की धमकी दी।

नंबर-8
1 जुलाई 2019 को दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में सैकड़ों मुस्लिम युवकों की भीड़ पार्किंग विवाद में सौ साल पुराने मंदिर में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां तोड़ देती है। देश की राजधानी में हुई इस घटना के बाद मुसलमानों की इस करतूत के खिलाफ कहीं कोई आवाज नहीं उठी।


इन घटनाओं से साफ है कि पीएम मोदी को बदनाम करने की साजिश रचने वालों को हिंदुओं के खिलाफ मुसलमानों द्वारा की गई लिंचिंग की खबरों से कोई मतलब नहीं है। ऐसी घटनाओं पर ये लोग आंखें मूंद लेते हैं। लेकिन ऐसी राष्ट्रविरोधी ताकतों से सतर्क रहने की जरूरत है।

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