पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पर कश्मीर का प्रेशर भारी पड़ने लगा है। वह इसे संभाल नहीं पा रहे हैं। सरकार द्वारा तैयार आंतरिक गोपनीय रिपोर्ट में कहा गया है कि कश्मीर मसले पर इमरान खान और पाकिस्तानी फौज के बीच सब कुछ ठीक नहीं है और दोनों के बीच दूरियां बढ़ती जा रही हैं। खुफिया इनपुट की अगर मानें तो संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) की बैठक के बाद इमरान खान और सेना के बीच रिश्तों में तल्खी बढ़ सकती है। कहा यह भी जा रहा है कि इमरान प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा भी दे सकते हैं। इस आतंरिक गोपनीय रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री के रूप में इमरान खान खुश नहीं हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक कश्मीर सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय मामलों में सेना के बढ़ते दखल से इमरान परेशान हैं। न्यूयॉर्क में उनके होने के बावजूद कश्मीर सहित विदेशी मामलों में सभी फैसले सेना ले रही है और उनसे वही बोलने के लिए कहा जा रहा है, जो स्क्रिप्ट उन्हें सेना दे रही है। अपनी सेना के बढ़ते दखल से वह परेशान हो चुके हैं। बताया जा रहा है कि तनाव के चलते पिछले दो रातों में वह ठीक से सो नहीं पाए हैं।
प्रधानमंत्री के रूप में इमरान खान का एक साल से ज्यादा समय बीत चुका है। अपने इस छोटे कार्यकाल में घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर वह पूरी तरह नाकाम हो गए हैं। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। महंगाई आसमान छू रही है। डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया काफी कमजोर हो गया है। चुनावों में उन्होंने अपनी आवाम से जो वादे किए थे उनको वह पूरा नहीं कर पा रहे हैं। कश्मीर मसले में वह बुरी तरह फंस गए हैं। इमरान को कहीं से भी राहत मिलती नहीं दिख रही है। जाहिर है कि इन सब मुश्किलों एवं चुनौतियों से निपटने में वह मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।
पाकिस्तान के विदेशी और घरेलू मामलों में पाकिस्तान सेना का दखल इस कदर हावी है कि वहां चुनी हुई कोई भी नागरिक सरकार अपनी मर्जी से फैसले नहीं कर पाती। वहां की सेना ने लोकतांत्रिक संस्थाओं को पनपने नहीं दिया है। हर जगह उसका दखल है। पाकिस्तानी सेना का इतिहास चुनी हुई सरकारों को सत्ता से बेदखल करने का रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री के रूप में इमरान खान यदि अपने दायित्वों को पूरा करने में असमर्थ पा रहे हैं तो इसके पीछे वहां की सेना की अपनी महात्वाकांक्षा है।
अवलोकन करें:-
यह अलग बात है कि पाकिस्तानी सेना ने इमरान खान को पीएम बनाने में मदद की है। इसीलिए उन्हें 'इलेक्टेड नहीं बल्कि सेलेक्टेड पीएम' कहा जाता है। यूएनजीए में कश्मीर पर इमरान की नाकामी के बाद पाकिस्तान की सेना यदि उन्हें सत्ता से बाहर फेंक देती है तो इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए।
रिपोर्ट के मुताबिक कश्मीर सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय मामलों में सेना के बढ़ते दखल से इमरान परेशान हैं। न्यूयॉर्क में उनके होने के बावजूद कश्मीर सहित विदेशी मामलों में सभी फैसले सेना ले रही है और उनसे वही बोलने के लिए कहा जा रहा है, जो स्क्रिप्ट उन्हें सेना दे रही है। अपनी सेना के बढ़ते दखल से वह परेशान हो चुके हैं। बताया जा रहा है कि तनाव के चलते पिछले दो रातों में वह ठीक से सो नहीं पाए हैं।
प्रधानमंत्री के रूप में इमरान खान का एक साल से ज्यादा समय बीत चुका है। अपने इस छोटे कार्यकाल में घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर वह पूरी तरह नाकाम हो गए हैं। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। महंगाई आसमान छू रही है। डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया काफी कमजोर हो गया है। चुनावों में उन्होंने अपनी आवाम से जो वादे किए थे उनको वह पूरा नहीं कर पा रहे हैं। कश्मीर मसले में वह बुरी तरह फंस गए हैं। इमरान को कहीं से भी राहत मिलती नहीं दिख रही है। जाहिर है कि इन सब मुश्किलों एवं चुनौतियों से निपटने में वह मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।
पाकिस्तान के विदेशी और घरेलू मामलों में पाकिस्तान सेना का दखल इस कदर हावी है कि वहां चुनी हुई कोई भी नागरिक सरकार अपनी मर्जी से फैसले नहीं कर पाती। वहां की सेना ने लोकतांत्रिक संस्थाओं को पनपने नहीं दिया है। हर जगह उसका दखल है। पाकिस्तानी सेना का इतिहास चुनी हुई सरकारों को सत्ता से बेदखल करने का रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री के रूप में इमरान खान यदि अपने दायित्वों को पूरा करने में असमर्थ पा रहे हैं तो इसके पीछे वहां की सेना की अपनी महात्वाकांक्षा है।
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