
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
1947 में भारत से अलग होने के बाद से पाकिस्तान केवल कश्मीर को ही अपनी जमापूंजी समझ अपनी जनता और दूसरे देशों के अनुदान पर राज करता रहा। कभी पाकिस्तान की उन्नति और विकास की ओर लेशमात्र भी ध्यान नहीं दिया, जबकि कई वर्षों के बाद पाकिस्तान से अलग हुए बांग्लादेश पाकिस्तान से बहुत आगे निकल गया। पाकिस्तान ने विदेशों से कर्जा लेते समय इस बारे में नहीं सोंचा कि कभी वापस भी करना पड़ेगा। मुफ्त में मिले अनुदान तो किसी गिनती में नहीं।
पाकिस्तान पर विदेशी कर्जे की फेहरिस्त हैरान कर देने वाली है।3.3% की विकास दर पर कराह रहे पाकिस्तान को जून, 2022 तक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) को $2.8 अरब और चीन को $6.7 अरब लौटाने हैं। यह राशि उन कर्जों को चुकता करने के लिए है, जो पाक ने अपने विदेशी मुद्रा कोष की बदहाली पर काबू पाने और आर्थिक हालात पर काबू पाने के लिए लिए थे।
बेल्ट रोड बनता फांसी का फंदा
हिंदुस्तान से कब्जाए पीओके में पाकिस्तान ने चीन को बेल्ट एन्ड रोड इनिशिएटिव के लिए दे दिया, जब कि उस भूभाग पर उसका हक़ ही नहीं था। इसी के बदले चीन ने उसे मुँहमाँगा कर्ज देना शुरू कर दिया, और उस कर्जे से पाकिस्तान इतना बौराया कि वह उसके बाद चीन से कर्ज पर कर्ज लेता गया। कराची स्थित Optimus Capital Management के प्रमुख शोधकर्ता हफ़ीज़ फैज़ान अहमद के हवाले से टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट में दावा है कि इस चीनी कर्ज़ का सबसे बड़ा हिस्सा तब आया जब पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार कम होता जा रहा था।
यही नहीं, Center for Global Development नामक एक थिंक टैंक ने पाकिस्तान को पिछले साल ही उन देशों की सूची में डाल दिया था जिन्हें इस बेल्ट-रोड योजना के चलते कर्ज़ में डूबना पड़ेगा। आज यह आकलन सच साबित हो रहा है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि पाकिस्तान पूरी तरह फ़टेहाल है- उसके सारे संसाधनों पर सेना का कब्ज़ा हो गया है, जिसे देश के आर्थिक हालत से कोई फर्क नहीं पड़ता।
घाटा,टैक्स चोरी और मुँह फाड़ती सेना
पाकिस्तानी सेना देश के बजट का 17-22% लेती है। बावजूद इसके कि वह खुद 100 अरब डॉलर के आर्थिक साम्राज्य की मालिक है, जो बैंकिंग, सीमेंट, रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में पसरा हुआ है। हाल ही में उसने सरकार से खनन, तेल और गैस का काम भी अपने हाथों में ले लिया है। इसके उलट पाकिस्तानी सरकारी कम्पनियाँ घाटे में गहरी डूबती जा रहीं हैं। केवल 1% के टैक्स देने वाले नागरिकों के दायरे के अलावा उसका टैक्स-जीडीपी अनुपात 11% दुनिया के न्यूनतम में से एक है।
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