आर.बी.एल.निगम,वरिष्ठ पत्रकार
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी अपनी बात बेबाकी से रहने में लेशमात्र भी संकोच नहीं करते। 90 के दशक में अपने एनजीओ "स्वतन्त्र विचार मंच" के अंतर्गत आतंकवाद आदि पर कंस्टीटूशन क्लब, नई दिल्ली, में कई गोष्ठियां आयोजित की। भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी के अतिरिक्त कोई पार्टी गोष्ठी में भाग लेने से पीछे हटती रहीं। बस भाजपा से एक बार मदन लाल खुराना और बसपा से राशिद अल्वी ने एक-एक बार गोष्ठी की शोभा बढ़ाई। उस गोष्ठी में अल्वी साहब ने बड़ी ही बेबाकी से आतंकवाद से देश को हो रहे नुकसान, स्वाभिमान पर हो रही चोट, कश्मीर से कश्मीरी पंडितों पर हो रहे अत्याचारों पर चिन्ता व्यक्त करते तत्कालीन सरकार से ठोस कार्यवाही की मांग की थी। जहाँ तक अल्वी साहब को उस समय पहचाना, बहुत ही नेकदिल, न्यायप्रिय और पार्टी के प्रति वफादार देखा।
लेकिन अब कांग्रेस के प्रति वफ़ादारी ने ही अपने से वरिष्ठ नेताओं के विरुद्ध बोलने का साहस दिलाया है। जबकि राहुल गाँधी के अतिनिकट रहने वाले ज्योतिराजे सिंधिया ही पार्टी को आत्ममंथन की बात कर रहे हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा रफाल की पूजा करने पर ही विरोध कर पार्टी को कमजोर करने का काम कर रहे हैं। और फिर जिस तरह से आज कांग्रेस में विरोधी स्वर मुखरित हो रहे हैं, लगता नहीं कांग्रेस आगे चल पायेगी? जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राहुल गाँधी को पार्टी अध्यक्ष बनाने से पूर्व कही बात "जितनी जल्दी हो राहुल गाँधी को अध्यक्ष बनाइए" चरितार्थ हो रही है।
कांग्रेस का भीतरी घमासान थमता नहीं दिख रहा। पूर्व अध्यक्ष राहुल गॉंधी पर पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद के बयान को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने उन पर पलटवार किया है। उन्होंने खुर्शीद पर निशाना साधते हुए कहा है कि पार्टी के भीतर ऐसे नेता हैं, जो पार्टी को ही नुकसान पहुँचा रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अल्वी ने कहा है कि ये जो हर दूसरा कांग्रेस नेता अलग-अलग राग अलाप रहे हैं, ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने आगे कांग्रेस की वर्तमान स्थिति को साफ़ करते हुए कहा, “घर को आग लग गई घर के चिराग से।”
राहुल गाँधी के इस्तीफे पर अल्वी ने कहा कि वे गलत नहीं थे। उन्हें कुछ नेताओं का समर्थन नहीं मिला, इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया। अपने बयान में उन्होंने साल 2004 में पार्टी को मिली जीत का भी जिक्र किया, जब कांग्रेस का नेतृत्व सोनिया गाँधी ने किया था।
सलमान खुर्शीद ने राहुल गाँधी के इस्तीफे को लेकर कहा था कि अब वक्त आ गया है, जब कांग्रेस अपनी बुरी हार की समीक्षा करे और यह समझने का प्रयास करे कि जनादेश का सन्देश क्या है? उन्होंने कहा कि पार्टी हार का विश्लेषण इसीलिए नहीं कर पाई, क्योंकि राहुल गाँधी ऐन मौके पर निकल गए, जिससे पार्टी में एक शून्य पैदा हो गया।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके खुर्शीद ने कहा कि कांग्रेस एकजुट होकर हार का विश्लेषण नहीं कर सकी, क्योंकि उनके नेता ही उन्हें छोड़ कर चला गया। खुर्शीद ने सोनिया गाँधी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने पर भी नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा कि वह सोनिया के अंतरिम अध्यक्ष बनने से ख़ुश नहीं हैं। खुर्शीद ने कहा कि जो भी अध्यक्ष बने, वह टिका रहे। यूपीए-2 में विदेश, अल्पसंख्यक मामले और क़ानून जैसे अहम मंत्रालय संभाल चुके खुर्शीद ने बताया कि वह अपनी पीड़ा इसीलिए व्यक्त कर रहे हैं ताकि नेतृत्व इसे सुने।
सलमान खुर्शीद के इस बयान के बाद संबित पात्रा ने इसे विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस द्वारा हार स्वीकार कर लेने के रूप में पेश किया है। उन्होंने खुर्शीद के बयान को आधार बनाकर कहा कि वे मान चुके है कि राहुल गाँधी भाग गए और सोनिया गांधी सिर्फ ‘फौरी इंतजाम’ देख रही हैं। इसका मतलब है कि कांग्रेस में कोई नेता, नीति और नीयत शेष नहीं है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी अपनी बात बेबाकी से रहने में लेशमात्र भी संकोच नहीं करते। 90 के दशक में अपने एनजीओ "स्वतन्त्र विचार मंच" के अंतर्गत आतंकवाद आदि पर कंस्टीटूशन क्लब, नई दिल्ली, में कई गोष्ठियां आयोजित की। भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी के अतिरिक्त कोई पार्टी गोष्ठी में भाग लेने से पीछे हटती रहीं। बस भाजपा से एक बार मदन लाल खुराना और बसपा से राशिद अल्वी ने एक-एक बार गोष्ठी की शोभा बढ़ाई। उस गोष्ठी में अल्वी साहब ने बड़ी ही बेबाकी से आतंकवाद से देश को हो रहे नुकसान, स्वाभिमान पर हो रही चोट, कश्मीर से कश्मीरी पंडितों पर हो रहे अत्याचारों पर चिन्ता व्यक्त करते तत्कालीन सरकार से ठोस कार्यवाही की मांग की थी। जहाँ तक अल्वी साहब को उस समय पहचाना, बहुत ही नेकदिल, न्यायप्रिय और पार्टी के प्रति वफादार देखा।
लेकिन अब कांग्रेस के प्रति वफ़ादारी ने ही अपने से वरिष्ठ नेताओं के विरुद्ध बोलने का साहस दिलाया है। जबकि राहुल गाँधी के अतिनिकट रहने वाले ज्योतिराजे सिंधिया ही पार्टी को आत्ममंथन की बात कर रहे हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा रफाल की पूजा करने पर ही विरोध कर पार्टी को कमजोर करने का काम कर रहे हैं। और फिर जिस तरह से आज कांग्रेस में विरोधी स्वर मुखरित हो रहे हैं, लगता नहीं कांग्रेस आगे चल पायेगी? जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राहुल गाँधी को पार्टी अध्यक्ष बनाने से पूर्व कही बात "जितनी जल्दी हो राहुल गाँधी को अध्यक्ष बनाइए" चरितार्थ हो रही है।
कांग्रेस का भीतरी घमासान थमता नहीं दिख रहा। पूर्व अध्यक्ष राहुल गॉंधी पर पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद के बयान को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने उन पर पलटवार किया है। उन्होंने खुर्शीद पर निशाना साधते हुए कहा है कि पार्टी के भीतर ऐसे नेता हैं, जो पार्टी को ही नुकसान पहुँचा रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अल्वी ने कहा है कि ये जो हर दूसरा कांग्रेस नेता अलग-अलग राग अलाप रहे हैं, ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने आगे कांग्रेस की वर्तमान स्थिति को साफ़ करते हुए कहा, “घर को आग लग गई घर के चिराग से।”
राहुल गाँधी के इस्तीफे पर अल्वी ने कहा कि वे गलत नहीं थे। उन्हें कुछ नेताओं का समर्थन नहीं मिला, इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया। अपने बयान में उन्होंने साल 2004 में पार्टी को मिली जीत का भी जिक्र किया, जब कांग्रेस का नेतृत्व सोनिया गाँधी ने किया था।
सलमान के #Congress की हार वाले बयान पर राशिद अल्वी का पलटवार#SuryaSamacharhttps://t.co/rJZTey3tWC— Surya Samachar (@SuryaSamachar) October 9, 2019
सलमान खुर्शीद के बयान पर कांग्रेस नेता राशिद अल्वी का पलटवारhttps://t.co/mzhBdTA5mP pic.twitter.com/C8G6TvDOyW— MirrorMedia (@MirrorMedia3) October 9, 2019
“Salman Khurshid: Congress's biggest problem is Rahul Gandhi walking away— Amrita Bhinder (@amritabhinder) October 9, 2019
This is the first time that a Congress leader has used a strong term like "walking away" for Rahul's resignation suggesting it was abdication on his part”
via @TOIIndiaNews https://t.co/35aelKEgJd
सलमान खुर्शीद ने राहुल गाँधी के इस्तीफे को लेकर कहा था कि अब वक्त आ गया है, जब कांग्रेस अपनी बुरी हार की समीक्षा करे और यह समझने का प्रयास करे कि जनादेश का सन्देश क्या है? उन्होंने कहा कि पार्टी हार का विश्लेषण इसीलिए नहीं कर पाई, क्योंकि राहुल गाँधी ऐन मौके पर निकल गए, जिससे पार्टी में एक शून्य पैदा हो गया।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके खुर्शीद ने कहा कि कांग्रेस एकजुट होकर हार का विश्लेषण नहीं कर सकी, क्योंकि उनके नेता ही उन्हें छोड़ कर चला गया। खुर्शीद ने सोनिया गाँधी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने पर भी नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा कि वह सोनिया के अंतरिम अध्यक्ष बनने से ख़ुश नहीं हैं। खुर्शीद ने कहा कि जो भी अध्यक्ष बने, वह टिका रहे। यूपीए-2 में विदेश, अल्पसंख्यक मामले और क़ानून जैसे अहम मंत्रालय संभाल चुके खुर्शीद ने बताया कि वह अपनी पीड़ा इसीलिए व्यक्त कर रहे हैं ताकि नेतृत्व इसे सुने।
So finally Congress concedes defeat even before the polling in the upcoming Assembly elections!— Sambit Patra (@sambitswaraj) October 9, 2019
Khurshid agrees Rahul Gandhi has just “Waked Away” & Sonia Gandhi is just a “Stop-Gap” arrangement ...meaning @INCIndia is left with no “नेता”,”नीति” or “नियत”! pic.twitter.com/gciL3bHNOM
सलमान खुर्शीद के इस बयान के बाद संबित पात्रा ने इसे विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस द्वारा हार स्वीकार कर लेने के रूप में पेश किया है। उन्होंने खुर्शीद के बयान को आधार बनाकर कहा कि वे मान चुके है कि राहुल गाँधी भाग गए और सोनिया गांधी सिर्फ ‘फौरी इंतजाम’ देख रही हैं। इसका मतलब है कि कांग्रेस में कोई नेता, नीति और नीयत शेष नहीं है।
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