कौन हैं EU के सांसदों का कश्मीर दौरा आयोजित करने वाली मादी शर्मा?

Image result for madi sharmaकश्मीर दौरे पर गए यूरोपीय सांसदों ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपने दौरे को लेकर उठ रहे सवालों के जवाब दिए. इन सांसदों ने कहा कि उनके इस दौरे को गलत नजरिए से देखा गया. वो तो यहां तथ्य जुटाने आए हैं. उन्होंने कहा कि हमें राजनीति से कोई लेना देना नहीं है. इन सांसदों ने दक्षिणपंथी विचारधारा के होने के विपक्ष के हमलों पर कहा कि वे फासीवादी नहीं हैं. अगर फासीवादी होते तो जनता उन्हें नहीं चुनती. उन्होंने ये भी कहा कि आतंकवाद से किसी देश को तबाह नहीं होने दे सकते. इस बीच यूरोपियन यूनियन के 27 सांसदों के भारत दौरे को लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं. सबसे बड़ा सवाल मादी शर्मा (Madi Sharma) को लेकर है, जिन्होंने यूरोप के इन सांसदों को ई-मेल के लिए जरिये आमंत्रित किया था.  
The viral Kashmir visit invite
मादी शर्मा ने सात अक्तूबर को भेजे अपने एक ईमेल में लिखा है कि वे यूरोप भर के दलों के एक प्रतिनिधिमंडल को भारत ले जाने के आयोजन का संचालन कर रही हैं. इस वीआईपी प्रतिनिधिमंडल की प्रधानमंत्री मोदी से मुलाक़ात कराई जाएगी और अगले दिन कश्मीर का दौरा होगा. ईमेल में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाक़ात की तारीख़ 28 अक्तूबर लिखी गई है और कश्मीर जाने की तारीख़ 29 अक्तूबर है.
विपक्षी दलों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में देश के सांसदों को जाने से रोक दिया गया, जबकि विदेशी प्रतिनिधिमंडल को वहां सैर-सपाटा करने का मौका दिया जा रहा है. इस बीच EU के सांसदों के दौरे को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं कि ये किसने फिक्स किया था. दावा किया जा रहा है कि यूरोपीय संसद सदस्यों की कश्मीर यात्रा 'WESTT' एनजीओ ने स्पॉन्सर की है. इस NGO को ब्रिटिश-भारतीय व्यवसायी मादी शर्मा (Madi Sharma) संचालित करती हैं.
मादी शर्मा ने ही यूरोपीय संसद के सदस्यों को कश्मीर आने के लिए आमंत्रित किया था. यूरोपीय सांसदों को भेजे न्योते में उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के साथ खास मुलाकात कराने और कश्मीर ले जाने का वादा किया था. EU सांसदों की कश्मीर यात्रा के लिए फंडिंग को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. खास बात यह है कि डेलिगेशन में शामिल 22 सांसद दक्षिणपंथी विचारधारा के समर्थक हैं.
EU सासंदों को मादी ने किया था आमंत्रित
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, 7 अक्टूबर को मादी शर्मा ने यूरोपीय सांसदों को ईमेल कर 28 अक्टूबर को पीएम मोदी से मुलाकात कराने और 29 अक्टूबर को कश्मीर ले जाने का वादा किया था. इसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की भी बात कही गई थी.

कौन हैं मादी शर्मा?
मादी शर्मा के बारे में बताया जा रहा है कि वह विमिंस इकोनॉमिक एंड सोशल थिंक टैंक (WESTT) नाम का एनजीओ चलाती हैं. मादी की वेबसाइट के मुताबिक, यह संस्था महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए काम करती है. राजनीतिक स्तर पर यह एनजीओ अहम मुद्दों पर जागरूकता अभियान चलाता है, लेकिन इससे कोई व्यावसायिक फायदा नहीं उठाता. मादी के ट्विटर हैंडल पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, वह खुद को सोशल कैपिटलिस्ट: इंटरनेशनल बिजनेस ब्रोकर, एजुकेशन एंटरप्रन्‍योर एंड स्पीकर बताती हैं. EU सांसदों को शर्मा ने ही आमंत्रित किया था.

 EU सांसदों के कश्मीर दौरे पर उठे सवाल

ई-मेल के मुताबिक मादी शर्मा का एक एनजीओ है, जिसका नाम WESTT women's economic and social Think Tank. ई-मेल में यह भी लिखा है कि सांसदों के आने जाने का किराया और ठहरने का प्रबंध एक दूसरी संस्था करेगी, जिसका नाम है International Institute for Non-Aligned Studies. इस संस्था का दफ्तर दिल्ली के सफ़दरजंग में है. 1980 में बनी यह संस्था निर्गुट देशों के आंदोलन को लेकर सभा-सेमिनार कराना है. मादी शर्मा का ट्विटर अकाउंट भी है, जिसपर करीब तीन हज़ार के आसपास फॉलोअर हैं. मादी शर्मा की प्रधानमंत्री मोदी के कई तस्वीरें भी हैं.
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370 पर लिखा था आर्टिकल
मादी शर्मा यूरोपियन इकोनॉमिक एंड सोशल कमेटी की सदस्य भी हैं. मादी ने अनुच्‍छेद -370 पर एक आर्टिकल भी लिखा था, जो EP टुडे में प्रकाशित हुआ था. लेख का शीर्ष था, 'आर्टिकल 370 को खत्म करना जीत और कश्मीरी महिलाओं के लिए चुनौती क्यों है?' EP टुडे यूरोपीय संसद से जुड़ी एक मासिक पत्रिका है.(agencies inputs)

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