
चीन ने आरोप लगाया है कि भारत और अमेरिका FATF का राजनीतिकरण करने में लगे हुए हैं। यह बयान चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ़ से दो दिन पहले ही दिया गया है। चीन की इस तिलमिलाहट की असल वजह पाकिस्तान में अरबों डॉलर निवेश है, जो अब उसे ख़तरे में दिखाई दे रहे हैं। चीन का बयान बताता है कि वह किस तरह दुनिया में पाकिस्तान के नैरेटिव को आगे बढ़ा रहा है, जबकि हक़ीकत यह है कि FATF ने इमरान ख़ान सरकार को आतंकी नेटवर्क ख़त्म करने के लिए गाइडलाइंस जारी की थी, उनमें से किसी में भी वो खरा नहीं उतरा था।
ख़बर के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र की आम सभा (UNGA) में भाषण देने से पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अलजजीरा और रशिया टुडे को इंटरव्यू दिया था। इंटरव्यू के दौरान उन्होंने भारत पर आरोप लगाया गया था कि वो FATF के माध्यम से पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट में डालने की कोशिश में लगा हुआ है। पाकिस्तान की यह कोशिश थी कि चीन उसे किसी तरह से ब्लैकलिस्ट होने से बचा ले। वहीं, चीन के लिए भी यह किसी मजबूरी से कम नहीं था। https://youtu.be/SjpYVDLGSlg
चीन की बौखलाहट का कारण पाकिस्तान में अरबों का निवेश है। इसके अलावा भी चीन के कई प्रोजेक्ट पाकिस्तान में चल रहे हैं। इतना ही नहीं चीन ने पाकिस्तान को अरबों डॉलर का क़र्ज भी दिया हुआ है, जिसका ब्याज़ चुकाना भी पाकिस्तान के लिए काफ़ी महँगा सौदा साबित हो रहा है। ऐसे में पाकिस्तान, चीन के कर्ज़ का भुगतान कैसे कर पाएगा, इसकी चिंता चीन को भी सता रही है।
FATF एक अंतर-सरकारी निकाय है जो 1989 में आया, इस संगठन ने पाकिस्तान को आर्थिक सहायता देने से साफ़ इनकार कर दिया था क्योंकि उनके मुताबिक पाकिस्तान मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकी फंडिंग को रोकने पूरी तरह विफल रहा है। इसीलिए इस निकाय ने पाकिस्तान को फ़रवरी 2020 तक ग्रे-लिस्ट में रखने का निश्चय किया था।
इससे पहले 10 अक्टूबर को जब इमरान खान को इस बात का अंदेशा होने लगा था कि FATF से पैसे माँगने पर पाकिस्तान को बेईज्ज़त होना पड़ सकता है तो आनन-फानन में दुनिया की नज़र में खुदको पाक-साफ दिखाने के लिए इमरान खान की सरकार ने टॉप 4 आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया था जिससे दुनिया के सामने यह ढोंग किया जा सके कि पाकिस्तान में आतंक-विरोधी माहौल है और वे इसका समर्थन बिलकुल नहीं करते।
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