क्या राज ठाकरे के लिए संजीवनी साबित होगा उद्धव का ये राजनीतिक कदम?

शिवसेना, बालासाहेब ठाकरे, उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे, शिवाजी पार्क, Shiv Sena, Balasaheb Thackeray, Uddhav Thackeray, Raj Thackeray, Shivaji Park,1993 में हुए मुंबई दंगों (1993 Mumbai Blast) के बाद शिवसेना का नाम देशभर में पहचाना जाने लगा था। बाल ठाकरे के तीखे बयानों से समाचार में दिलचस्पी रखने वाले लोगों का ध्यान बरबस शिवसेना की तरफ चला जा रहा था। लेकिन साल 2000 के बाद शिवसेना से एक और चेहरा लोगों का ध्यान खींचने लगा था। लोगों के बीच आम धारणा बनने लगी थी कि यही लड़का बाल ठाकरे की गद्दी संभाल सकता है। वो बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे थे। राज ठाकरे के बोलने के अंदाज और भाव-भंगिमाओं से भी बाल ठाकरे की झलक आती थी/आती है। लेकिन लोगों की ये धारणा साल 2006 में टूट गई। जब काफी गर्मागर्मी के बाद बाल ठाकरे ने अपनी अलग पार्टी बनाई जिसका नाम रखा महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना
राज ठाकरे ने आरोप लगाकर छोड़ी थी शिवसेना
राज ठाकरे ने जब परिवार से अलग हटकर नई पार्टी बनाई थी तब उन्होंने आरोप लगाया था कि शिवसेना को 'क्लर्क चला रहे हैं।' उन्होंने कहा था कि पार्टी अपनी पुरानी चमक खो चुकी है। हालांकि नई पार्टी के गठन और पारिवारिक विवाद पर कभी-कोई बात खुले रूप में सामने नहीं आई। लेकिन ऐसा माना जाता है कि राज ठाकरे को लगने लगा था कि पार्टी की जिम्मेदारी उद्धव को ही दी जाएगी। राज ठाकरे लोगों के बीच अपनी लोकप्रियता से भी वाकिफ थे। हालांकि सारे विवाद के बावजूद कभी राज ठाकरे ने बाल ठाकरे के खिलाफ एक भी शब्द नहीं कहा। यहां तक कि जब 9 मार्च 2006 को जब राज ठाकरे ने पार्टी की स्थापना की तब भी उन्होंने बाल ठाकरे के बारे में कहा था कि वो मेरे आदर्श थे, हैं और रहेंगे

राज ठाकरे की पार्टी और शिवसेना में विवाद
एमएनएस बनने के कुछ महीने बाद ही अक्टूबर 2006 में शिवसेना और एमएनएस कार्यकर्ताओं में झड़प हुई थी। शिवसेना कार्यकर्ताओं का आरोप था कि एमएनएस कार्यकर्ताओं ने पार्टी के पोस्टर फाड़ दिए जिनमें बाल ठाकरे की तस्वीरें लगी हुई थीं। वहीं एमएनएस कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाए कि शिवसेना कार्यकर्ताओं ने राज ठाकरे की होर्डिंग्स नीचे गिरा दीं। जैसे ही इन घटनाओं की खबर फैली तो पार्टियों के कार्यकर्ता शिवसेना भवन के पास इकट्ठे हुए और एक-दूसरे पर पत्थरबाजी की। बाद में उद्धव और राज ठाकरे के पहुंचने के बाद मामला शांत हुआ। मामले में FIR हुई। लेकिन दोनों पक्षों में से कोई अपनी गलती मानने को तैयार नहीं था। इसके बाद भी शिवसेना और एमएनस कार्यकर्ताओं में झड़प की खबरें आईं
बाल ठाकरे ने कहा-राज ने पीठ में छूरा घोंपा
उसी दौरान उत्तर भारतीयों के खिलाफ दिए गए बाल ठाकरे के बयानों को लेकर एक संसदीय कमेटी बनाई गई थी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए राज ठाकरे ने कहा था कि अगर कमेटी ने बाल ठाकरे को समन भेजा तो वो उत्तर प्रदेश और बिहार से एक भी नेता को मुंबई में घुसने नहीं देंगे। लेकिन बाल ठाकरे ने इस पर राज को तीखी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि राज ने पीठ में छुरा भोंका है अब आंसू बहाने की जरूरत नहीं
2009 में जीती 13 सीटें
राजनीति की शुरुआत राज ठाकरे ने बेहद उग्र तरीके से की थी। पार्टी बनने के साथ ही अगले कुछ सालों तक मराठी मानुष का मुद्दा हर कुछ समय बाद छाया रहता था। कई बार उत्तर भारतीयों के साथ हिंसा की घटनाएं घटीं जिनमें पार्टी के कार्यकर्ता गिरफ्तार हुए। इस सब घटनाओं से मराठी वोटरों की दिलचस्पी राज ठाकरे और उनकी पार्टी में जगी और 2009 के विधानसभा चुनाव में एमएनएस 13 सीटें जीतने में कामयाब रही। तब राज ठाकरे के उभार को लेकर मीडिया में काफी सुर्खियां मिलीं
वन टाइम वंडर
2009 के चुनाव की सफलता दोहराने में राज ठाकरे नाकामयाब रहे। 2014 और 2019 के विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी हालत बेहद पतली हो गई। आज तक पार्टी एक भी बार अपना सांसद नहीं जितवा सकी है। यानी अब लोकसभा में पार्टी का एक भी सांसद नहीं पहुंचा है। कह सकते हैं राज ठाकरे ने जिन उद्देश्यों के साथ पार्टी खड़ी की थी वो अभी तो पूरे होते नहीं दिख रहे हैं

क्या अब है मौका?
2019 के विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में एक दिलचस्प गठबंधन बना है। लंबे समय तक एक दूसरे के खिलाफ खड़े शिवसेना और कांग्रेस-एनसीपी अब एक हो गए हैं। इन सबके मुखिया बने हैं उद्धव ठाकरे। उद्धव अब राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे. संवैधानिक मर्यादाओं से बंधने के कारण उद्धव अब निश्चित तौर पर पहले जैसे आक्रामक नहीं हो पाएंगे। खुद शिवसेना को भी अपने कदम संभाल कर रखने होंगे क्योंकि एनसीपी और कांग्रेस का भी दबाव काम करेगा। शिवसेना का एजेंडा कांग्रेस-एनसीपी से बिल्कुल अलग है। ऐसे में अगर उद्धव को अपनी सरकार चलानी है तो संभल कर चलना होगा।

लेकिन क्या ऐसी परिस्थितियां राज ठाकरे के लिए नई राहें खोलेंगी? शिवसेना के सरकार में होने के कारण अब राज ठाकरे के पास शिवसेना की राजनीति का खाली स्पेस भरने का मौका भी बन सकता है। संभव है कि निकट भविष्य में महाराष्ट्र में मराठी मानुष या उत्तर भारतीयों के खिलाफ राजनीति देखने को मिल सकती है

No comments: