उन्नाव रेप पीड़िता, कहती रही- मैं जीना चाहती हूं, दोषियों को छोड़ना नहीं

उन्नाव गैंगरेप : सफदरजंग अस्पताल में भर्ती पीड़िता के बारे में मेडिकल सुपरिटेंडेंट ने किया ये बड़ा खुलासाउन्नाव रेप पीड़िता दो दिन तक लड़ने के बाद आखिरकार जिंदगी की जंग हार गई दिसम्बर 6 की रात 11 बजकर 40 मिनट पर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उसकी मौत हो गई 95 प्रतिशत झुलस चुकी यूपी की यह 'निर्भया' दिसंबर 5 देर शाम लखनऊ से एयर लिफ्ट कर दिल्ली लाए जाने के बाद रात नौ बजे तक होश में थी सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराई गई पीड़िता जब तक होश में रही, पूछता रही- मैं बच तो जाउंगी, मैं जिंदा रहना चाहती हूँ। उसने ये भी कहा कि मेरे दोषियों को छोड़ना नहीं
इसके बाद से उसकी हालत बिगड़ने लगी और वो बेहोश हो गई उसका इलाज कर रहे डॉक्टरों ने उसे होश में रखने की पूरी कोशिश की, उसे फौरन वेंटिलेटर पर रखा गया लेकिन वो बच न सकी
दिसम्बर 5 रात 9 बजे तक होश में रही 
सफदरजंग अस्पताल के मेडिकल अफसर डॉ. सुनील गुप्ता ने बताया कि गुरुवार(दिसंबर 5) देर शाम पीड़िता लखनऊ से एयर एंबुलेंस के जरिए दिल्ली लाया गयी थी अस्पताल पहुंचने पर तुरंत ही सात डॉक्टरों की टीम ने उसका इलाज शुरू कर दिया था बर्न डिपार्टमेंट के हेड डॉ. शलभ की देखरेख में पीड़िता का इलाज चल रहा था गुरुवार रात नौ बजे तक वो होश में रही. होश में रहने के दौरान वो बस एक ही लाइन बोली कि मैं बच तो जाउंगी, लेकिन दोषियों को छोड़ना नहीं
अब प्रश्न यह है कि 'न्यायालय से लेकर सरकार मृतक पीड़िता की बात का संज्ञान लेकर आरोपियों को जल्द से जल्द उनकी उचित जगह पहुंचाएगी?' 
पूरा मामला
बता दें कि पीड़ित युवती के साथ दिसंबर 2018 में रेप हुआ था इस मामले में मार्च 2019 में मामला दर्ज किया गया था गुरुवार तड़के वो उन्नाव से रायबरेली जाने के लिए घर से निकली थी लेकिन रास्ते में मुख्य आरोपी शुभम त्रिवेदी समेत पांच आरोपी हथियारों के बल पर घसीट कर उसे पास के खेत में ले गए और उसके साथ मारपीट की और चाकू से हमला किया इसके बाद पांचों ने मिट्टी का तेल छिड़क कर पीड़िता को जला दियापीड़िता रायबरेली में अपने वकील से मिलने के लिए ट्रेन पकड़ने जा रही थी जब ये घटना हुई
बलात्कार अपराधियों को जमानत क्यों?
जिन अपराधियों ने उन्नाव की निर्भय को इस स्थिति में पहुँचाया, उन्हें कुछ ही दिन पूर्व जमानत मिली थी और उसका लाभ उठाते, उन्होंने ने गवाह को ही समाप्त करने को अंजाम देने में सफल हो गए। ऐसे में जमानत देने वाले जज से भी पूछा जाए कि 'आखिर किस आधार पर जमानत दी?' अब यह मुद्दा जरुरत से ज्यादा संगीन हो गया है।  आखिर किन लोगों के दबाब में जमानत दी गयी?
कैंडल मार्च 
हैदराबाद कांड के बाद से लगभग हर चैनल चर्चा करता दिखा। इन परिचर्चाओं में कई मुद्दे उभरकर आए। एक, कैंडल मार्च पर प्रश्न चिन्ह; दो, किस कारण निर्भय दोषी की दया याचिका को हैदराबाद कांड से पूर्व क्यों दबाए रही?; बलात्कार दोषियों द्वारा जुल्म कबूल करने उपरांत क्यों न्याय में इतना समय लगता है? चार, दया याचिका प्रावधान क्यों? 
फिल्में, केवल मनोरंजन ही नहीं, बल्कि समाज की पांचवीं आंख एवं आइना माना जाता है, बलात्कार मुद्दे पर कई फिल्में  आयी, और सफल भी हुईं। लेकिन जनता से लेकर किसी नेता ने कभी गंभीरता से नहीं लिया। क्योकि जब आपराधिक मानसिकता से ग्रस्त नेताओं को पार्टियां टिकट देकर चुनावी मैदान में उतरेंगी और चुनाव आयोग उस व्यक्ति को चुनाव लड़ने की अनुमति देगा, फिर कहाँ से देश अपराध मुक्त होगा, और कल्पना करना भी व्यर्थ है। 
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आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 21वीं सदी में जहां महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं, तो वहीं उनके स.....  
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