बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया पर अंकुश लगाने के लिए क़ानून बनाने की मांग की है। उनका कहना है कि संसदीय कार्यवाही पर किसी सांसद को ट्रोल करने का हक़ सोशल मीडिया को नहीं होना चाहिए।
सांसद को सोशल मीडिया पर प्रतिबन्ध की मांग उठाने से पहले सोंचना चाहिए था, कि जो मै बोल रहा हूँ उसका जनता में क्या सन्देश जाएगा? सत्तारूढ़ सांसद होने का यह मतलब नहीं, जो चाहे बोल दो। फिर अंग्रेजी में कहावत है "Charity begins at home" यानि सर्वप्रथम अपने पार्टी अध्यक्ष से पार्टी के IT cell को बंद करे, हर गलती जनता पर मत थोपो। रामायण और महाभारत के महत्त्व और गरिमा को आप जैसे ही नेता गिराते हैं, कोई अन्य नहीं, वह तो आप जैसों की बातों को पकड़ हिन्दू ग्रंथों पर ऊँगली उठाते हैं।
दूसरे, सांसद इस बात का बोध होना चाहिए कि GDP ऊपर नीचे आती जाती रहेगी, लेकिन रामायण और महाभारत की महिमामंडन नहीं।
दरअसल दिसम्बर 2 को गिरती जीडीपी का बचाव करते हुए निशिकांत दुबे ने कहा था कि जीडीपी का कोई मतलब नहीं है, इसलिए उन्हें ट्रोल किया गया। झारखंड के गोड्डा संसदीय क्षेत्र से सांसद दुबे ने लोकसभा में शून्य काल के दौरान यह मामला उठाया। दुबे ने कहा, 'मैं आपसे (लोकसभा अध्यक्ष से) सुरक्षा की मांग करता हूं सर। जब संविधान का निर्माण हुआ था, अनुच्छेद 105 और 105(2) में यह उल्लेखित था कि सदन में जिस मुद्दे पर भी चर्चा होगी, मामले की रिपोर्टिग समुचित ढंग से होगी और कोई भी सदस्य बिना किसी डर और पक्षपात के अपना विचार रख सकेगा। जब अनुच्छेद 105 का निर्माण हुआ था, तब सोशल मीडिया और ब्रेकिंग न्यूज नहीं था।'
दिसम्बर 2 को कराधान (संशोधन) विधेयक, 2019 पर सदन में जीडीपी पर दिए अपने बयान का संदर्भ देते हुए, सांसद ने कहा, 'मैं जीडीपी पर चर्चा कर रहा था और मैं साइमन कुज्नेत्स की एक रिपोर्ट का संदर्भ दे रहा था, जिन्होंने जीडीपी का निर्माण किया था।' उन्होंने कहा, 'अपनी रिपोर्ट में, कुज्नेत्स ने खुद 1934 में स्वीकार किया था कि वह जीडीपी की अवधारणा से खुश नहीं हैं। इस पर पूरी दुनिया में चर्चा चल रही है।'
नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनोमिक रिसर्च के एक अर्थशास्त्री साइमन ने अमेरिका में अपनी रिपोर्ट में जीडीपी के निर्माण की मूल अवधारणा पेश की थी। दुबे ने कहा, 'मैंने 2008 में फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी द्वारा बनाई गई एक समिति की रिपोर्ट को सामने रखा था, जिसमें अमर्त्य सेन, प्रोफेसर जोसेफ कीथ और चिन पॉल शामिल थे।' उन्होंने कहा, 'साइमन कुज्नेत्स ने 1934 में जो कहा था, वहीं इनलोगों ने अपनी रपटों में कहा।' सांसद ने कहा कि उनके पिता, माता और पूरे परिवार को गाली दी गई।उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से कहा, 'इसलिए, मैं निजी तौर पर आपके जरिए सरकार से आग्रह करना चाहता हूं कि इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए एक कानून बनाया जाना चाहिए।'
सांसद ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से आग्रह किया कि वह किसी के भी द्वारा की गई इस तरह की गतिविधि से संरक्षण प्रदान करने के लिए सांसदों के संरक्षक के तौर पर जरूरी कदम उठाएं, चाहे वह सोशल मीडिया, इलेक्ट्रोनिक मीडिया या प्रिंट मीडिया हो।
गिरती GDP पर रामायण और महाभारत का उदाहरण देने पर ऋचा चड्ढा का वार
लगातार घटती आर्थिक विकास दर और GDP का मुद्दा दिसम्बर 2 को लोकसभा में उठा लेकिन बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के सदन में GDP को लेकर ऐसा बयान दिया कि सदन में जमकर हंगामा हो गया। लोकसभा में निशिकांत दुबे ने कहा "जीडीपी 1934 में आई, इससे पहले कोई जीडीपी नहीं थी, सिर्फ जीडीपी को बाइबल, रामायण या महाभारत मान लेना सत्य नहीं है और भविष्य में जीडीपी (GDP) का बहुत ज्यादा उपयोग नहीं होगा। जीडीपी से अधिक जरूरी है आम आदमी का स्थायी आर्थिक कल्याण होना जो हो रहा है।"
अब बीजेपी सांसद के इस बयान पर बॉलीवुड एक्ट्रेस ऋचा चड्ढा ने जमकर निशाना साधा है। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल के जरिए लिखा है, 'अ वाइज मैन वंस सैड...इन द लॉन्ग रन, वी विल ऑल बी डैड...' ऋचा चड्ढा के इस ट्वीट पर लोग खूब कमेंट कर रहे हैं और अपनी प्रतिक्रिया दे रहे है. हालांकि ऋचा चड्ढा ने अर्थशास्त्री जॉन मेनार्ड कीन्स के कोट का इस्तेमाल किया है। बता दें कि एक्ट्रेस ऋचा चड्ढा अपने ट्वीट को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहती हैं।
सांसद को सोशल मीडिया पर प्रतिबन्ध की मांग उठाने से पहले सोंचना चाहिए था, कि जो मै बोल रहा हूँ उसका जनता में क्या सन्देश जाएगा? सत्तारूढ़ सांसद होने का यह मतलब नहीं, जो चाहे बोल दो। फिर अंग्रेजी में कहावत है "Charity begins at home" यानि सर्वप्रथम अपने पार्टी अध्यक्ष से पार्टी के IT cell को बंद करे, हर गलती जनता पर मत थोपो। रामायण और महाभारत के महत्त्व और गरिमा को आप जैसे ही नेता गिराते हैं, कोई अन्य नहीं, वह तो आप जैसों की बातों को पकड़ हिन्दू ग्रंथों पर ऊँगली उठाते हैं।
दूसरे, सांसद इस बात का बोध होना चाहिए कि GDP ऊपर नीचे आती जाती रहेगी, लेकिन रामायण और महाभारत की महिमामंडन नहीं।
दरअसल दिसम्बर 2 को गिरती जीडीपी का बचाव करते हुए निशिकांत दुबे ने कहा था कि जीडीपी का कोई मतलब नहीं है, इसलिए उन्हें ट्रोल किया गया। झारखंड के गोड्डा संसदीय क्षेत्र से सांसद दुबे ने लोकसभा में शून्य काल के दौरान यह मामला उठाया। दुबे ने कहा, 'मैं आपसे (लोकसभा अध्यक्ष से) सुरक्षा की मांग करता हूं सर। जब संविधान का निर्माण हुआ था, अनुच्छेद 105 और 105(2) में यह उल्लेखित था कि सदन में जिस मुद्दे पर भी चर्चा होगी, मामले की रिपोर्टिग समुचित ढंग से होगी और कोई भी सदस्य बिना किसी डर और पक्षपात के अपना विचार रख सकेगा। जब अनुच्छेद 105 का निर्माण हुआ था, तब सोशल मीडिया और ब्रेकिंग न्यूज नहीं था।'
दिसम्बर 2 को कराधान (संशोधन) विधेयक, 2019 पर सदन में जीडीपी पर दिए अपने बयान का संदर्भ देते हुए, सांसद ने कहा, 'मैं जीडीपी पर चर्चा कर रहा था और मैं साइमन कुज्नेत्स की एक रिपोर्ट का संदर्भ दे रहा था, जिन्होंने जीडीपी का निर्माण किया था।' उन्होंने कहा, 'अपनी रिपोर्ट में, कुज्नेत्स ने खुद 1934 में स्वीकार किया था कि वह जीडीपी की अवधारणा से खुश नहीं हैं। इस पर पूरी दुनिया में चर्चा चल रही है।'
Nishikant Dubey, BJP MP in Lok Sabha: GDP 1934 mein aaya issey pehle koi GDP nahi tha...... Keval GDP ko Bible, Ramayan ya Mahabharat maan lena satya nahi hai aur future mein GDP ka koi bahot zyada upyog bhi nahi hoga. pic.twitter.com/MVF4j07KF9— ANI (@ANI) December 2, 2019
नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनोमिक रिसर्च के एक अर्थशास्त्री साइमन ने अमेरिका में अपनी रिपोर्ट में जीडीपी के निर्माण की मूल अवधारणा पेश की थी। दुबे ने कहा, 'मैंने 2008 में फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी द्वारा बनाई गई एक समिति की रिपोर्ट को सामने रखा था, जिसमें अमर्त्य सेन, प्रोफेसर जोसेफ कीथ और चिन पॉल शामिल थे।' उन्होंने कहा, 'साइमन कुज्नेत्स ने 1934 में जो कहा था, वहीं इनलोगों ने अपनी रपटों में कहा।' सांसद ने कहा कि उनके पिता, माता और पूरे परिवार को गाली दी गई।उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से कहा, 'इसलिए, मैं निजी तौर पर आपके जरिए सरकार से आग्रह करना चाहता हूं कि इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए एक कानून बनाया जाना चाहिए।'
सांसद ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से आग्रह किया कि वह किसी के भी द्वारा की गई इस तरह की गतिविधि से संरक्षण प्रदान करने के लिए सांसदों के संरक्षक के तौर पर जरूरी कदम उठाएं, चाहे वह सोशल मीडिया, इलेक्ट्रोनिक मीडिया या प्रिंट मीडिया हो।

लगातार घटती आर्थिक विकास दर और GDP का मुद्दा दिसम्बर 2 को लोकसभा में उठा लेकिन बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के सदन में GDP को लेकर ऐसा बयान दिया कि सदन में जमकर हंगामा हो गया। लोकसभा में निशिकांत दुबे ने कहा "जीडीपी 1934 में आई, इससे पहले कोई जीडीपी नहीं थी, सिर्फ जीडीपी को बाइबल, रामायण या महाभारत मान लेना सत्य नहीं है और भविष्य में जीडीपी (GDP) का बहुत ज्यादा उपयोग नहीं होगा। जीडीपी से अधिक जरूरी है आम आदमी का स्थायी आर्थिक कल्याण होना जो हो रहा है।"
अब बीजेपी सांसद के इस बयान पर बॉलीवुड एक्ट्रेस ऋचा चड्ढा ने जमकर निशाना साधा है। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल के जरिए लिखा है, 'अ वाइज मैन वंस सैड...इन द लॉन्ग रन, वी विल ऑल बी डैड...' ऋचा चड्ढा के इस ट्वीट पर लोग खूब कमेंट कर रहे हैं और अपनी प्रतिक्रिया दे रहे है. हालांकि ऋचा चड्ढा ने अर्थशास्त्री जॉन मेनार्ड कीन्स के कोट का इस्तेमाल किया है। बता दें कि एक्ट्रेस ऋचा चड्ढा अपने ट्वीट को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहती हैं।
एक्ट्रेस ऋचा चड्ढा एक बार फिर अपने ट्वीट को लेकर सुर्खियों में आ गई हैं। बता दें, वित्तीय साख निर्धारित करने वाली एजेंसी क्रिसिल ने चालू वित्त वर्ष में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर के अपने अनुमान को काफी कम कर 5.1 प्रतिशत कर दिया है। इससे पूर्व में उसने वृद्धि 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। (एजेंसीज इनपुट्स सहित)A wise man once said... in the long run, we’ll all be dead. https://t.co/g7lsIn5A93— TheRichaChadha (@RichaChadha) December 2, 2019
No comments:
Post a Comment