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पाकिस्तान स्थित मुल्तान बार काउंसिल की बैठक में अल्पसंख्यक विरोधी निर्णय |
जहाँ एक तरफ भारत में नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध के नाम पर ‘जिन्ना वाली आज़ादी’ के नारे लगते हैं, उसी जिन्ना के पाकिस्तान में ऐसा प्रस्ताव पास किया गया है जिससे वहाँ के अल्पसंख्यकों की स्थिति का अंदाज़ा हो जाता है। पाकिस्तान में एक ऐसा प्रस्ताव पास किया है, जिसके बाद वहाँ ग़ैर-मुस्लिम बार काउंसिल के चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।
भारत में CAA का विरोध करने वाली कांग्रेस, वामपंथी लॉबी, भीम आर्मी, ओवैसी, समाजवादी पार्टी और मुस्लिम कट्टरपंथी आदि क्यों खामोश हैं? क्या किसी में पाकिस्तान दूतावास पर पाकिस्तान के विरुद्ध प्रदर्शन करने का साहस है? कोई नहीं बोलेगा, क्योकि यह अत्याचार मुस्लिमों द्वारा गैर-मुस्लिमों के विरुद्ध है। शर्म आनी चाहिए, एक तरफ संविधान की कसम खाते हैं, दूसरी तरफ अपने वोटों की खातिर बेकसूर जनता को दंगों की आग में झोंक, देश में अराजकता फैलाते हैं। मुल्तान बार एसोसिएशन ने ‘तहफूज़-ए-ख़त्म-ए-नबुव्वत’ नामक प्रस्ताव पास किया, जिसमें इस प्रावधान पर मुहर लगाई गई है।
न सिर्फ़ हिन्दू, ईसाई, बौद्ध, सिख, जैन और पारसी जैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों, बल्कि अहमदिया मुस्लिमों के भी चुनाव में हिस्सा लेने पर रोक लगा दी गई है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में चेनाब नदी के तट पर स्थित मुल्तान से आई ये ख़बर पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे भीषण अत्याचार की एक बानगी भर है। वहाँ हिन्दू लड़कियों के अपहरण और उनका जबरन इस्लामी धर्मान्तरण कराए जाने की ख़बरें अक्सर आती रहती हैं। यूएन ने भी अपनी रिपोर्ट में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार पर चिंता जताई थी।
Multan Bar Association passed resolution to prevent non-Muslims partaking in elections of bar council.— Veengas (@VeengasJ) January 11, 2020
What you expect when Non-Muslim cannot be president or prime minister of Pakistan https://t.co/coZBfoKazr
पाकिस्तानी मीडिया संस्थान ‘नया दौर’ की ख़बर के अनुसार, मुल्तान के डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन ने फ़ैसला लिया है कि जो भी वकील बार काउंसिल का चुनाव लड़ेगा, उसे एक एफिडेविट देना होगा। इस एफिडेविट के माध्यम से उम्मीदवारों को इस्लाम के प्रति अपनी आस्था की शपथ लेनी होगी। उन्हें इस बात की शपथ लेनी होगी कि वे पैगम्बर मुहम्मद और उनके सिद्धांतों में आस्था रखते हैं। जिस कार्यक्रम में ये प्रस्ताव पास किया गया, उसमें सभी वकीलों को पैगम्बर मुहम्मद पर आधारित पुस्तकें वितरित की गईं।
वैसे यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान में ऐसा कोई प्रस्ताव पास किया गया हो जिसमें अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव किया गया हो। इससे पहले पाकिस्तान सरकार ने ईशनिंदा क़ानून पास किया था। तब से इस क़ानून का दुरुपयोग कर के अल्पसंख्यकों को फँसाया जा चुका है।
पाकिस्तान के ननकाना साहिब में मुस्लिम भीड़ ने गुरुद्वारे पर हमला कर दिया था। एक पाकिस्तानी युवक ने एक सिख युवती का अपहरण कर के उसका जबरन इस्लामी धर्मान्तरण करा दिया था। बाद में उलटा उसके ही परिजनों ने भीड़ के साथ गुरुद्वारे पर हमला कर दिया।
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