पीसी चाको ने कर दी 2013 वाली बात: राजनीतिक पंडित चकराए!

Image result for pc chacko congressदिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतदान शनिवार(फरवरी 8) को खत्म हो गया। अब जहाँ सभी की निगाहें 11 फरवरी को होने वाली मतगणना पर है, वहीं दिल्ली कांग्रेस आगामी सरकार में अपनी भूमिका को लेकर आशान्वित नजर आने की कोशिशों में है। रिपोर्ट्स के अनुसार कांग्रेस के प्रभारी पीसी चाको ने समाचार एजेंसी एएनआइ से बातचीत में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन की संभावना पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का AAP से गठबंधन चुनावी नतीजे पर निर्भर करता है।
एएनआइ से बात करते हुए चाको ने कहा, “चुनावों के नतीजे आ जाएँ, फिर हम इस पर चर्चा करेंगे। मुझे नहीं लगता कि एग्जिट पोल के सर्वे सही हैं। एग्जिट पोल के सर्वे की अपेक्षा कांग्रेस बेहतर करेगी।”
चुनाव घोषित होते ही चर्चा थी कि 'बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस और आप के बीच गुप्त समझौता हो गया है', शायद यही कारण था कि जिस दमखम के साथ प्रचार होना था,वह कहीं नज़र नहीं आया। जनता ने समझा कांग्रेस पहले ही अपनी हार स्वीकार कर चुकी है। वैसे मुस्लिम क्षेत्रों में आप को छोड़ किसी ने प्रचार तक नहीं किया। मुस्लिम क्षेत्रों में रहने वाले हिन्दुओं को यह भी नहीं मालूम की भाजपा का या कांग्रेस का कौन है उम्मीदवार? भाजपा का अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ भी आप के पक्ष में गुप्त प्रचार करते दिखा। तत्कालीन जनसंघ से लेकर भाजपा तक कमर्ठ कार्यकर्ता कभी विपक्ष के लिए प्रचार करते नहीं ना देखा अथवा सुना गया। लेकिन जब से अन्य दलों से जो हिन्दू अथवा मुस्लिम भाजपा में सम्मिलित हुए हैं, यह बातें आम हो गयी हैं, जिसके विषय में इसी ब्लॉग पर कई बार लिख भी चूका हूँ, परन्तु किसी ने परवाह तक नहीं की। 
खैर, चुनाव बाद हुए एग्जिट पोल में कांग्रेस सत्ता की दौड़ में काफी पिछड़ती नजर आ रही है। कई एग्जिट पोल में तो कांग्रेस को एक भी सीट मिलती नहीं दिखती। ऐसी स्थिति में पीसी चाको का बयान आशावादियों के लिए एक बेंचमार्क ही समझा जाना चाहिए। चाको के इस बयान ने सभी राजनीतिक पंडितों को पशोपेश में डाल दिया है कि कहीं कुछ गड़बड़ है। दूसरे, 2015 की भांति कांग्रेस ने अपना वोट आप को और जहाँ आप का उम्मीदवार कमजोर होने की स्थिति में कांग्रेस को वोट डालने के लिए कोई समझौता हो गया हो। 

हालाँकि जानकारों के मुताबिक कॉन्ग्रेस के वोटों में इस बार वृद्धि होने की संभावना है, जो दहाई की संख्या तक भी पहुँच सकती है। लेकिन उसको मिलनी वाली सीटों की संख्या मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 2-4 से ऊपर जाने की कोई उम्मीद, कम से कम एग्जिट पोल्स के अनुसार तो नहीं ही नजर आ रही।
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आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार दिल्ली विधानसभा चुनाव के मतदान की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, सियासी तस्वीर स्पष्....

2013 में विधानसभा परिणाम त्रिशंकु आने पर एक दूसरे के खिलाफ लड़ने वाली केजरीवाल की पार्टी और कांग्रेस के बीच पहले भी गठबंधन हो चुका है।

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