
एएनआइ से बात करते हुए चाको ने कहा, “चुनावों के नतीजे आ जाएँ, फिर हम इस पर चर्चा करेंगे। मुझे नहीं लगता कि एग्जिट पोल के सर्वे सही हैं। एग्जिट पोल के सर्वे की अपेक्षा कांग्रेस बेहतर करेगी।”
चुनाव घोषित होते ही चर्चा थी कि 'बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस और आप के बीच गुप्त समझौता हो गया है', शायद यही कारण था कि जिस दमखम के साथ प्रचार होना था,वह कहीं नज़र नहीं आया। जनता ने समझा कांग्रेस पहले ही अपनी हार स्वीकार कर चुकी है। वैसे मुस्लिम क्षेत्रों में आप को छोड़ किसी ने प्रचार तक नहीं किया। मुस्लिम क्षेत्रों में रहने वाले हिन्दुओं को यह भी नहीं मालूम की भाजपा का या कांग्रेस का कौन है उम्मीदवार? भाजपा का अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ भी आप के पक्ष में गुप्त प्रचार करते दिखा। तत्कालीन जनसंघ से लेकर भाजपा तक कमर्ठ कार्यकर्ता कभी विपक्ष के लिए प्रचार करते नहीं ना देखा अथवा सुना गया। लेकिन जब से अन्य दलों से जो हिन्दू अथवा मुस्लिम भाजपा में सम्मिलित हुए हैं, यह बातें आम हो गयी हैं, जिसके विषय में इसी ब्लॉग पर कई बार लिख भी चूका हूँ, परन्तु किसी ने परवाह तक नहीं की।
खैर, चुनाव बाद हुए एग्जिट पोल में कांग्रेस सत्ता की दौड़ में काफी पिछड़ती नजर आ रही है। कई एग्जिट पोल में तो कांग्रेस को एक भी सीट मिलती नहीं दिखती। ऐसी स्थिति में पीसी चाको का बयान आशावादियों के लिए एक बेंचमार्क ही समझा जाना चाहिए। चाको के इस बयान ने सभी राजनीतिक पंडितों को पशोपेश में डाल दिया है कि कहीं कुछ गड़बड़ है। दूसरे, 2015 की भांति कांग्रेस ने अपना वोट आप को और जहाँ आप का उम्मीदवार कमजोर होने की स्थिति में कांग्रेस को वोट डालने के लिए कोई समझौता हो गया हो।
PC Chacko, Congress on being asked about any possibility of Congress-AAP alliance: It depends on the results. Once results are out then only we can discuss it; I think the surveys are not correct. Congress is likely to do better than what surveys predict. #DelhiElections pic.twitter.com/0wmLSrIauI— ANI (@ANI) February 9, 2020
हालाँकि जानकारों के मुताबिक कॉन्ग्रेस के वोटों में इस बार वृद्धि होने की संभावना है, जो दहाई की संख्या तक भी पहुँच सकती है। लेकिन उसको मिलनी वाली सीटों की संख्या मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 2-4 से ऊपर जाने की कोई उम्मीद, कम से कम एग्जिट पोल्स के अनुसार तो नहीं ही नजर आ रही।
अवलोकन करें:-
2013 में विधानसभा परिणाम त्रिशंकु आने पर एक दूसरे के खिलाफ लड़ने वाली केजरीवाल की पार्टी और कांग्रेस के बीच पहले भी गठबंधन हो चुका है।
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