चाँदबाग में एजेंडा लेकर रिपोर्टिंग करने पहुँचे राजदीप सरदेसाई, युवक ने की बोलती बंद

दिल्ली दंगा, राजदीप सरदेसाई
उत्तर-पूर्वी दिल्ली का चॉंदबाग हिंदू विरोधी दंगों का केंद्र बनकर उभरा है। यहीं आप के पार्षद रहे ताहिर हुसैन की वह तहखाने वाली इमारत भी है, जहॉं स्थानीय लोग करीब 3000 दंगाइयों के जुटने की बात कहते हैं। यहॉं से पत्थर और बम फेंके गए। गोलियॉं चली। आईबी के अंकित शर्मा की निर्मम तरीके से हत्या हुई। एफआईआर दर्ज होने के बाद से ताहिर फरार है।
इसी चॉंदबाग में राजदीप सरदेसाई भी रिपोर्टिंग करने पहुॅंचे। राजदीप की गिनती उन एजेंडाबाज पत्रकारों में होती है, जिनका एक ही धर्म है मुसलमानों को पीड़ित दिखाओ और हिंदुओं को हमलावर। इसी एजेंडे के साथ वे चॉंदबाग भी पहुॅंचे लेकिन एक युवक ने उनके मंसूबों को नाकाम कर दिया।
चाँदबाग का जायजा ले रहे राजदीप ने कई लोगों से बात की। इसी दौरान उन्होंने एक युवक ये कुछ सवाल करने शुरू किए और अपना हिंदू-मुस्लिम एजेंडा चलाने के लिए उससे पूछते नजर आए कि सामने जो दुकान जलाई गई है, वो किसकी है?
उनके इस सवाल से पहले वहाँ मौजूद सभी लोग उन्हें अपनी पीड़ा सुना रहे थे। ये बता रहे थे कि किस तरह दंगाइयों ने हमला किया। लेकिन सरदेसाई इस बीच लगातार हिंदू-मुस्लिम कर रहे थे। ऐसे में लोगों ने उन्हें समझाया भी कि हिंदू भी इंसान ही हैं। वो भी डरे हुए हैं। लेकिन जब इसके बाद भी सरदेसाई नहीं माने और सामने एक जली दुकान को लेकर सवाल किया तो वह युवक राजदीप के सवालों के पीछे छिपे उद्देश्य को समझ गया और कहने लगा, “ये मैटर नहीं करता दुकान किसकी है…मैटर ये करता है कि नुकसान किसका हुआ हुआ। आप पूछना चाहते हैं कि ये दुकान हिंदू की है या मुसलमान की। मैं क्यों बताऊँ किसकी है। मैं तो कहूँगा कि नुकसान हमारा भी हुआ। पंचर तो वहाँ से हम भी लगवाते थे। कमाता तो वो शख्स हमसे भी था।”
इसके बाद युवक को अन्य क्षेत्र में रहने वाले अपने साथियों के बारे में बोलता सुना जा सकता है। युवक बताता है कि जब उसने भजनपुरा में अपने हिंदू साथी को फोन किया, तो उसने बताया कि वो बहुत घबराया हुआ है, कमरे में बंद है। वहीं दूसरा दोस्त हाल पूछने पर बताता है कि वो रो रहा है, क्योंकि बेटी को 2 दिन से दूध पीने के लिए लाकर नहीं दे पाया हूँ।
युवक लगातार दिल्ली हिंसा पर राजदीप सरदेसाई से सवाल करता है कि हम लोग कैसे जमाने में हैं? क्या वाकई हम पढ़े-लिखे हैं? युवक कहता है जब हमारे परिवार वाले कहते थे कि 1992 में दंगे हुए तो हम मजाक समझते थे। हम कहते थे हम दिल्ली में रहते हैं। लेकिन परिवार वाले कहते थे कि अभी यूपी में हुआ है, इसलिए संभलकर।
युवक के अनुसार, वो एक सरकारी कर्मचारी है और उसके भाई मजदूर हैं। उसके कई दोस्तों का इस हिंसा में काफी नुकसान हुआ है। उसे कभी नहीं लगा था कि दिल्ली में ये सब होगा, लेकिन अब जब ये सब देख रहे हैं तो उनके चेहरे पर डर को साफ देखा जा सकता है। ऐसी स्थिति में जब सरदेसाई युवक से पूछते हैं कि इतने के बावजूद वो इस इलाके में रहेंगे या नहीं, तो वो कहते हैं कि जब उनका परिवार पाकिस्तान नहीं गया, तो वो चाँदबाग क्यों छोड़ देंगे? इसके बाद राजदीप सरदेसाई उसे शाबाशी देते नजर आए। लेकिन बता दें युवक द्वारा सरदेसाई को दिए जवाब की क्लिप सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है।

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