हिन्दुओं को सड़क पर काटना शुरू करो, तभी वे सबक सीखेंगे: दिलवर शेख, राणा अयूब का फैन

दिलवर शेख, राणा अयूब
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
कहते हैं कमान से निकला तीर और मुंह से निकले शब्द कभी वापस नहीं होते, उसी तरह हाथ में हथियार या शरीर पर बम बाँधकर तबाही मचाने वाले आतंकवादी से कहीं अधिक खतरनाक वह होता है जो संचार के माध्यमों से किसी समुदाय के ख़िलाफ ज़हर उगलता है। हाथों में हथियार लिए आतंकी अपने सामने वाले को ही नुकसान पहुँचा सकता है, लेकिन सोशल मीडिया पर ज़हर उगलने वाले न जाने कितने लोगों को जिहादी बनाते हैं। कमलेश तिवारी जैसों की निर्मम हत्या के मामलों में ऐसा दिखा भी है। लेकिन जेहादी और हिन्दुओं से नफरत करने अथवा फ़ैलाने वालों को नहीं मालूम कि हिन्दुओं को समाप्त करने में किसी मुग़ल ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी, परन्तु वे दुनिया से चले गए, हिन्दू धर्म नहीं। भारत में भी उनका नाम तुष्टिकरण पुजारियों की वजह से जिन्दा है, वरना दुनियां में कोई नहीं जनता।
दूसरे, यह कि हिन्दू विरोधी देशों के स्लीपर सेल की भारत में कोई कमी नहीं। जो चंद चांदी के टुकड़ों की खातिर भारत में रहकर भारत के ही विरुद्ध साज़िशकर्ताओं के षडयंत्रों को अंजाम देने की कोई कसर नहीं छोड़ रहे। सरकार और गुप्तचर एजेंसीज को चाहिए कि इन जैसों की गंभीरता से जाँच करे।  
यदि किसी हिन्दू ने इस्लाम के विरुद्ध ट्वीट किया होता, '#intolerance, #mob lynching, गंगा-यमुना तहजीब' गैंग सक्रिय हो कर, ग़दर मचाए होता। लेकिन अब सबको सांप सूंघ गया, किसी की आवाज़ तक नहीं निकल रही।   
गृह मंत्रालय और साइबर क्राइम पुलिस को ऐसे जहरीले ट्वीट करने वालों का संज्ञान लेकर सख्त कार्यवाही करने की जरुरत है। अगर इन जहरीले और आस्तीन के साँपों को समय रहते नहीं दबोचा गया, देश में अशांति फ़ैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगें। देश को आग में झोंक कर ऐसे जहरीले लोग मालपुए खाएंगे और बेगुनाह साम्प्रदायिकता की आग में जलते रहेंगे। 
कुछ ऐसा ही ज़हर खुद को अलजजीरा का संवाददाता और द वायर का पूर्व पत्रकार बताने वाला दिलवर शेख ने एक ट्वीट में उगला है। दिलवर शेख ने ट्वीट किया है, “हिन्दुओं को सड़क पर काटना शुरू करो, तभी वे(हिन्दू) सबक सीखेंगे। उन लोगों की नरसंहार होना चाहिए, जो इस्लाम का अपमान करते हैं।” हालाँकि इसके बाद शेख ने ट्विटर अकाउंट डिलीट कर दिया।
आखिर कौन है दिलवर शेख और राणा अयूब? किसके इशारे या कहने पर साम्प्रदायिकता का जहर घोल रहे हैं? गंभीर जाँच ही ऐसे असामाजिक तत्वों पर नकेल डाल सकती है। 
तारिक फतह ने उसके ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए ट्वीट किया है, “मिलिए… दिलवर शेख से जो अपने आप को अलजजीरा का संवाददाता और राणा अयूब जैसे लोगों का फैन बताया है, जो चाहता है हिन्दुओं को काटना शुरू कर देना चाहिए, तभी ये सबक सीखेंगे।”

इसी स्क्रीनशॉट के साथ @Imamofpeace ने ट्वीट किया है, “वेल्स के कार्डिफ़ में अल-जज़ीरा के संवाददाता, हिन्दुओं के कसाई और उन सभी लोगों का नरसंहार करने का आह्वान करते हैं, जो इस्लाम का अपमान करते हैं। यह उस प्रकार की गंदगी है, जिसने ब्रिटेन को प्रभावित किया है।”


बूम लाइव ने दिलवर के दावों को गलत पाया है। अल जजीरा और वायर ने भी उसके अपने साथ कभी जुड़े होने का खंडन किया है।
लेकिन इससे यह पता चलता है कि राणा अयूब जैसे स्वयंभू पत्रकार जो प्रोपेगेंडा फैलाते हैं उससे दिलवर जैसे जेहादी कैसे तैयार होते हैं। इनके मीठे जहर से तैयार हुए दिलवर जैसे लोग सोशल मीडिया के जरिए हिन्दुओं के कत्लेआम की इच्छा जताते हैं। उत्तर-पूर्वी दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगों के दौरान राणा अयूब ने एक ऐसा विडियो शेयर किया था जिससे प्रतीत हो कि मस्जिद जलाया जा रहा है। बाद में गिरफ्तारी के डर से उसने ट्वीट डिलीट कर दिया था। मुसलमानों की हिंसक भीड़ को शांतिदूत बताकर हिन्दुओं के खिलाफ जहर उगलने में राणा अयूब उस्ताद रही है।

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