जामिया मिलिया इस्लामिया ने असिस्टेंट प्रोफेसर अबरार अहमद को सस्पेंड कर दिया है। उसने नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन करने वाले 15 गैर मुस्लिम छात्रों को फेल करने का दावा किया था। अबरार ने एक ट्वीट में ऐसा करने का दावा किया था। यूनिवर्सिटी ने ट्वीट कर उसे सस्पेंड करने की जानकारी दी है। इसमें कहा गया है कि अबरार ने जो दावा किया है वो गंभीर और अस्वीकार्य है। इसलिए जाँच पूरी होने तक उसे निलंबित कर दिया गया है।
प्रोफेसर अबरार ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि मेरे सभी विद्यार्थी पास हो गए, सिर्फ 15 गैर मुस्लिमों को छोड़कर, जो सीएए के समर्थन में थे या फिर सीएए का विरोध करने वालों के खिलाफ में थे।
इतना ही नहीं उसने अपनी कक्षा के 15 गैर-मुस्लिम छात्रों को धमकी दते हुए कहा था कि 55 छात्र उसके समर्थन में हैं। अगर उन्होंने सीएए विरोधी प्रदर्शनों का विरोध नहीं बंद किया तो 55 छात्र उन्हे दंगों के माध्यम से सबक सिखाएँगे। वहीं जामिया के एक सूत्र ने कहा कि प्रोफेसरों को गैर मुस्लिम छात्रों के रोल नंबर पता है इसलिए प्रोफसर को गैर-मुस्लिम छात्रों की पहचान करना आसान है। हालाँकि बाद में अबरार ने अपने ट्वीट पर सफाई देते हुए इसे मजाक बताया था।
अबरार ज़ाकिर नाइक का भी अनुयायी है। वो ट्विटर पर ज़ाकिर नाइक को फॉलो करता है और उसकी विचारधारा भी कट्टर इस्लामी है। वह इससे पहले भी हिन्दुओं को लेकर भद्दी और आपत्तिजनक टिप्पणी कर चुका है। अपनी एक ट्वीट में उसने कहा था कि अगर भारत हिन्दू राष्ट्र बन गया तो फिर यहाँ की महिलाओं का क्या होगा? उसने कहा था कि अधिकतर बलात्कार आरोपित वही हैं, जो हिन्दू राष्ट्र या फिर रामराज की बात करते हैं। इससे पता चलता है कि वो हिन्दुओं से किस कदर नफरत करता है। साथ ही उसने कोरोना वायरस को लेकर भी सरकार के दावों और मेडिकल जगत की सलाहों पर पानी फेरने की कोशिश की थी।
अबरार ने कहा था कि कोरोना वायरस या फिर इस प्रकार की बाकी चीजें अल्लाह की परीक्षा है। उसने दावा किया था कि कोरोना वायरस से डरे बगैर सभी को सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी रखना चाहिए। यहाँ सवाल ये उठता है कि ऐसे व्यक्ति पर आज तक जामिया ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की, जब वो खुले रूप से सोशल मीडिया को माध्यम बना कर इस तरह की घृणास्पद बातें कर रहा है। एक ऐसा प्रोफेसर, जो कोरोना वायरस को ‘अल्लाह का इम्तिहान’ बताता है।
प्रोफेसर अबरार ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि मेरे सभी विद्यार्थी पास हो गए, सिर्फ 15 गैर मुस्लिमों को छोड़कर, जो सीएए के समर्थन में थे या फिर सीएए का विरोध करने वालों के खिलाफ में थे।
Dr. Abrar Ahmad, Asstt Professor of @jmiu_official tweeted in public domain as to failing 15 non-muslim students in an exam. This is a serious misconduct inciting communal disharmony under CCS CONDUCT RULES.The university suspends him pending inquiry.@DrRPNishank @HRDMinistry— Jamia Millia Islamia (Central University) (@jmiu_official) March 25, 2020
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जामिया के प्रोफेसर डॉ. अबरार द्वारा किए गए दो ट्वीट के स्क्रीन शॉट |

अबरार ने कहा था कि कोरोना वायरस या फिर इस प्रकार की बाकी चीजें अल्लाह की परीक्षा है। उसने दावा किया था कि कोरोना वायरस से डरे बगैर सभी को सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी रखना चाहिए। यहाँ सवाल ये उठता है कि ऐसे व्यक्ति पर आज तक जामिया ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की, जब वो खुले रूप से सोशल मीडिया को माध्यम बना कर इस तरह की घृणास्पद बातें कर रहा है। एक ऐसा प्रोफेसर, जो कोरोना वायरस को ‘अल्लाह का इम्तिहान’ बताता है।
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