धनबाद : फिर पकडे गए मस्जिद में छिपे 10 जमाती, भेजे गए जेल

धनबाद विदेशी मुसलमानदेश भर में मस्जिदों में छिपे कोरोना संदिग्धों के मामले थम नहीं रहे हैं। पुलिस को ऐसे संदिग्ध मामलों में भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। ऐसे ही एक मामले में झारखंड में धनबाद की एक अदालत ने रविवार (अप्रैल 19, 2020) को इंडोनेशिया के 10 नागरिकों को 14 दिन के अनिवार्य क्वारंटाइन की अवधि पूरा करने बाद जेल भेज दिया है। ये लोग दिल्ली के तबलीगी जमात इज्तिमा से वापस आने के बाद यहाँ एक मस्जिद में छुपे मिले थे।
झारखंड के धनबाद में गोविंदपुर आसनबनी मस्जिद में छुप कर रहने वाले सभी 10 इंडोनेशियाई नागरिकों के खिलाफ गोविंदपुर थाने में वीजा उल्लंघन के मामले में 9 अप्रैल को केस दर्ज किया गया था। टूरिज्म वीजा पर भारत आकर यहाँ बगैर अनुमति के धर्म प्रचार करने के आरोप सहित आईपीसी की धारा 175, 176, 188, 269, 270, 271 एवं 34 और विदेश अधिनियम तथा महामारी अधिनियम की धारा 3 के तहत रविवार को इन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया।
विदेशी नागरिकों के साथ ही महाराष्ट्र के ठाणे से आए दो गाइड व आसनबनी मस्जिद के सदर और सचिव को आरोपित बनाया गया है। हालाँकि फिलहाल इन चारों को जेल नहीं भेजा गया है। लेकिन पुलिस इन्हें भी जल्द जेल भेजने की तैयारी में है।
मस्जिद में छिपे विदेशी मुसलमानों के विरुद्ध FIR 
इंडोशिया से आए अंधिका फहमी, मोहम्मद रिजकी हिदायह, मोहम्मद यूसुफ इस्कंदर, सतरिया बायु आदिक पुतरा, अहमद ओंटे, अब्दुल्लो सुदियाना, उनदाग सुपरमैन, अखमद  हमजाह, नसरुद्दीन तथा तौफीक सगाला लबाबा को रविवार को जेल भेजा गया। महाराष्ट्र ठाणे डाइगर शिवड़ी नगर से आए गाइड जफ्फार इस्लामुद्दीन मुंशी इशाक तथा मसूद खान एवं आसनबनी के सदर गुलाम मुस्तफा व सचिव शौकत अंसारी को भी जल्द ही पुलिस जेल भेजेगी।
पुलिस को सूचना न देना पड़ेगा महंगा 
पुलिस अधिकारी ने बताया कि इंडोनेशिया के नागरिक दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के इज्तिमे में शामिल हुए थे और वहाँ से वापस आने पर धनबाद के गोबिंदपुर ब्लॉक की एक मस्जिद से 24 मार्च को छुपे मिले थे। इसकी जानकारी मस्जिद के सदर गुलाम मुस्तफा और सचिव गोविंदपुर रंगडीह निवासी शौकत अंसारी ने थाने में नहीं दी। उन्होंने पुलिस को अपना कोई दस्तावेज नहीं दिखाया। लॉकडाउन के बावजूद इन्होंने कई मस्जिदों में जमात लगाकर मजहब का प्रचार किया।
करवाई गयी कोरोना जाँच 
जेल भेजने से पूर्व सभी इंडोनेशिया नागरिक IIT (ISM) में 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन किए गए थे। 15 अप्रैल को ही इन लोगों की क्वारंटाइन अवधि समाप्त हो गई। जिसके बाद पुलिस ने दोबारा 16 मार्च को सभी इंडोनेशिया नागरिकों के कोरना संक्रमण की जाँच कराई। सभी की रिपोर्ट नेगेटिव मिले। जिसके बाद उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल भेजा गया।
24 मार्च को राँची के तमाड़ इलाके के रड़गाँव मस्जिद से 11 विदेशी मुस्लिमों को शनिवार (अप्रैल 18, 2020) को जेल भेज दिया गया। सभी को 25 दिनों तक क्वारंटाइन सेंटर में रखने के बाद सबोंको जेल भेज दिया गया। जेल भेजने से पूर्व उनकी स्वास्थ्य जाँच की गई। सभी की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई।
जादूगोड़ा थाने में इन लोगों के खिलाफ वीजा एवं लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने के दर्ज मामले में यह कार्रवाई की गई है। जाँच के बाद पुलिस ने बताया कि ये लोग टूरिस्ट वीजा पर आकर धर्म का प्रचार कर रहे थे। यह वीजा कानून का उल्लंघन है। 
मस्जिदें इबादत के लिए हैं अराजकता फ़ैलाने के लिए? 
आशा वर्कर पर हमला
बेंगलुरु में आशा वर्कर पर हमला ( साभार: OneIndia)
कोरोना वायरस संक्रमण की जॉंच में जुटी टीमों को निशाना बनाने की हाल में देश के कई शहरों से घटनाएँ सामने आई है। अब इसमें कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु का नाम भी जुड़ गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार बेंगलुरु के सादिक मोहल्ले में कोरोना संक्रमण के लक्षणों के बावत जाँच पड़ताल करने और नमूने लेने के लिए नर्स और आशा कार्यकर्ता गई थीं। लेकिन उन पर मुस्लिम भीड़ ने हमला कर दिया।
मेडिकल टीम मोहल्ले में से बुखार या कफ आदि लक्षण के संदर्भ में डाटा जुटा रही थी। यह कवायद राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार थी। सरकार ने कोरोना के लक्षणों की पहचान के लिए सैंपल इकट्ठा करने और टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर उन्हें आइसोलेशन में रखने की योजना बना रखी है। इसका मकसद महामारी पर काबू पाना है।
सादिक मोहल्ला गई आशा वर्कर और नर्स पर मस्जिद से ऐलान होते ही भीड़ ने किया हमला
हैरतअंगेज तरीके से नमाज वाली टोपी पहने लोग आशा वर्कर्स पर हमला करते और उनके द्वारा बनाई गई रिपोर्ट को फाड़ कर फेंकते दिखाई पड़ रहे हैं। इसके अलावा इन मुस्लिमों ने अपने साथ रहने वाले दूसरों से भी राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन को धार्मिक यात्राओं से संबंधित किसी भी तरह की ट्रेवल हिस्ट्री और निजी जानकारी देने से भी मना किया हुआ है।
मुस्लिम मोहल्ले सादिक में कोरोना से मिलते-जुलते लक्षणों के बावत जानकारी जुटाने गई आशा वर्कर ने जो आपबीती सुनाई है, वह सिहरन पैदा करने वाली है।


आशा वर्कर के अनुसार मस्जिद से घोषणा की गई। इसके बाद तकरीबन 100 लोगों की भीड़ ने आकर उन्हें घेर लिया। कोरोना की आशंका वाले लोगों से संबंधित जानकारी जुटाने से उन्हें रोका। पीड़ित महिला ने भीड़ को भड़काने के लिए मस्जिद प्रबंधन के खिलाफ तुरंत एक्शन लेने की माँग की है।
जिस समय देश का अमूल्य संसाधन कोरोना संक्रमण को रोकने में उपयोग होना था, वह मरकज में शामिल हुए लोगों को ट्रेस करने में जाया हो रहा है। इतना ही नहीं मेडिकल टीमों और पुलिस-प्रशासन पर मुस्लिम भीड़ के हमलों की ख़बरें लगातार आ रही है।
अप्रैल 1 को ही इंदौर के टाटपट्टी भाखल इलाके में भी कोरोना वायरस संक्रमण की आशंका वाले एक रोगी की जाँच करने गई मेडिकल टीम पर पत्थरों से हमला बोला गया था। रिपोर्ट्स के अनुसार मोहल्ले में इकट्ठा हुई भीड़ ने भेड़ियों की तरह मेडिकल टीम पर हमला बोल दिया, उन पर छतों से पत्थर फेंके। मेडिकल टीम की मदद करने की कोशिश करती पुलिस टीम पर भी हमले हुए। मुस्लिम भीड़ ने औरतों को मानव शील्ड की तरह इस्तेमाल करते हुए पुलिस पर हमले जारी रखे।
अवलोकन करें:-
इसी तरह अहमदनगर में भी मरकज में शामिल हुए लोगों के सम्पर्क में आने वालों का डाटा जुटाने गई मेडिकल टीम पर हमला हुआ। हमले की वजह यह शक बताया जा रहा कि मेडिकल टीम नागरिकता संशोधन और एनआरसी के लिए आँकड़े जुटा रही है, जबकि स्वास्थ्य टीम केवल उन लोगों की जानकारी जुटाने में लगी थी जिनके कोरोना संक्रमित होने या कोरोना संक्रमित के सम्पर्क में आने की आशंका थी।

No comments: