तबलीगियों को जिम्मेदार ठहराने की मिली सजा; ‘मुख्तार अब्बास नकवी शिया मुसलमान, समुदाय पर कलंक’

मुख्तार अब्बास नकवी तबलीगी
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
जैसाकि सर्वविदित है कि हिन्दुओं से कहीं अधिक भेदभाव ईसाई एवं मुस्लिम धर्मों में हैं, परन्तु धर्म के नाम पर ये सभी एकजुट हो जाते हैं, जबकि हिन्दू इन लोगों की चालों में फंस जातपात में लड़ते रहते हैं, जिसे ये लोग भुनाने का मौका नहीं छोड़ते। प्रमाण के तौर पर वर्तमान कोरोना संकट को ही लें। सभी जानते हैं कि भारत में यह बीमारी विदेश से आए लोगों द्वारा ही फैली, जिसमें जमात मरकज का बहुत बड़ा योगदान रहा है। लेकिन छद्दम धर्म-निरपेक्षों ने इसे मुस्लिम समाज के विरुद्ध बना समाज में साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। 
अप्रैल 28 को India TV पर रजत शर्मा ने अपने कार्यक्रम "आज की बात" की शुरुआत इंदौर में एक व्यक्ति द्वारा 1200 लोगों में कोरोना को फ़ैलाने के समाचार से किया, अब हिन्दू-मुसलमान करने वाले राष्ट्र नहीं अपने ही समाज को बताएं कि 1200 लोग किस मजहब के पीड़ित हुए। फिर मस्जिदों में जमातियों को क्या हिन्दुओं ने छिपाया? कोरोना से पूर्व CAA के विरुद्ध हो रहे धरनों में "हिन्दुत्व की कब्र खुदेगी", "मोदी तेरी कब्र खुदेगी", "योगी तेरी कब्र खुदेगी" और "हमें चाहिए जिन्ना वाली आज़ादी" आदि नारे क्या देश का सौहार्द मजबूत करने के लिए लगाए जा रहे थे? CAA विरोध धरनों में बिरयानी, कोरमा, नाश्ता देने वाले लॉक डाउन में कहाँ गायब हो गए? अपनी काली करतूतों को छुपाने क्यों हिन्दू-मुसलमान के बाद अब शिया-सुन्नी का शोर मचाया जा रहा है? यह सब साबित करते हैं कि भारत में तुष्टिकरण करने वालों के दिन लदने शुरू हो चुके हैं। यानि जिस तरह बुझता दीया अंत में तेज रौशनी देता है, ठीक यही स्थिति इन छद्दमों की है।   
भाजपा नेता और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सोमवार (अप्रैल 27, 2020) को तबलीगी जमात को खुद को कोरोना वॉरियर्स बताने पर लताड़ा। उन्होंने उद्दंड जमातियों पर वास्तविक कोरोना वॉरियर्स को अपमानित करने का आरोप लगाया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हर हिंदुस्तानी मुसलमान को तबलीगी साबित करने की “सुनियोजित घटिया तबलीगी साजिश” रची गई है।
मुख्तार अब्बस नकवी ने इसको लेकर दो ट्वीट किए। एक ट्वीट में उन्होंने लिखा, “भारत में कोरोना फैलाने वाले तब्लीगी अपने आप को “कोरोना वारियर्स” बता रहे हैं। कमाल है… तबलीगी अपने गुनाहों पर शर्म करने के बजाय लाखों कोरोना वॉरियर्स का अपमान कर रहे हैं। इसे कहते हैं “चोरी और सीनाजोरी”।”


इसके तुरंत बाद ही उन्होंने एक और ट्वीट करते हुए लिखा, “बेशक कुछ राष्ट्रभक्त मुसलमानों ने जरूरतमंदों को प्लाज्मा दिया है पर उन्हें तबलीगी कहना ठीक नहीं। हर हिंदुस्तानी मुसलमान को तबलीगी साबित करने की “सुनियोजित घटिया तबलीगी साजिश” है।”
उनके इस बयान के बाद उन्हें मुसलमानों के एक वर्ग द्वारा सोशल मीडिया पर बुरी तरह से ट्रोल किया गया। कुछ लोगों ने उनके शिया होने की तरफ इशारा किया और दावा किया है कि शिया समुदाय ने पूरी दुनिया को भारी नुकसान पहुँचाया है।

दूसरे ने इस तरफ इशारा किया कि भाजपा ने अभी तक ‘घरवापसी’ क्यों नहीं की?

इसके साथ ही सोशल मीडिया पर कई मुसलमानों ने उनकी इस टिप्पणी के लिए गालियों की बौछार कर दी।



इतना ही नहीं, केंद्रीय मंत्री नकवी को समुदाय का कलंक भी कहा गया, लानतें दी गईं, क्योंकि उन्होंने तबलीगी जमात की आलोचना की थी। उसी तबलीगी जमात की, जिसने कोरोना वायरस के फैलने में अहम भूमिका निभाई थी।

इसमें ऐसे लोग भी शामिल थे, जिन्होंने उन पर चाटुकारिता करने का आरोप लगाया और साथ ही लगे हाथों उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा।
दरअसल कुछ जमातियों ने कोरोना से ठीक होने के बाद प्लाज्मा डोनेट करने का फैसला किया। जिसके बाद समुदाय विशेष के लोग उनके उन कुकर्मों को छिपाने में लगे थे, जिसकी वजह से देश की स्वास्थ्य व्यवस्था खतरे में है। मुख्तार अब्बास नकवी ने इन्हीं लोगों को जवाब देते हुए ये ट्वीट किया था।


दरअसल दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज में तबलीगी जमात के मजहबी कार्यक्रम हुए, जिसमें प्रशासन के दिशा-निर्देशों और लॉकडाउन का खुला उल्लंघन किया गया। इसके बाद हज़ारों लोग अलग-अलग राज्यों में जाकर छिप गए। उन्हें खोजने गए पुलिसकर्मियों और उनकी स्क्रीनिंग के लिए गई मेडिकल टीम पर हमले हुए। ऐसी एक-दो नहीं बल्कि दसियों घटनाएँ हुईं। इस तरह देश के कोने-कोने में छिपे जमातियों के संपर्क में आने से कोरोना केस में धड़ल्ले से वृद्धि देखने को मिली।
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वास्तव में यह सब कवायत अपने कुकर्मों पर पर्दा डालने के लिए किया जा रहा है। ज्ञात हो, CAA धरनों में जो भाषणों का दौर चलता था, उसमें हिन्दुओं, मोदी, योगी और अमित के विरुद्ध जो अनर्गल बातें कहे जाने के साथ-साथ भारत की अर्थव्यवस्था को भी चरमराने की बातें बोली जाती थीं। जिसका किसी ओर से कोई खेद तक प्रकट नहीं करना, क्या सिद्ध करता है? 

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