मोबाइल कंपनी लावा इंटरनेशनल (Lava) ने चीन को झटका देते हुए एक बड़ा फैसला लिया है। फैसले के तहत मोबाईल कंपनी लावा (Lava) चीन से अपने कारोबार को समेटकर भारत में लाएगा और पाँच साल के अंदर 800 करोड़ रुपए का निवेश करेगा। माना जा रहा है कि भारत में हाल ही में किए गए नीतिगत बदलावों के बाद कंपनी ने यह कदम उठाने का फैसला किया है।
लावा कंपनी (Lava) अपने फैसले के मुताबिक मोबाइल शोध एवं विकास, डिज़ाइन और विनिर्माण को अगले छह महीने के भीतर चीन से भारत में स्थानांतरित करेगा। शनिवार (16 मई, 2020) को कंपनी ने अपने बयान में कहा, “भारतीय मोबाइल फोन निर्माताओं ने गत माह सरकार द्वारा घोषित प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (पीएलआई) में चीन से अधिक लागत लाभ मिलने के बाद यह कदम उठाया है।”
लावा के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक हरिओम राय ने कहा, “हम बेसब्री से अपने पूरे मोबाइल शोध एवं विकास, डिजाइन और विनिर्माण को चीन से भारत में स्थानांतरित करने का इंतजार कर रहे हैं।” राय ने आगे कहा, “उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन के साथ दुनियाभर के बाज़ार के लिए हमारी विनिर्माण क्षमता काफी हद तक पूरी हो जाएगी, इसलिए हम इस बदलाव की योजना बना रहे हैं।”
दरअसल लावा अपने मोबाइल फोनों का 33 प्रतिशत से अधिक निर्यात मैक्सिको, अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया और पश्चिम एशिया जैसे बाज़ारों में करता है। लावा ने पिछले सप्ताह नोएडा में अपनी विनिर्माण सुविधा में 20 प्रतिशत से अधिक उत्पादन क्षमता के साथ काम शुरू किया था। कंपनी के राज्य अधिकारियों से सिफारिश मिलने के बाद इसके 3,000 में से करीब 600 कर्मचारी कारखाने में वापस आ गए हैं।
पीएलआई योजना भारत में निर्मित सामानों की तेज़ी से बिकवाली पर चार से छह प्रतिशत तक का प्रोत्साहन देती है। वहीं लावा के इस फैसले को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस बयान से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें पिछले दिनों उन्होंने ‘लोकर के लिए वोकल’ बनने की बात कही थी।
अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज का ऐलान किया था। इसके साथ ही PM मोदी ने ‘आत्मनिर्भर भारत‘ के लिए तैयारियाँ करने की बात कही थी। इसके बाद वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस वार्ता के जरिए इसकी विस्तृत जानकारी दी थी।
लावा कंपनी (Lava) अपने फैसले के मुताबिक मोबाइल शोध एवं विकास, डिज़ाइन और विनिर्माण को अगले छह महीने के भीतर चीन से भारत में स्थानांतरित करेगा। शनिवार (16 मई, 2020) को कंपनी ने अपने बयान में कहा, “भारतीय मोबाइल फोन निर्माताओं ने गत माह सरकार द्वारा घोषित प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (पीएलआई) में चीन से अधिक लागत लाभ मिलने के बाद यह कदम उठाया है।”
लावा के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक हरिओम राय ने कहा, “हम बेसब्री से अपने पूरे मोबाइल शोध एवं विकास, डिजाइन और विनिर्माण को चीन से भारत में स्थानांतरित करने का इंतजार कर रहे हैं।” राय ने आगे कहा, “उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन के साथ दुनियाभर के बाज़ार के लिए हमारी विनिर्माण क्षमता काफी हद तक पूरी हो जाएगी, इसलिए हम इस बदलाव की योजना बना रहे हैं।”
Being #ProudlyIndian is not just an idea, but a responsibility to do even better as an Indian brand, now more than ever. It’s time to embrace this new India & to support #AatmaNirbharBharat.— Lava Mobiles (@LavaMobile) May 15, 2020
Let’s all strive to make our nation prosperous again.#ResponsibleIndian #VocalForLocal pic.twitter.com/xhMMqXfFKO
दरअसल लावा अपने मोबाइल फोनों का 33 प्रतिशत से अधिक निर्यात मैक्सिको, अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया और पश्चिम एशिया जैसे बाज़ारों में करता है। लावा ने पिछले सप्ताह नोएडा में अपनी विनिर्माण सुविधा में 20 प्रतिशत से अधिक उत्पादन क्षमता के साथ काम शुरू किया था। कंपनी के राज्य अधिकारियों से सिफारिश मिलने के बाद इसके 3,000 में से करीब 600 कर्मचारी कारखाने में वापस आ गए हैं।
पीएलआई योजना भारत में निर्मित सामानों की तेज़ी से बिकवाली पर चार से छह प्रतिशत तक का प्रोत्साहन देती है। वहीं लावा के इस फैसले को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस बयान से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें पिछले दिनों उन्होंने ‘लोकर के लिए वोकल’ बनने की बात कही थी।
अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज का ऐलान किया था। इसके साथ ही PM मोदी ने ‘आत्मनिर्भर भारत‘ के लिए तैयारियाँ करने की बात कही थी। इसके बाद वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस वार्ता के जरिए इसकी विस्तृत जानकारी दी थी।
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