पाकिस्तान : हाफिज सईद का बैंक अकाउंट फिर से चालू, लश्कर और जमात के 4 और आतंकियों पर भी मेहरबानी

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जिस देश के शासकों को जनहित से अधिक आतंकवाद और उनके सरगनों की चिंता हो, उस देश का अंत निकट भविष्य में देखा जा सकता है। जिस आतंकवाद के कारण पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं निकल पाया और जिन कारणों से इसे ब्लैकलिस्ट से ग्रे में डाला गया, फिर भी आतंकवाद को समर्थन देने से बाज़ नहीं आ रहा। जो स्पष्ट साबित कर रहा है कि पाकिस्तान अधिक समय तक अपना अस्तित्व बचाने में सफल हो पाएगा। 
इसी आतंकवाद को संरक्षण देने के कारण पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इतनी दयनीय हो गयी है कि उसका शब्दों में उल्लेख करना असंभव है। आये दिन समाचारों में पढ़ते और सुनते रहते हैं।
2008 के मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का बैंक अकाउंट फिर से चालू कर दिया गया है। उसके अलावा लश्कर और जमात-उद-दावा के चार और आतंकियों पर पाकिस्तान ने यह मेहरबानी दिखाई है। यानि पाकिस्तान सरकार आतंक सरगनाओं की मर्जी के बिना जनहित में कोई निर्णय लेने में पूर्णरूप से असमर्थ है। 
इन आतंकियों में अब्दुल सलाम भुट्टवी, हाजी एम अशरफ, याह्या मुजाहिद, जफर इकबाल शामिल है। दावा किया जा रहा है कि यह कदम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की सेक्शन कमेटी की इजाजत से उठाया गया है।
इन आतंकियों ने परिवार का खर्च नहीं चला पाने का हवाला देते हुए बैंक अकाउंट पर लगी रोक हटाने की गुहार लगाई थी। जिन पर मेहरबानी दिखाई गई है वे सभी यूएनएससी के आतंकी लिस्ट में शामिल हैं।
इन पर टेरर फंडिंग का आरोप है। पाकिस्तान के पंजाब काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट (CTD) ने इनके खिलाफ वित्तपोषण का मामला दायर किया था। इसके चलते ये सभी लाहौर के जेल में 1 से 5 साल की सजा काट रहे हैं। वहीं हाफिज को मई में कोरोना संक्रमण का खतरा बताकर लाहौर जेल से रिहा कर दिया गया था।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आतंकी सरगनाओं ने अपने बैंक खातों को बहाल करने के लिए संयुक्त राष्ट्र से अपील की थी। उन्होंने कहा था कि परिवार के भरण-पोषण के लिए उन्हें बैंक खाते संचालित करने की इजाजत दी जाए।
एएनआइ को पाक मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार इन सभी ने पाकिस्तान सरकार से किए अनुरोध में अपनी वित्तीय आय और कमाई के सोर्सेज के बारे में जानकारी दी थी। जिसे इनके बैंक खातों के विवरण के साथ UN की समिति के पास भेज दिया गया था।


वहीं, दुनियाभर में टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पिछले दिनों पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में रखने का फैसला किया था। दरअसल, एफएटीएफ का मानना था कि पाकिस्तान आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देता है। पाक अपने यहाँ लश्कर और जेईएम जैसे आतंकी समूहों की टेरर फंडिंग को रोकने में नाकामयाब रहा है।


आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक हाफिज सईद भारत की सर्वाधिक वांछित अपराधियों की सूची में शामिल है। मुंबई की 26/11 की घटना में 166 लोग मारे गए थे। इसका मास्टरमाइंड हाफिज सईद था। उस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से उसे सौंपने को कहा था। वहीं अमेरिका ने दुनिया में ‘आंतकवाद के लिए जिम्मेदार’ लोगों की सूची में हाफ़िज़ सईद को दूसरे स्थान पर रखा है। सईद एक करोड़ डॉलर का इनामी भी है।
हाफिज सईद दिसंबर 2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले का भी मास्टरमांइड था। इसके अलावा सईद जुलाई 2006 में मुंबई लोकल ट्रेनों में में हुए सिलसिलेवार धमाकों का आरोपी है। हाफिज सार्वजनिक कार्यक्रमों में अक्सर भारत के खिलाफ जहर उगलता है। भारत सहित अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, रूस और ऑस्ट्रेलिया ने उसके दोनों संगठनों जमात-उद-दावा और लश्कर-ए-तैयबा को प्रतिबंधित कर रखा है।

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