"देश नहीं बिकने दूंगा", लेकिन बिक गया ग्वालियर, नागपुर, अमृतसर और साबरमती रेलवे स्टेशन


आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर अपने भाषणों में कहते हैं कि "देश नहीं बिकने दूंगा", लेकिन ग्वालियर, नागपुर, अमृतसर और साबरमती रेलवे स्टेशन भी बिके….सब कुछ बेच के ही दम लेंगे मोदी जी। 
दिल्ली में बिजली और पानी का निजीकरण होने पर जनता में चर्चा होती थी कि संसद, मंत्रालय और राष्ट्रपति भवन कब बिकेगा? लेकिन पिछली सरकारों की आलोचना करने वाले प्रधानमंत्री मोदी स्वयं पिछली ही सरकारों की कार्य पद्धति को अपनाते रेलवे को बेचने से श्रीगणेश कर दिया है। सरकारी नौकरी और प्राइवेट नौकरी में अब ज्यादा अंतर नहीं रहा। 
निगम पार्षद से लेकर सांसद तक शपथ लेते ही पेंशन के हक़दार बन जाते हैं, और कई वर्तमान और भूतपूर्व निर्वाचित सदस्य तीन-तीन पेंशन ले रहे हैं और कोई आयकर नहीं, जबकि जनता को आयकर देना पड़ता है। ये देश में दो कानून क्यों? मोदी की भाषा में वह सब सेवक हैं, फिर आम नागरिक की तरह आयकर क्यों नहीं देते? क्या ये जनसेवक अपने आपको शहंशाह समझते हैं? जिस दिन से ये जनसेवक आयकर देना शुरू कर देंगे, देश में कोई वित्तीय संकट नहीं रहेगा। जनता कदम-कदम पर टैक्स दे रही है और ये जनसेवक ऐश कर रहे हैं। 

रेलवे स्टेशनों को हवाई अड्डे का शक्ल देने के लिए सरकार की निजीकरण की योजना पर कोविड की वजह से हुए लॉकडाउन का कोई असर नहीं पड़ा है। रेल मंत्रालय की तरफ से बीते दिसंबर में ग्वालियर रेलवे स्टेशनों को हवाई अड्डे का शक्ल देने के लिए सरकार की निजीकरण की योजना पर कोविड की वजह से हुए लॉकडाउन का कोई असर नहीं पड़ा है। रेल मंत्रालय की तरफ से बीते दिसंबर में ग्वालियर (Gwalior), नागपुर (Nagpur), अमृतसर (Amritsar) और साबरमती (Sabarmati) रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए बोली मंगायी गई थी।
इसे बीते 26 जून को खोला गया था, जिसमें कुल 32 बोलियां मिली थीं। इनमें से 29 बोली को रेलवे ने स्वीकार कर लिया है। जिनकी बोली स्वीकार की गई है, उनमें इंफ्राप्रोजेक्ट्स लिमिटेड, कल्पतरु पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड, जीएमआर बिजनेस एंड कंसल्टेंसी एलएलपी और क्यूब कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग लिमिटेड जैसी कंपनियां शामिल हैं।
रेल मंत्रालय की तरफ से स्टेशनों के निजीकरण के लिए बोली मंगाने वाला संगठन इंडियन रेलवे स्टेशन डिवेलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IRSDC) से मिली सूचना के मुताबिक RFQs (रिक्वेस्ट फॉर क्वॉलिफिकेशन) के 32 ऐप्लिकेशन में से 3 निरस्त हो गए। अब कुल 29 बोलियां बचीं हैं। यह बोली लगाने वाली कंपनी अब आगे चरण में हिस्सा लेंगी। रेलवे के मुताबिक नागपुर के लिए 6 बोली, ग्वालियर के लिए 8 बोली, अमृतसर के लिए 6 बोली जबकि साबरमति के लिए 9 बोली योग्य पाई गई हैं।
रेलवे स्टेशनों के निजीकरण की इस प्रक्रिया में इंफ्राप्रोजेक्ट्स लिमिटेड, कल्पतरु पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड, जीएमआर बिजनेस एंड कंसल्टेंसी एलएलपी और क्यूब कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग लिमिटेड के साथ साथ एंकोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट होल्डिंग्स लिमिटेड, आईएसक्यू एशिया इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट्स, मॉन्टैक्लो लिमिटेड, जेकेबी इंफ्रास्ट्रक्चर और कल्याण टोल इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को योग्य पाया गया है।
रेलवे अपने चुनिंदा स्टेशनों को हवाई अड्डे की तरह विकसित करना चाहता है, जिसे रेलोपोलिस नाम दिया गया है। इन स्टेशनों में रियल एस्टेट का हब भी विकसित किया जाएगा। वहां आवासीय फ्लैट तो होंगे ही, वहां मॉल और शैक्षणिक संस्थान भी बनाये जाएंगे।
इंडियन रेलवे स्टेशन डिवेलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड RLDA (Rail Land Development Authority) और IRCON की जॉइंट वेंचर कंपनी है, जिसमें वर्तमान में 50-50 फीसदी मालिकाना हक है । RITES के भी जल्द ही 24% इक्विटी के साथ एक अन्य प्रमोटर के रूप में शामिल होने की संभावना है । RITES और IRCON संयुक्त रूप से 50% इक्विटी धारण करेंगे।

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