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आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
कम्युनिस्ट नेता वृंदा करात ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिख आईपीएस अधिकारी एम नागेश्वर राव पर कार्रवाई की मॉंग की है। उन्होंने दिल्ली पुलिस से भी शिकायत की है। राव ने पिछले दिनों भारतीय शिक्षा-व्यवस्था के अब्राहमीकरण (इस्लाम और ईसाइयत का प्रभुत्व) और मुस्लिम शासकों के खूनी इतिहास को मिटाने के संदर्भ में ट्वीट किया था।
केंद्रीय गृह मंत्री को लिखे पत्र में करात ने आरोप लगाया है कि राव ने सर्विस नियमों का उल्लंघन किया है। उनकी टिप्पणियाँ संविधान के खिलाफ हैं और ‘सांप्रदायिक भावनाओं को उकसाती हैं।
करात ने राव के ट्वीट को अल्पसंख्यकों पर हमला बताते हुए कहा है कि मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने भारतीय शिक्षा प्रणाली को सॅंभाला था, लेकिन उन पर हिन्दुत्ववादी विद्वानों को दरकिनार करने का आरोप राव ने मढ़ दिया।




करात ने इस संबंध में दिल्ली पुलिस को भी पत्र लिख कर राव के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 ए और 295 ए के तहत प्राथमिकी दर्ज करने को कहा। दिल्ली पुलिस आयुक्त, डीसीपी, और मंडी मार्ग पुलिस स्टेशन के एसएचओ को संबोधित पत्र में कहा गया है, “राव समुदायों के बीच दुश्मनी और मुसलमानों के खिलाफ नफरत की भावनाएं को भड़काने का काम कर रहे है।”
कुछ दिनों पहले IPS अधिकारी एम नागेश्वर राव ने वामपंथियों द्वारा भारतीय इतिहास से किए गए छेड़छाड़ के संबंध में ट्वीट किया था। जिसमें उन्होंने शिक्षा मंत्री रह चुके मौलाना अबुल कलाम आजाद के खिलाफ इस्लामिक आक्रांताओं और मुस्लिम शासकों के खूनी इतिहास को छिपाने और उनका महिमामंडन करने का आरोप लगाया था।
राव ने बताया था कि भारत के इतिहास को बड़ी सफाई से ‘विकृत’ किया गया। ऐसा करने वाले को शिक्षा मंत्री का नाम दिया गया। शिक्षा मंत्री रहते हुए मुस्लिम नेता 1947-1977 के बीच 20 साल भारतीय मन-मस्तिष्क के प्रभारी बने बैठे थे।
एम नागेश्वर राव ने ट्वीट किया था कि, “मौलाना अबुल कलाम आजाद के 11 साल (1947-58) के बाद, हुमायूँ कबीर, एमसी छागला और फकरुद्दीन अली अहमद- 4 साल (1963-67), फिर नुरुल हसन- 5 साल (1972-77)। शेष 10 साल अन्य वामपंथी जैसे वीकेआरवी राव… ने ये जिम्मेदारी सँभाली।”
उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा बाकी के 10 साल वीकेआरवी राव जैसे ‘वामपंथियों’ ने भारतीयों के दिमाग पर राज किया।
वीकेआरवी राव तमिलनाडु के एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री थे, जिन्होंने भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
राव दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति बने, योजना आयोग के सदस्य रहें और 1969 से 1971 के बीच शिक्षा मंत्री बने थे।
नागेश्वर राव ने कुछ दिन पूर्व ट्वीट कर कहा, ‘ये लोग हिंदू सभ्यता को नीचा दिखाने, हिंदू धर्म को गाली देने इत्यादि के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने इतिहास के साथ छेड़छाड़ किया और खूनी इस्लामिक शासन को नकारा और लीपापोती कर दी।’
सीपीएम नेता ने कहा कि हर एक अधिकारी संविधान को मानने और उसकी रक्षा करने की जिम्मेदारी से बंधा हुआ होता है लेकिन राव ने ट्विटर पर सार्वजनिक टिप्पणी कर संविधान की भावना के खिलाफ बोला है और राजनीतिक रूप से प्रेरित बेहद भड़काऊ बातों को लिखा है।
अवलोकन करें:-
उन्होंने कहा, ‘यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने सेवा नियमों का उल्लंघन किया है या सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काया है। जब वह नब्बे के दशक के अंत में ओडिशा के बरहामपुर विकास प्राधिकरण में सेवारत अधिकारी थे, उन्होंने कुछ इसी तरह के जहरीले सांप्रदायिक बयान दिए थे। दो आधिकारिक की पूछताछ में उन्हें दोषी पाया गाया और उन्हें दोषी ठहराया और अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई। इस तरह वे बुरे रिकॉर्ड के साथ आदतन अपमान करने वाले व्यक्ति हैं।’
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