आखिर क्यों एथीस्ट रिपब्लिकन के संस्थापक ने कुरान पर थूक कर फाड़ दिए पन्ने?

अर्मिन नवाबी
                                                                     साभार ट्विटर 
आखिर क्या कारण है कि मुस्लिमों की पाक किताब कुरान के खिलाफ इतना बबाल हो रहा है। इतना ही नहीं, शार्ली एब्दो के पैगम्बर मोहम्मद के विरुद्ध उन विवादित कार्टूनों को पुनः प्रकाशित करना, जिस पर कुछ वर्ष पूर्व भारत सहित कई देशों में खूब हंगामा भी हुआ था, स्पष्ट रूप से दाल में कुछ काला होने का संकेत दे रहा है, जिसे मुल्लावाद ने आम मुस्लिम को डराकर उन पहलुओं पर आक्रामक होकर अपनी दुकानदारी को खोले रखा है।
आम मुसलमान ने मुल्लावाद के डर से तब भी अपना मुंह नहीं खोला, जब पाकिस्तानी मूल के विदेशी लेखक अनवर शेख ने इस्लाम और पैगम्बर मोहम्मद के विरुद्ध एक के दूसरे और दूसरी के बाद तीसरी, चौथी आदि कई पुस्तकों का अम्बार लगा दिया। समूचे विश्व के किसी भी कोने से अनवर के विरुद्ध फतवा देना तो दूर, किसी के मुंह से उफ़ तक नहीं निकली। क्यों? किसी मुसलमान ने अपने मुस्लिम विद्वानों से इस मुद्दे पर चर्चा की? दुनियां में इतने धर्म हैं, सभी के देवी-देवताओं पर शोध हुए हैं, सार्वजनिक भी हुए, लेकिन अपने मुल्लावाद की दुकान खुली रखने के लिए इस्लाम के शोध को सार्वजनिक नहीं होने दिया जा रहा। अनवर शेख लिखित पुस्तकें उसी शोध का प्रमाण है। इसीलिए किसी में अनवर की मृत्यु उपरांत भी फतवा देने की हिम्मत नहीं। अब कई वर्षों बाद सऊदी अरब से कुरान को पुनः लिखने की आवाज़ उठी है, क्यों? कुरान में 2500 कमियां निकाली हैं।(विस्तार से अगले लेख में पढ़िए) तारिक़ फ़तेह को क्यों मुल्लावाद अपशब्द बोलता है, समझ सकते हो तो ठीक है। नीचे दिए लिंक का भी संज्ञान लिया जाए। 

अगर देखा जाए तो कुरान की उन कमियों पर आवाज़ सर्वप्रथम भारत से ही उठी थी और कोर्ट निर्णय भी कुरान के विरुद्ध ही आया, लेकिन भारत में तुष्टिकरण पुजारियों ने मुल्लावाद के डर से संसद के माध्यम से उन निर्णयों को निरस्त कर दिया। यदि तत्कालीन सरकार ने मुल्लावाद से डरने की बजाए उन कमियों को दूर करने का प्रयास करने के बोला होता, समूचे विश्व में भारत का सम्मान होता। खैर, फिर चीन तो भारत से भी बहुत आगे निकल कर, नमाज, रोजा, दाढ़ी, हिजाब आदि पर पाबंदियों की लाइन ही लगा दी; उसके बाद फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया का नंबर आता है, जहाँ सरकारों ने स्पष्ट घोषणा कर दी कि यहाँ रहने वाले सभी मुस्लिमों को यहाँ के कायदे-कानून से रहना होगा, और जो नहीं रहना चाहता देश छोड़कर जा सकता है। वहां शोर अथवा विवाद इसलिए नहीं हुआ कि वहां भारत की तरह कुर्सी के भूखे नेता एवं पार्टियां नहीं है। क्योकि वहां राजनीति केवल जनहित एवं देश की समस्याओं पर होती है, कुर्सी की खातिर तुष्टिकरण आधारित नहीं।        
अर्मीन नवाबी (Armin Navabi) एक पूर्व ईरानी मुस्लिम और AtheistRepublic.com (एथीस्ट रिपब्लिक) के संस्थापक हैं। वह इस्लाम धर्म के मुखर आलोचक माने जाते हैं। अर्मीन नवाबी ने मुस्लिमों की पाक किताब कुरान पर थूककर उसे फाड़ दिया है और साथ ही लोगों से अपनी निजी जिम्मेदारी पर ऐसा ही करने की सलाह भी दी है।
अर्मीन नवाबी ने मंगलवार (सितम्बर 01, 2020) को ट्विटर पर एक वीडियो ट्वीट किया है, जिसमें वह कुरान के पन्नों पर थूकते हैं और फिर उसके पन्ने फाड़ देते हैं। इसके साथ ही उन्होंने एक हैशटैग लिखा है – “कुरान का अपमान करो।”

अर्मीन नवाबी का यह ट्वीट ऐसे समय में आया है जब पेरिस की शार्ली एब्दो मैगजीन पर वर्ष 2015 में हुए आतंकी हमले की सुनवाई शुरू हो रही है। शार्ली एब्दो मैगजीन ने फिर से पैगंबर मोहम्मद का कार्टून छापा है और कार्टून के साथ छपने वाले संपादकीय में कहा है, ‘हम कभी गिरेंगे नहीं, हम कभी हार नहीं मानेंगे।’
अर्मीन नवाबी के इस ट्वीट में कई तरह की प्रतिक्रियाएँ देखने को मिली हैं। कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने कुरान की सिर्फ प्रति फाड़ी है वास्तविक कुरान नहीं। इस ट्विटर यूजर ने लिखा है कि कुरान लोगों के दिलों और दिमाग में छपी है, वह उसे नहीं छेड़ सकता।
एक अन्य यूजर ने लिखा है किा अर्मीन नवाबी कुरान का अपमान करने के बजाय सामान्य शब्दों में यह भी कह सकते थे कि उन्हें यह पसंद नहीं है।
कुछ ट्विटर यूजर्स ने कुरान जलाते हुए वीडियो भी ट्वीट किया है।




अर्मीन नवाबी ने लिखा है कि कुरान के अपमान वाले वीडियो तभी बनाएँ अगर आपको यह सेफ लगता है।
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