आजकल लालू यादव के दोनों बेटे तेजस्वी और तेज प्रताप बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान में लगे हुए हैं। तेजस्वी यादव अपने पिता की अनुपस्थिति में महागठबंधन के मुख्यमंत्री उम्मीदवार हैं और तेज प्रताप भी अपने पिता की स्टाइल में कैम्पेनिंग कर रहे हैं। आज सारा बिहार दोनों को जानने लगा है। लेकिन, आज से लगभग 13 साल पहले ऐसा समय भी आया था, जब तेजस्वी और तेज प्रताप पर छेड़खानी के आरोप लगे थे।
मजे की बात है, लड़कियों को छेड़ने वाले मुख्यमंत्री बनने की महत्वकांशा रखे हुए हैं। वैसे कुछ पता भी नहीं, जनता इनके प्रलोभनों में आकर बना न दें। फिर तो बलात्कार के समाचारों पर मुलायम सिंह वाले प्रवचन बिहार में भी "बच्चों से गलती हो जाती है", खूब सुनने को मिलेगा। वैसे भी मुलायम सिंह और लालू प्रसाद समधी हैं।
जनवरी 1, 2008 को जब पूरी दुनिया नए साल का स्वागत करने में जुटी हुई थी, लालू यादव के बेटों पर लड़कियों से छेड़खानी के आरोप लगे थे। इसके अगले दिन ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ में प्रकाशित खबर के अनुसार, साउथ दिल्ली में कथित रूप से लड़कियों से छेड़खानी करने के कारण लालू यादव के दोनों बेटों तेज प्रताप और तेजस्वी की कुछ अज्ञात युवकों ने जम कर पिटाई की थी। इस खबर में तेजस्वी यादव की जगह उनका निकनेम तरूण लिखा हुआ था।
Lalu's children-
— LolmLol (@LOLiyapa) August 4, 2018
Two beaten up by youths for eve-teasing.
One has completely lost it.
Another one is embracing cancer. pic.twitter.com/1rn4QZIc2X
Only if people r so dumb that they want to be ruled by someone who isn't even graduated and has no knowledge about his surrounding would support him. I don't think majority is so dumb
— Yadava (@Yadavaonenonly) August 4, 2018
नाम का मुद्दा जनवरी 2020 में भी उछला था, जब जदयू नेता नीरज कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लालू यादव से पूछा था कि बेनामी संपत्ति वाले दस्तावेज पर एक तरूण यादव का नाम लिखा है, तो वो जवाब दें कि ये तरूण यादव कौन हैं, उनके नाम से आपने जमीन खरीदी और तरूण यादव के पिता का नाम लालू यादव लिखा है। उस दौरान तेजस्वी ने बताया था कि वो तब क्रिकेट खेलते थे और उनका निकनेम तरूण था, व उनके भाई का तेजू।
खबर में आगे बताया गया था कि तब केंद्रीय रेल मंत्री रहे लालू यादव के बेटों पर पहले तो अशोका होटल और फिर दिल्ली के कनॉट प्लेस में लड़कियों से छेड़खानी का आरोप लगा। इसके बाद उन दोनों ने दिल्ली-हरियाणा सीमा पर स्थित छतरपुर में एक पार्टी में हिस्सा लेने का मन बनाया। उनके साथ दिल्ली पुलिस के PSOs और रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) के जवान भी थे। वहाँ से लौटते समय फिर विवाद हुआ।
आरोप लगा था कि दोनों ने मेहरौली में पार्टी कर रही लड़कियों पर कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियाँ की। वहाँ युवक-युवतियाँ एक फार्म हाउस में पार्टी कर रहे थे। वहाँ युवकों ने उनकी पिटाई कर दी। उनके साथ गए जवानों ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए दोनों की पहचान छिपा ली। दोनों को जल्दी से अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उनका इलाज हुआ। एक बॉडीगार्ड का रिवाल्वर भी छीन लिया गया था।
इसके बाद हथियार गायब होने और सार्वजनिक ड्यूटी पर सरकारी कर्मचारियों के साथ बदतमीजी का मामला दिल्ली पुलिस ने दर्ज किया था। इस मामले में न तो लड़कियों और न ही लालू के बेटों ने कोई मामला दर्ज कराया था लेकिन सरकारी हथियार गुम होने के कारण मामला दर्ज करना पड़ा। तब तेज प्रताप की उम्र 19 साल और तेजस्वी की उम्र मात्र 17 साल थी। युवकों ने दिल्ली पुलिस के एक जवान की भी पिटाई की थी, फिर भाग निकले।
अगस्त 2018 में जदयू ने इस मुद्दे को उठाया था, जिसका जवाब देते हुए राजद के प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने कहा था कि उस समय ये लोग काफी छोटी उम्र के थे और उस उम्र में ये चीजें ‘सामान्य’ मानी जाती हैं। उन्होंने खबरों को नकारा नहीं और पूछा था कि अगर ये लोग उस उम्र में लड़कियों को नहीं देखेंगे और ऐसी हरकतें नहीं करेंगे तो कब करेंगे? जदयू ने नीरज कुमार और संजय सिंह ने इस मुद्दे को उठाया था।
अक्टूबर 2020 में ही बिहार में राजद के 37 वर्षीय दलित नेता शक्ति मलिक की हत्या के मामले में तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव को आरोपित बनाया गया था। दलित नेता शक्ति मलिक की रविवार (अक्टूबर 4, 2020) को पूर्णिया स्थित उनके आवास के बाहर ही गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। शक्ति मलिक को राजद सुप्रीमो लालू यादव ने पार्टी से निकाल दिया था, जिसके बाद उन्होंने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में किस्मत आजमाने का फैसला किया था। हालाँकि, इस मामले में दोनों को क्लीन-चिट मिल चुकी है और अपराधी पकड़े जा चुके हैं।
टी.वी. चैनल वाले चुनावी कैलकुलेशन करते समय, क्षेत्रवार जनसंख्या प्रतिशत करके बताते हैं तो कुछ इस प्रकार से दिखाते हैं कि इस चुनाव क्षेत्र में
28 % मुस्लिम
10 % ब्राह्मण
08 % ठाकुर
04 % जाट
05 % लोध राजपूत
16 % दलित
12 % कुर्मी
02 % सिक्ख
15 % अन्य , जाति के मतदाता हैं,वो कभी यह क्यों नहीं दिखाते कि इस क्षेत्र में 72 % हिन्दुओं के अलावा
16% सुन्नी और 12% शिया हैं
अब से ये बदलाव आना चाहिए
हिन्दू --------------- 72 %
कसाई -------------- 01 %
गद्दी ----------------- 02 %
अंसारी ------------- 02 %
हज्जाम ------------- 02 %
कायमखानी -------- 02 %
सय्यद -------------- 02 %
पठान --------------- 02 %
शेख ----------------- 03 %
शैफी ----------------- 02 %
मनिहार ------------ 01 %
सलमानी ( धोबी) -- 01 %
इदरीसी ( दर्जी) --- 01 %
मंसूरी (धुनें) ------- 0.5 %
बाबर्ची ------------- 01 %
मिरासी ------------ 0.5 %
भांड ---------------- 01 %
अन्य --------------- 04 %
कभी देखा है किसी ने ऐसा टी.वी. या अखबार में ?
तो फिर केवल हिंदुओं का ही ऐसा बटवारा क्यो ?
हिन्दुओं को इसी तरह जाति में बांटकर मुगलों और अंग्रेजों ने हिन्दुओं पर पर राज किया था।
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