केजरीवाल के विभाग की रिपोर्ट ने खोली पोल : 8 लाख+ मजदूर दिल्ली छोड़ गए

        केजरीवाल ने हाथ जोड़ की थी विनती, फिर भी नहीं रुके मजदूर (फोटो साभार: विकास कुमार, ट्विटर हैंडल                                                                                                                                @vikaskumar86)
कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के लिए दिल्ली में लगाए गए लॉकडाउन के पहले चार हफ्तों में कम से कम 8 लाख प्रवासी मजदूरों ने अपने घर वापसी की है। दिल्ली सरकार की एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है।
जिस तेजी से मजदूर दिल्ली छोड़ कर भागा, उतनी तेजी से किसी अन्य राज्य से नहीं। जिस पार्टी को केवल रोहिंग्यों की चिंता हो, घुसपैठियों को बचाने शाहीन बाग बनाने और हिन्दू विरोधी दंगे में लिप्त हो, उससे कुछ कल्पना करना ही व्यर्थ है। कहते थे, कि हमने 5000-5000 रूपए बांटे, लेकिन केवल 2000-2000 रूपए बंटते देखे हैं, बाकि 3000 रूपए किस-किसकी जेबों में गए? यानि आपदा सहायता में भी घोटाला। फिर रोना रोया जाता है कि दिल्ली से बाहर के लोग हॉस्पिटलों में इलाज करवाते हैं, जबकि अन्य किसी राज्य के मुख्यमंत्री ने ऐसा गिरा हुआ बयान नहीं दिया।  

रिपोर्ट के मुताबिक 8 लाख में से लगभग आधे (3,79,604) मजदूर पहले ही सप्ताह में दिल्ली छोड़ अपने घर वापस लौट गए। हालाँकि दिल्ली सरकार का कहना है कि पिछले साल की तरह हुई परेशानी से बचने के लिए इस बार मजदूरों के लिए बसों और अन्य व्यवस्था की गई थी।

राज्य परिवहन विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है, “दिल्ली सरकार द्वारा पड़ोसी राज्यों विशेषकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के परिवहन अधिकारियों के साथ समय पर समन्वय से लगभग आठ लाख प्रवासी श्रमिकों को बिना किसी कठिनाई के अपने गंतव्य तक पहुँचने में मदद मिली है। ओवरचार्जिंग की कोई शिकायत नहीं मिली, क्योंकि अंतरराज्यीय बसों का स्वामित्व और संचालन संबंधित राज्य सरकारों के पास था।”

रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि 3 आईएसबीटी के बीच यात्रियों का सबसे अधिक भीड़ आनंद विहार आईएसबीटी (689,642 यात्रियों) पर देखा गया। इन बसों की व्यवस्था दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों द्वारा विशेष रूप से प्रवासी श्रमिकों के लिए की गई थी।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 19 अप्रैल को 26 अप्रैल की सुबह 5 बजे तक लॉकडाउन का ऐलान करते हुए कहा था कि वे हाथ जोड़ कर प्रवासी मजदूरों से विनती करते हैं कि ये एक छोटा सा लॉकडाउन है जो मात्र 6 दिन ही चलेगा, इसलिए वे दिल्ली को छोड़ कर कहीं और न जाएँ। मगर अरविंद केजरीवाल की आम लोगों की नजर में साख की पोल शाम होते-होते खुल गई।

उनके इस ऐलान के साथ ही पहले दिल्ली के ठेकों पर भीड़ उमड़ी और फिर उसके कुछ ही घंटों बाद दिल्ली से घर लौटने की मजदूरों के बीच होड़ शुरू हो गई। ठीक उसी तरह जैसे पिछले साल लॉकडाउन के दौरान देखने को मिला था। आनंद विहार बस टर्मिनल पर मजदूरों की भारी भीड़ जुट गई। वहाँ हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही इकट्ठा होने शुरू हो गए थे। इनमें से अधिकतर यूपी, बिहार और झारखंड के थे।

इस दौरान ओवरचार्जिंग की भी शिकायत देखने को मिली थी। प्रवासी मजदूरों ने बताया था कि जहाँ बस से वापस जाने के लिए मात्र 200 रुपए लगते थे, वहाँ अब 3000-4000 रुपए लग रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली की AAP सरकार को कर्फ्यू की घोषणा से पहले उन्हें समय देना चाहिए था, ताकि वो अपने घर लौट सकें। मजदूरों ने कहा कि वो दिहाड़ी पर काम करने वाले लोग हैं, ऐसे में अब उनके जीवन-यापन पर संकट आ खड़ा हुआ है।

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