दिल्ली में ऑक्सीजन ऑडिट का आदेश होते ही डिमांड गिरने से मोदी विरोधियों के हो गए कन्ने ढीले

तीन/चार दिन पहले तक दिल्ली मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल से लेकर हॉस्पिटल और मोदी विरोधी देश में ऑक्सीजन की कमी का शोर मचाकर आपदा में अवसर टटोल रहे थे, लेकिन एक चैनल पर एक डॉक्टर द्वारा मोदी सरकार से ऑक्सीजन ऑडिट की बात कहने को केंद्र सरकार ने बात को पकड़ सुप्रीम कोर्ट में ऑक्सीजन ऑडिट की बात रखते कोर्ट ने भी आदेश देने में देरी नहीं की। परिणाम सबके सामने है, अब कोई हॉस्पिटल नहीं कह रहा कि हमारे पास इतने ही घंटे की ऑक्सीजन बची है। केजरीवाल सरकार की मांग कम होने में नहीं आ रही थी। अब वही केजरीवाल सरकार 900+मीट्रिक टन से 582 मीट्रिक टन पर आ गयी। 

जिस तरह ऑक्सीजन ऑडिट आदेश होते ही ऑक्सीजन की कमी का शोर बंद हुआ है, उसी तर्ज पर वैक्सीन की कमी का शोर शांत करने के वैक्सीन की भी ऑडिट होने चाहिए।   
दिल्ली में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी पर आम आदमी पार्टी (AAP) की क्षुद्र राजनीति आपने देखी होगी। अब अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप सरकार ने सरप्लस ऑक्सीजन होने की बात कही है। 13 मई 2021 को उसने सरप्लस (अतिरिक्त) ऑक्सीजन का ऐलान करते हुए कहा कि जरूरतमंद राज्यों को यह दिया जा सकता है।

दिलचस्प बात यह है कि यह घोषणा सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रीय राजधानी में ऑक्सीजन की आपूर्ति, वितरण और उपयोग का ऑडिट करने के लिए एक पैनल की स्थापना के बाद की गई है।

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि COVID-19 स्थिति के आकलन के बाद फिलहाल दिल्ली की ऑक्सीजन की जरूरत 582 मीट्रिक टन प्रतिदिन है। एक जिम्मेदार सरकार के रूप में हम अपनी सरप्लस ऑक्सीजन उन राज्यों को देने को तैयार हैं, जिन्हें इसकी आवश्यकता है।

सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में कोरोना के मामलों में आ रही कमी बहुत ही राहत की बात है। अस्पतालों में मरीजों की मौजूदा संख्या को देखते हुए ऑक्सीजन की जरूरत भी कम हुई है। इसे देखते हुए दिल्ली सरकार ने केन्द्र को चिट्ठी लिखकर कहा है कि ऑक्सीजन की माँग में अब कमी आई है, इसलिए दिल्ली को अब 700 की जगह 582 मीट्रिक टन की आवश्यकता है। हमने केंद्र सरकार से बाकी ऑक्सीजन जरूरतमंद राज्य को देने के लिए अनुरोध किया है।

ज्ञात हो 18 अप्रैल 2021 को केजरीवाल सरकार ने 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की माँग की थी। उस दिन, दिल्ली में 74,941 सक्रिय कोरोना वायरस के मामले थे। गुरुवार (मई 13, 2021) को जब केजरीवाल सरकार ने कहा है कि ऑक्सीजन की आवश्यकता घट कर 582 मीट्रिक टन हो गई है, दिल्ली में सक्रिय मामले 82,725 हैं।

दिलचस्प बात यह है कि AAP सरकार राष्ट्रीय राजधानी में ऑक्सीजन की आवश्यकता पर अपने ही रुख का विरोध कर रही है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली AAP सरकार ने कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी में संकट से बाहर निकलने के लिए दिल्ली को कम से कम 976 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की दैनिक आपूर्ति की आवश्यकता है। आवश्यक 976 मीट्रिक टन ऑक्सीजन प्रदान नहीं करने के लिए केंद्र सरकार पर दोषारोपण कर रही थी। लेकिन कोर्ट के आदेशों के बाद 730 एमटी ऑक्सीजन की आपूर्ति होने के बाद सीएम ने कहना शुरू कर दिया कि उनके पास हजारों नए ऑक्सीजन बेड शुरू करने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन है।

अब जब शीर्ष अदालत ने AAP सरकार की कड़ी आपत्ति के बावजूद, दिल्ली में ऑक्सीजन ऑडिट करने के लिए एक पैनल नियुक्त किया है, केजरीवाल सरकार ने प्रति दिन 582 मीट्रिक टन ऑक्सीजन के लिए सीधे समझौता किया है।

यह ध्यान रखना आवश्यक है कि केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत में जोर देकर कहा था कि दिल्ली की 700 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन (LMO) की माँग आवश्यकता से परे थी। उन्होंने कहा कि 500-600 में भी काम हो सकता था। उन्होंने अदालत में जोर देकर कहा था कि दिल्ली में ऑक्सीजन के वितरण में किसी भी तरह के गड़बड़ी की जाँच करने के लिए एक ऑडिट होना चाहिए।

केजरीवाल सरकार द्वारा इसका कड़ा विरोध किया गया था, जिसमें कहा गया था कि दिल्ली को ऑक्सीजन के आवंटन में ग्राउंड की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित नहीं किया गया था और यह केवल कागजी कार्रवाई थी, और यदि ऑडिट की आवश्यकता है, तो यह केंद्र सरकार के मनमाने आवंटन पर होना चाहिए। 

ऑडिट के आदेश होते ही केजरीवाल सरकार के कन्ने ढीले होने पर ट्विटर पर केजरीवाल की लग गयी क्लास:-

केंद्र द्वारा ऑडिट कराने के प्रस्ताव के तुरंत बाद, दिल्ली की ऑक्सीजन की माँग जादुई रूप से 976 मीट्रिक टन से घटकर 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन पर आ गई थी, जो अब सुप्रीम कोर्ट के ऑडिट के निर्देश देने के बाद 582 मीट्रिक टन प्रति दिन हो गई है।

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आखिर दिल्ली में ऑक्सीजन की इतनी खपत कैसे?

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अरविन्द केजरीवाल जी आरोप लगाने की गन्दी राजनीति छोड़ कर इस संकट का

मेडिकल ऑक्सीजन के इस शोरगुल के बीच, राष्ट्रीय राजधानी में एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ, जिसमें AAP के कई मंत्री और सहयोगी मेडिकल ऑक्सीजन और आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति के ब्लैक मार्केटिंग में शामिल पाए गए।

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