जब से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी का पदापर्ण हुआ है, अपने अंधकारमय भविष्य को उजागर करने में मोदी की आलोचना कर चर्चा में छाए रहने का प्रयास किया जा रहा है। जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब अमेरिका को पत्र लिख उन्हें अमेरिका का वीसा न देने का प्रयास किया, जिसमें आंशिक रूप से सफल भी हुए, लेकिन इन मोदी विरोधियों को आघात उस समय लगा जब प्रधानमंत्री बनने पर सबसे पहला निमंत्रण उन्हें अमेरिका से मिलने पर लगा। परिणाम सबके सामने है कि वीसा का विरोध करने वाले किसी कोप भवन में जा चुके हैं।
कोरोना महामारी के प्रकोप के बीच मई 9, 2021 को ज्वेलरी डिजाइनर फराह खान अली ने ट्विटर पर मोदी समर्थकों और उनके परिजनों के लिए मृत्यु की कामना की। मोदी सरकार की बुराई न करने वालों पर अपना गुस्सा निकालते हुए फराह खान ने कहा कि वह दुआ करती हैं कि भक्तों का कोई परिजन मरे ताकि उनका भी खून सरकार के विरुद्ध खौल सके। वैसे, फराह से पहले कितनों ने यही कामना की है, फिर भी मोदी और उनके समर्थकों का कारवां बढ़ता ही जा रहा है।
अपने ट्वीट में फराह खान ने लिखा, “कोरोना वायरस महामारी से निपटने में पीएम की विफलता के मद्देनजर हर भक्त के लिए, मैं दुआ करती हूँ कि तुम्हारा कोई परिजन मरे ताकि तुम्हें वो गुस्सा महसूस हो जो कुप्रबंधन और सत्ता की भूखे एजेंडे के कारण अपनों को न बचा पाने की वजह से पैदा होता है।”
ट्विटर पर 7 लाख से ज्यादा फॉलोवर्स वाली फराह अली खान उन्हीं संजय खान की बेटी हैं, जिन्होंने एक टीवी सीरिज में टीपू सुल्तान की भूमिका निभाई। वह फिरोज खान की भतीजी और ऋतिक रौशन की पूर्व पत्नी सुजैन खान की बहन हैं।
लोगों का इस ट्वीट को देखकर कहना है कि जब मोदी सरकार से भरोसा उठने लगता है वैसे ही ऐसे लोग आकर ऐसी बातें कर देते हैं कि दोबारा उन पर विश्वास बन जाता है। एक यूजर ने फराह खान के साथ ट्वीट पर हुई बातचीत के स्क्रीनशॉट शेयर किए हैं।
वघीशा नाम की ट्विटर यूजर का कहना है कि इस बातचीत के बाद ही फराह ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया। इस ट्वीट में वघीशा ने पूछा था कि आखिर वो ऐसी दुआ कैसे कर सकती हैं जो कोई दुश्मनों के लिए भी न करें।
As everyone is sharing the screenshots of Farah Khan Ali's tweet.
— Vagisha (@vagishasoni) May 10, 2021
Here, is the conversation I had with her last night and then finally she deleted the tweet. pic.twitter.com/fv1Fu0V52i
फराह ने वघीशा के ट्वीट के जवाब में लिखा, “जब मैंने ट्वीट किया मैं बहुत ज्यादा परेशान थी क्योंकि कई लोग हैं जिन्हें मैं जानती थी और खो दिया। मुझे अफसोस है कि मैंने क्या ट्वीट किया और ये स्पष्ट भी किया है कि किसी की मौत की कामना नहीं करनी चाहिए। मैंने जो भी कहा वो गुस्से और पीड़ा में कहा।”
उल्लेखनीय है कि कोरोना के कारण मोदी समर्थकों या फिर संघियों की मौत की कामना पहली बार नहीं की गई। इससे पहले बंगाल में हिंसा के वक्त कई लोगों ने भाजपा कार्यकर्ताओं की मौत या फिर संघियों पर हो रही बर्बरता पर अपनी खुशी खुलकर मनाई थी। अब भी कई लिबरल आज अपनी कुंठा संवेदनाओं की आड़ में निकाल रहे हैं और खुलेआम उन लोगों की मृत्यु की कामना कर रहे हैं जिन्हें वह जानते तक नहीं।
जाहिर है कि कोई इस बात से इंकार नहीं कर सकता कि हमारा प्रशासन कोविड की दूसरी लहर को संभालने में असमर्थ रहा और स्वास्थ्य असुविधाओं के कारण असमय लोगों की जानें गईं। लेकिन, इस दौरान ऐसे संदेश जिनमें संघियों और उनके प्रियजनों की मौत की कामना की गई हो, वह भी कहीं से कहीं तक इंसानियत की मिसाल पेश नहीं कर रहे। किसी की जान जाने पर खुशी मनाना या फिर किसी की मरने की ही कामना कर लेना, इस बात को बताता है कि महामारी के समय भी एक निश्चित विचाराधारा के प्रति लिबरलों, वामपंथियों और कट्टरपंथियों में गुस्सा उतना भरा हुआ है जितना की इस महामारी से पहले था।
फराह खान अली के बारे में मालूम हो कि वह पहले भी आरएसएस की ISIS आतंकी संगठन के साथ तुलना कर चुकी हैं। इसके अलावा वह महाराष्ट्र की बदहाली के बावजूद उद्धव सरकार की तारीफ करती रही हैं।
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