NYT के पूर्व साइंस एडिटर निकोलस वेड
अमेरिकी समाचार पत्र ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के रिटायर्ड साइंस एडिटर निकोलस वेड ने उन पत्रकारों को लताड़ लगाई है, जिन्होंने कोरोना वायरस के चीन के वुहान स्थित लैब से लीक होने की संभावनाओं को एकदम से नकार दिया या नजरंदाज कर दिया। निकोलस वेड का मानना है कि मीडिया के लोग चीन के प्रोपेगंडा के चक्कर में आ गए और उन्होंने खुद का रिसर्च करने की बजाए चीन की बात मानने में ही भलाई समझी।
निकोलस की बात कांग्रेस और उन सभी मोदी विरोधियों को करारा जवाब है, जो इसे मोदी अथवा भारतीय वायरस बताकर जनता को पागल बना रहे हैं और जनता भी इनके भ्रमजाल में फंस रही है। भारतीय मीडिया के बारे में तो कुछ बोलना ही बेकार है। इसे तो विज्ञापन दे दो, बस। दिखावे के लिए एक बार समाचार प्रसारित कर चुप होकर बैठ जाएगी। इस मुद्दे पर सारे खोजी पत्रकार कुम्भकरण की नींद सोये हुए हैं, कोई वास्तविकता को उजागर करने का प्रयास तक नहीं कर रहा।
उन्होंने ‘फॉक्स न्यूज’ के एक इंटरव्यू में कहा कि कोरोना वायरस का मूल स्रोत क्या है, इस संबंध में अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है क्योंकि चीन पर शासन करने वाली कम्युनिस्ट पार्टी ने इसे दबा दिया है। उन्होंने कहा कि चीन द्वारा इस सम्बन्ध में एक बृहद प्रोपेगंडा चलाया जा रहा है। साथ ही उन्होंने मीडिया के अंधेपन को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया, जिसने वैज्ञानिक चीजों में भी राजनीति घुसाई।
This paragraph is from @SharriMarkson's report, in March, in The Australian. Why does the @WSJ story read like a scoop? Why was it treated as one? Why was Nicholas Wade's article treated as if it cracked the case?
— Bret Weinstein (@BretWeinstein) May 24, 2021
It's not like #DRASTIC's work isn't public. pic.twitter.com/pT3olCOyCn
कोरोना वायरस के मूल स्रोत को लेकर निकोलस वेड ने कहा कि ज्यादा संभावना यही है कि ये वुहान स्थित वायरस लैब से ही निकल कर आया है। उन्होंने आरोप लगाया कि मीडिया ने इसकी तह तक जाने की कोशिश भी नहीं की क्योंकि उसे अंधा बना दिया गया था। निकोलस वेड ने कहा कि मीडिया ने इस पर रिसर्च करने की बजाए इसमें राजनीति घुसा दी। उसने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन ही नहीं किया।
उन्होंने अमेरिका की सरकारी संस्थाओं की भी आलोचना की, जिन्होंने अब तक इस वायरस के स्रोत को लेकर कुछ खास नहीं कहा है। निकलस वेड से पहले भी कई वैज्ञानिकों ने चीन के लैब से इस वायरस के निकलने का आरोप लगाया था और कहा था कि इसकी तह तक जाने की जरूरत है। पिछले साल अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसे ‘चाइनीज वायरस’ ही नाम दे दिया था। कुछ डॉक्टरों का कहना है कि ये वायरस प्राकृतिक रूप से पैदा नहीं हुआ है।
कोरोना वायरस के शुरुआती दिनों में अमेरिका के कई बड़े मीडिया संस्थानों ने इसे चीन में बनाए जाने की संभावनाओं से इनकार कर दिया था। अप्रैल 2020 में NYT के एक लेख में जब आशंका जताई गई कि वुहान के लैब की गलती से कोरोना वातावरण में लीक हो गया होगा, तो फ़ेसबुक ने इस पर ‘झूठी सूचना’ का लेबल लगा दिया था। डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल के आखिरी दिनों में स्टेट डिपार्टमेंट की एक रिसर्च में भी यही बात सामने आई थी।
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