एक नोटिस बोर्ड पर नोटिस लगा जिसे सोशल मीडिया ने नोटिस किया। नतीजा, नोटिस वायरल हो गया। ये नोटिस बोर्ड लगा था चंडीगढ़ के लेक क्लब में.इसे पहले पहल नोटिस किया चंडीगढ़ की ही एक पत्रकार ने। लेकिन जनता इसे नोटिस करे ऐसा क्या था इसमें?
इसमें क्लब के नए नियम थे, और वो भी ऐसे–ऐसे कि हम-आप में से हो सकता है कभी कोई इलॉन मस्क के स्पेसऐक्स में बैठ के मंगल पर प्लॉट कटवाने पहुंच जाए। लेकिन पृथ्वी के इस क्लब में मस्क भी नहीं पहुंचा सकता। ये देखिए वो नोटिस जिसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई।
ये है वो नोटिस जिसे सोशल मीडिया पर लपक के शेयर किया जा रहा है.स्टैम्प लगे अंडरगार्मेंट्स
ये है पहला आदेश, इसमें लिखा है कि प्रॉपर ड्रेस पहन के आओ.ख़ासकर वो जो जिम में इस्तेमाल करते है। जिम सूट के बिना काम नहीं चलेगा और उस पर भी सबसे ज़्यादा ध्यान देना है अंडरगारमेंट पर अंडरवियर, बनियान, ब्रा वगैरा। अब नोटिस में लिखा था कि ‘सिर्फ़ अप्रूव्ड अंडरगारमेंट ही पहनने हैं'। कौन करेगा अप्रूव?कैसे करेगा अप्रूव? अप्रूव कराने के लिए क्या–क्या शर्तें पूरी करनी होंगी। अगर दो-चार छेद वाला कच्छा पहनकर कोई ज़्यादा वज़नी डंबल उठाने लगा तो कैसे चेक किया जाएगा?क्या अंडरवियर की गुजर चुकी बहार यानी कि फ़ेडेड रंग को भी पैमाना बनाया जाएगा?ये सब नहीं लिखा था। नोटिस में लिखा था कि वैसे तो ‘अप्रूव्ड’ अंडरगारमेंट की लिस्ट बनाई गई है, लेकिन आप अपने अंडरगारमेंट इस्तेमाल करना चाहते हैं तो क्लब से स्टैंप लगवाना पड़ेगा।
चलो किसी को तो किसी के रोज़गार की फ़िक्र है। अचानक से आधा दर्जन कच्छे बेरोज़गार हो जाएं तो सरकार की बेरोज़गारी वाली लिस्ट में भी जगह नहीं बना पाएंगे और साथ में इस फ़ैसले से नए रोज़गार का सृजन भी तो हो ही रहा है, कैसे?अरे कच्छों को देख–परखकर स्टैंप क्या मशीन लगाएगी? इंसान ही लगाएगा न?तो इससे मिली न किसी को नौकरी, अब वो कैसे करेगा?ये अगला जाने.हमेशा आपदा में अवसर ही नहीं आता। कभी–कभी अवसर भी साथ में आपदा लाता है।
और ये स्टैंप शुद्धता का वो सर्टिफ़िकेट होगा जिसे आप किसी को दिखा भी नहीं सकते। पीके फ़िल्म में आमिर ख़ान कहता है न कि‘ठप्पा कहां है?’, ये वाला ठप्पा तो इस गोले पे किसी को दिखा भी नहीं सकते।
आपदा में अवसर
दूसरा नियम कहता है कि क़ायदे से जूता पहन कर आना होगा.वैसे ये वाला उनके लिए सही भी है जो मैनेजमेंट के पहले नियम से बहुत ज़्यादा नाराज़ हैं.कुछ जूतों की सोल बहुत मज़बूत क़िस्म की होती है.लेकिन नियम लिखने वाले का ध्यान सोल पर नहीं, बल्कि मोज़ों पर था.कहा गया है कि मोज़े रोज़ धुलने चाहिए.और उन लोगों को जुर्माना भरना होगा जिनके मोज़े‘स्मेल टेस्ट’में फेल हो जाएंगे.देखिए,फिर से नया रोज़गार का मौक़ा.
अगर आपको लगता है कि आपकी नौकरी ही जानलेवा है तो उसका सोचिए जिसे‘स्मेल टेस्ट’के लिए रखा जाएगा.इसी तरह से शरीर से आने वाली गंध का भी ध्यान रखना है कि आपका शरीर भी‘स्मेल टेस्ट’में फेल ना हो.इसके लिए सुझाया गया है कि क़ायदे का परफ़्यूम वग़ैरा इस्तेमाल में लाएं.ये हिंदुस्तान की पहली नौकरी होगी जिसमें रोज़ नहाकर आने की शर्त माननी होगी.क्योंकि अगर चेक करने वाले का ख़ुद का शरीर गंधाता रहेगा तो वो या तो सबको पास करेगा,या फेल.
कांखना रखना मना है
अभी तो पिक्चर बाकी है मेरे दोस्त. 6महीने की मेंबरशिप लेकर तीन हफ़्ते जिम में जाने वाले, जो बॉडी बिल्डरों की देखादेखी लपक के हैवी वेट डंबल उठा कर ख़ुद को इम्प्रेस करते हैं,ये वाला नियम ऐसी जनता के लिए है.कस के कांखना अलाऊ नहीं है इस क्लब में.चाहे जित्ता हुमच के वेट उठाओ, लेकिन मन ही मन कांखना है.इसके अलावा पंजाबी के‘बैड वर्ड्स’की एक लिस्ट होगी,उसी में से गाली–वाली बरतनी होगी.बनारस के गाली आविष्कारक इस क्लब में सृष्टि के अंत तक ना आ पाएं इस हिसाब से.
लेकिन इस नियम से उन लोगों को फ़ायदा होगा जो अपने वजन का दोगुना वेट मशीन पर लगाकर एक दिन में‘संजू’के तीन शो शीशे में देखना चाहते हैं.क्योंकि ट्रेनर देखेगा तो मन भर गरिया नहीं पाएगा.लिस्ट के हिसाब से ही ऐसी–तैसी करेगा.लेकिन जॉब प्रोफ़ाइल‘2’का ख़्याल इसमें नहीं रखा गया है.अरे वही अपना‘स्मेल इंस्पेक्टर’.अगर किसी का मोज़ा इतना गंधा रहा हो कि मुंह से बरबस गाली निकल जाए,तो?शायद इसीलिए इसमें भाषा का बैरियर रखा गया है कि भोपाल का इंसान चाहे तो भोपाली में गाली दे सकता है.ये वैसे ही है जैसे नेपाल के जुआघरों में नेपाली अलाउड नहीं होते.
लास्ट बट नॉट लीस्ट
आख़िर में उन लोगों का ख़्याल रखा गया है जो खर्च तो फ़ैन्सी हाफ़ निक्कर पर कर देते हैं, लेकिन लोग उनके ब्रांडेड निक्कर का नोटिस नहीं लेते,इससे पैसे ज़ाया हो जाते हैं यूं ही.इसलिए कहा गया है कि शॉर्ट्स पहनने वाले लोगों को पांव के बाल शेव करने होंगे.ताकि डेकोरम मेंटेन रहे और‘ग़ैरज़रूरी’ अटेंशन से आप बचें.जो लोग पूछते हैं कि जब दुनिया हवाई जहाज़,फ्रिज,घड़ी,बल्ब वग़ैरा बना रही थी तो हम हिंदुस्तानी क्या कर रहे थे, उनके लिए इसी नियम में जवाब छुपा है. लेकिन लोग इतने मतिवान होते तो बात ही क्या थी.अरे,हम‘अटेंशन मैपिंग मशीन’बना रहे थे.जिसका इस्तेमाल भी सबसे ज़्यादा हम ही करते हैं.लगभग हर वक़्त,हर जगह.
नोटिस में यहां भी नए रोज़गार सृजन की बात‘बिटवीन दी लाइन्स’लिखी है.इस नियम को ना मानने पर‘देखते ही बाल मूड़ देने’की सज़ा का ज़िक्र है.ज़ाहिर सी बात है कि क्लब इसके लिए किसी बाल बनाने वाले को काम पर रखेगा.ताकि जो वैक्सिंग वग़ैरा पर खर्च नहीं करना चाहते वे बाल बनाने वाले को खोजकर उसके सामने पड़ें और फिर‘फ़्री शेविंग’का मज़ा लें.
चंडीगढ़ की जिस जर्नलिस्ट ने इस नोटिस का फ़ोटो सबसे पहले ट्वीट किया, उन्होंने बाद में ये ट्वीट हटा भी दिया. ‘दी लल्लनटॉप’की बात उनसे हुई,उन्होंने बताया कि क्लब के मैनेजमेंट ने उनसे वो फ़ोटो हटाने के लिए कहा था और इस नोटिस को किसी की‘शरारत’बताया.
क्लब के मैनेजमेंट का क्या है कहना
नोटिस की तस्वीर वायरल होने के बाद चंडीगढ़ लेक क्लब के मैनेजर नायब सिंह ने मीडिया को बताया कि इस तरह की कोई भी गाइडलाइंस कभी भी नोटिस बोर्ड पर नहीं लगायी गई है.नोटिस बोर्ड लेक क्लब के बाहर लगा हुआ है.ये किसी ने जानबूझकर शरारत की है,और जानकारी मिलते ही इसे नोटिस बोर्ड से हटा दिया गया था.ओरिजिनल गाइडलाइंस में इस तरह की कोई भी शर्त और नियम नहीं रखा गया है जैसा कि इस नोटिस में लिखा हुआ है.


No comments:
Post a Comment