अंबिका सोनी ने पंजाब का CM पद क्यों ठुकरा दिया?

पंजाब का अगला मुख्यमंत्री कौन? इसे लेकर कई नाम मीडिया में चल रहे हैं। इन्हीं में से एक नाम था अंबिका सोनी का। लेकिन  उन्होंने मुख्यमंत्री पद का ऑफर ठुकरा दिया है। इंडिया टुडे के अशोक सिंघल की रिपोर्ट के मुताबिक, कैप्टन अमरिंदर के इस्तीफे के बाद सिद्धू खेमे ने सुनील जाखड़ के नाम पर आपत्ति जताई। इसके बाद अंबिका सोनी का नाम आगे चल रहा था। लेकिन अंबिका सोनी ने मुख्यमंत्री का पद ठुकरा दिया है। मीडिया से बातचीत में अंबिका सोनी ने कहा,

मैंने मना कर दिया है। मेरी मान्यता है, आज से नहीं पिछले 50 साल से कि पंजाब का जो मुख्य चेहरा होना चाहिए वो सिख होना चाहिए। मैंने एक्सप्लेन किया कांग्रेस अध्यक्ष वगैरह को, मैं समझती हूं जब मान्यता की बात है कि पंजाब का चेहरा सिख ही होना चाहिए। देश में एक ही राज्य है ऐसा। 

इससे पहले मीडिया में खबर चल रही थी कि अंबिका सोनी ने शनिवार, 18 सितंबर की देर रात राहुल गांधी और सोनिया गांधी से बात कर कहा कि पंजाब के साथ उनके गहरे रिश्ते हैं, लेकिन एक सिख को ही पंजाब का CM बनाया जाना चाहिए। सूत्रों का ये भी कहना था कि नवजोत सिंह सिद्धू ने भी अंबिका सोनी को मनाने की कोशिश की, लेकिन अंबिका सोनी ने कहा कि वह ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहेंगी जिसे लेकर वह आश्वस्त ना हों। 

इंदिरा गाँधी राजनीति में लेकर आयी

अंबिका सोनी खत्री हिंदू है। 50 साल से राजनीति में है। इंदिरा गांधी उन्हें 1969 में पार्टी में लेकर आई थीं। उनके पिता विभाजन के दौरान अमृतसर के जिला कलेक्टर थे। पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ मिलकर काम करते थे। सोनी ने राजीव गांधी और सोनिया गांधी के साथ भी काम किया। संजय गांधी के साथ भी काम किया और पार्टी के फ्रंटल संगठनों का नेतृत्व किया। अंबिका सोनी पंजाब के होशियारपुर जिले की रहने वाली हैं और कई बार पंजाब से राज्यसभा सदस्य रह चुकी है। 

अंबिका सोनी के बारे में कहा जा रहा है कि वह ऐसी उम्मीदवार थीं जो कैप्टन को तो संभाल ही सकती थीं, साथ ही सिद्धू को भी उनसे कोई परेशानी नहीं होती। इसके अलावा अंबिका सोनी एक हिंदू हैं और नवजोत सिंह सिद्धू सिख हैं, तो इससे पंजाब में सिख-हिंदू का कॉम्बिनेशन बन जाता। लिहाजा इससे पंजाब के हिंदू वोटर को भी साधने में मदद मिलती। लेकिन अंबिका सोनी ने ऑफर ठुकरा दिया। 

इस प्रकरण से 2004 की कुछ झलकियां दिमाग आ रही हैं, जब संविधान की शर्त के अनुसार सोनिया गाँधी देश की प्रधानमंत्री नहीं बन सकती थीं, परन्तु प्रसारित किया गया कि सोनिया गाँधी ने प्रधानमंत्री पद ठुकरा दिया; वह त्याग की देवी हैं आदि आदि। जनता को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि संविधान की वही शर्त राहुल गाँधी और प्रियंका वाड्रा पर भी लागू होती हैं,क्योकि दोनों विदेशी नारी के गर्भ से हैं। रही बात अम्बिका सोनी द्वारा मुख्यमंत्री पद का ठुकराने की, इसका भी गहरा राज है। सोनिया गाँधी के अध्यक्ष बनने के बाद से चर्चा चल रही थी कि कांग्रेस के अधिकतर नेता ईसाई बन गए हैं। अम्बिका का भी नाम उसमे शामिल है, इसलिए अम्बिका को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस हिन्दू और सिख वोट गंवाना नहीं चाहती। 

इस समय कांग्रेस में सांप छछूंदर वाली स्थिति हो गयी है। अगर कांग्रेस नवजोत सिद्धू को मुख्यमंत्री बनाती तो कांग्रेस के पंजाब में ही नहीं, देश में दो टुकड़ों में बंटने की पूरी सम्भावना है। क्योकि ऐसे नाजुक दौर में किसी पाकिस्तानपरस्त को पाकिस्तान से सटे राज्य की बागडोर नहीं देना चाहेगा।  

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