उत्तर प्रदेश : ‘अखिलेश यादव ने दलितों को अपमानित किया, उससे गठबंधन नहीं चाहते’: भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर

चुनाव आयोग किसी को पार्टी बनाने से रोक नहीं सकता, लेकिन मतदाता चाहें तो जाति के नाम पर पार्टी बनाने वाले और उनके उम्मीदवारों को चुनावों में उन्हें वोट न देकर धूल चटवा सकते हैं। जब संविधान सबको बराबर का अधिकार देता है फिर जातिगत पार्टियां क्यों? फिर बात करते हैं, संविधान की। अगर चिंतन किया जाये तो भारतीय राजनीति को व्यापार बनाने वाले भी यही लोग हैं।  2/4 सीटें लेकर सुरमा भोपाली बने फिरते हैं। जहां देखी तवा परात वहां रात बिताने में संकोच नहीं करते। दूसरे, चुनाव घोषित होने पर सत्ता के भूखे तथाकथित नेताओं की एक पार्टी छोड़ दूसरी पार्टी में जाने की जो होड़ लगी है, जनता को ऐसे नेताओं को चुनावों में शिकस्त देनी चाहिए। ऐसे नेताओं को केवल अपनी कुर्सी और तिजोरी प्यारी है, जनसेवा नहीं, जनसेवा को बदनाम कर दिया है।

उत्तर प्रदेश चुनावों में समाजवादी पार्टी और भी आर्मी के बीच गठबंधन होने के कयासों पर विराम लग गया है। भीम आर्मी सुप्रीमो चंद्रशेखर आजाद ने शनिवार (15 जनवरी 2022) को लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गठबंधन की संभावनाओं से इनकार करते हुए कहा कि सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को दलितों की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि वह अकेले चुनाव लड़ेेंगे।

सूत्रों के अनुसार अखिलेश ने चंद्रशेखर को मात्र एक सीट दी थी, क्योकि यादव के लिए दिन रात लाठी खाने वाले और FIR को पिछ्ले कई वर्षों से झेल रहे कार्यकर्ताओं को सीट देने की नैतिक जिम्मेदारी है।गठबंधन की अधिकता के कारण वह अपने कार्यकर्ताओं के हक को पार्टी मुखिया होने के नाते नही मार सकते। चन्द्रशेखर को पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने पहले ही नकार दिया था।

चंद्रशेखर ने कहा, तमाम चर्चाओं के बाद आखिर में मुझे लगा कि अखिलेश यादव इस गठबंधन में दलितों को नहीं चाहते। उन्हें सिर्फ दलित वोट बैंक चाहिए। उन्होंने बहुजन समाज के लोगों को अपमानित किया। मैंने 1 महीने 3 दिन तक कोशिश की, लेकिन गठबंधन नहीं हो सका।”

चंद्रशेखर ने कहा, “एक आदमी को उतना ही बोलना चाहिए, जितना उसमें हिम्मत हो। मैं भी उतना ही बोलता हूँ, जितना पर टिके रह सकता हूँ। मैं फालतू नहीं बोलता। 20 फीसदी बहुजन समाज को उचित रास्ता दिलाने के लिए हमने अखिलेश जी पर भरोसा किया। छह माह से हमारी बातें हुई, मुलाकात हुई। घोषणा करना अलग है, उस पर टिके रहना अलग बात है।”

इसके पहले चंद्रशेखर ने शुक्रवार (13 जनवरी 2022) को लखनऊ स्थित सपा के कार्यालय जाकर अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। इसके पहले गुरुवार (12 जनवरी 2022) को भी सपा के ऑफिस पहुँचे थे। तब चंद्रशेखर ने कहा था कि उनकी पार्टी ने तय किया है कि इस चुनाव में गठबंधन किया जाएगा। चंद्रशेखर ने एकता में बड़ा दम बताया था।

मीडिया में यह बात बहुत जोर-शोर के साथ उठाई जा रही थी कि अखिलेश और चंद्रशेखर के बीच सीट बँटवारे को लेकर बातें लगभग तय हो चुकी हैं और दोनों कभी भी और किसी भी वक्त गठबंधन और सीटों को लेकर ऐलान कर सकते हैं। कुछ ने तो सूत्रों के हवाले से भीम आर्मी को सीटें भी दे दी थीं। हालाँकि, अखिलेश कितना भी दावा करें कि यूपी में छोटे-छोेटे दलों को साथ लेकर वह प्रदेश में भाजपा को रोकने की कोशिश करेंगे, लेकिन चंद्रशेखर के साथ उनका सीट बँटवारे पर विवाद उनके दावे को झूठा साबित करता है।

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