33 करोड़ रूपए के 307 पुरावशेष अमेरिका ने भारत को लौटाए ; मंदिरों से गायब देवी-देवताओं की 10 प्रतिमाएँ भी मिलीं

        307 पुरावशेषों में से 235 मूर्तियाँ तस्कर सुभाष कपूर द्वारा चोरी की गई हैं (फोटो साभार: The Hindu/HT)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की बागडोर संभालने के बाद खोई हुई सांस्कृतिक विरासत को फिर से हासिल करने और उनके संरक्षण की दिशा में उल्लेखनीय काम किया है। प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तिगत प्रयासों से ऐसे सैकड़ों प्राचीन वस्तुओं या मूर्तियों को विदेशों से वापस लाने में सफलता मिली है, जिन्हें दशकों पहले चोरी और तस्करी के जरिए विदेश भेज दिया गया था। आज मोदी सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि अमेरिका ने 307 प्राचीन वस्तुएं भारत को वापस लौटा दीं हैं।
अमेरिका ने भारत को 307 पुरावशेष वापस लौटा दिए हैं। इसकी कीमत 4 मिलियन डॉलर यानी 33 करोड़ रुपए के करीब बताई जा रही है। अमेरिकी अधिकारियों द्वारा 17 अक्टूबर 2022 को लौटाए गए पुरावशेष में से अधिकांश मूर्ति तस्कर सुभाष कपूर द्वारा चोरी की गई मूर्तियाँ हैं और बाकी निजी संग्राहकों की हैं। जया मेनन की रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से कम से कम 10 भगवान की मूर्तियों को तमिलनाडु (Tamil Nadu) के मंदिरों से चुराया गया था।

कपूर को इंटरपोल ने 2011 में जर्मनी में गिरफ्तार किया था। वह 2012 से तमिलनाडु के त्रिची की एक जेल में बंद है। मैनहट्टन के अभियोजकों ने उस पर करोड़ों रुपए की मूतियाँ चुराने और उसकी तस्करी करने का आरोप लगाया था। बताया जाता है कि मैनहट्टन डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी साइरस वांसे के कार्यालय ने कपूर और कई अन्य लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में कपूर पर चोरी की मूर्तियों को रखने, इनकी चोरी करने से लेकर धोखाधड़ी आदि का आरोप लगाया था। जाँच में 307 पुरावशेषों में से 235 सुभाष कपूर द्वारा चोरी की गई मूर्तियाँ पाई गई, जिसे जब्त कर लिया गया।

इस संबंध में मैनहट्टन डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी साइरस वांसे के कार्यालय ने एक विज्ञप्ति जारी की। इसमें उन्होंने कहा, “एक शातिर लुटेरा, जिसने अफगानिस्तान, कंबोडिया, भारत, इंडोनेशिया, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैंड और अन्य देशों से मूर्तियों की तस्करी के लिए मदद ली।”

उन्होंने आगे कहा, “पाँच पुरावशेषों को नैन्सी वीनर (Nancy Wiener) और एक को नायेफ होम्सी (Nayef Homsi) की जाँच के बाद जब्त कर लिया गया। शेष 66 पुरावशेष कई छोटे तस्करी नेटवर्कों द्वारा भारत से चुराए गए थे।”

अमेरिका ने भारत को जिन वस्तुओं को वापस किया है, उनमें 12-13वीं शताब्दी की आर्क परिकारा भी है, जो संगमरमर से तैयार है। इसकी कीमत लगभग 85 हजार डालर है। इसे आर्ट डीलर कपूर से जब्त किया गया था।इसे सुभाष कपूर ने मई 2002 में तस्करी कर न्यूयार्क भेजा था। साल 2007 में कपूर ने आर्क परिकारा को नाथन रुबिन इडा लड्ड फैमिली फाउंडेशन को दान कर दिया था, जिन्होंने 2007 में येल यूनिवर्सिटी आर्ट गैलरी को इसे दान कर दिया।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि सभी 307 पुरावशेष न्यूयॉर्क में भारतीय वाणिज्य दूतावास में एक प्रत्यावर्तन समारोह के दौरान लौटा दिए गए हैं, जिसमें भारत के महावाणिज्य दूत रणधीर जायसवाल और यूएस होमलैंड सिक्योरिटी इंवेस्टिगेशन (एचएसआई) के कार्यवाहक डिप्टी स्पेशल एजेंट-इन-चार्ज टॉम लाउ शामिल थे। डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी एल्विन एल ब्रैग जूनियर ने कहा, “हमें सैकड़ों कलाकृतियाँ भारत को वापस लौटाने पर गर्व है।”

8 साल में 200 से अधिक प्राचीन और दुर्लभ मूर्तियां स्वदेश वापस आईं

साल 2013 तक करीब-करीब 13 प्रतिमाएं ही भारत आईं थीं, लेकिन पिछले आठ साल में 200 से ज्यादा बहुमूल्य प्रतिमाओं को भारत सफलता के साथ वापस लाया जा चुका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार की अपने सांस्कृतिक धरोहरों को लेकर प्रतिबद्धता है, उसे अमेरिका, ब्रिटेन, हालैंड, फ्रांस, कनाडा, सिंगापुर और जर्मनी ऐसे कितने ही देशों ने भारत की इस भावना को समझा है और मूर्तियां लाने में हमारी मदद की है।

रंग ला रहीं विरासत वापसी की कोशिशें, मां अन्नपूर्णा के बाद नटराज भी लाए गए 


प्रधानमंत्री की श्रद्धा, आस्था और भारतीय स्वर्णिम इतिहास के प्रति लगाव का ही सुफल है कि काशी से चोरी हुई मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा भी वापस लाई गई थी। मोदी सरकार के प्रयासों का ही सुपरिणाम है कि अब 10वीं शताब्दी की दुर्लभ नटराज की प्रतिमा लंदन से राजस्थान लाई गई। यह मूर्ति रावतभाटा (चित्तौड़गढ़) के सटे बाड़ौली के प्राचीन घाटेश्वर मंदिर से 1998 में चोरी हुई थी।

तस्करों ने असली मूर्ति 85 लाख की बेची, उसकी जगह नकली रखी


काबिले जिक्र है कि फरवरी 1998 में यह मूर्ति बाड़ौली के प्राचीन घाटेश्वर मंदिर से चोरी हुई थी। चोरी के 8 माह बाद मंदिर से समीप जंगल से मूर्ति कथित रूप से मिल भी गई, लेकिन आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया, नई दिल्ली के अधिकारियों ने जब मूर्ति को देखा तो इसे संदेहास्पद तो पाया, लेकिन कोई और सुबूत न होने के कारण इसे असली मूर्ति मानकर गोदाम में रखवा दिया। ऑपरेशन ब्लैक हॉल के दौरान जुलाई 2003 में मूर्ति चोरों ने खुलासा किया कि उन्होंने घाटेश्वर मंदिर से नटराज की वह मूर्ति चुराकर 85 लाख में लंदन में बेच दी थी। भ्रमित करने के लिए असली मूर्ति की जगह वैसी ही नकली मूर्ति रख दी थी।

कुख्यात मूर्ति तस्कर घीया गैंग के गुर्गों ने मूर्ति लंदन पहुंचाई
मामले में कुख्यात मूर्ति तस्कर घीया गैंग का नाम भी आया था। उसके गुर्गों ने मूर्ति लंदन में बेच डाली थी। वरिष्ठ संरक्षक सहायक सुरेश कुमावत को इस मूर्ति की जांच के दौरान जान से मारने तक की धमकियां मिली थी। आश्चर्य की बात यह है कि 2004 में इस बारे में पुख्ता हो गया था कि नटराज की बेशकीमती मूर्ति लंदन में हैं, इसके बावजूद कई साल तक इसे वापस लाने के गंभीर प्रयास मनमोहन सरकार की ओर से नहीं दिखाए गए। इसके फलस्वरूप पिछले कई सालों से चोरी गई नटराज की यह दुर्लभ मूर्ति लंदन में ही रही।

नटराज की मूर्ति वहीं लगे जहां से चोरी हुई थी
आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया, नई दिल्ली के पूर्व संयुक्त महानिदेशक देवकीनंदन डीमरी के मुताबिक 2014-15 में इस मूर्ति को वापस लाने की दिशा में सरकार ने प्रयास शुरू किए। उन्होंने बताया कि उस समय वो एएसआई में डायरेक्टर थे। मूर्ति को वापस लाने के कई प्रयासों के बाद 2017 में इसकी मंजूरी मिली। इसके बाद वे और तत्कालीनी डिप्टी सुपरिटेंडेंट डॉ. विनय गुप्ता वेरीफिकेशन के लिए लंदन गए। मूर्ति की वेरीफिकेशन के बाद इसे भारत लाने का मार्ग प्रशस्त हुआ। 

कलाकृतियां और पुरावशेष तस्करी और चोरी करके अमेरिका पहुंची थीं

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन ने सांस्कृतिक वस्तुओं के अवैध कारोबार, चोरी और तस्करी से निपटने के प्रयासों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि लगभग आधी कलाकृतियां (71) सांस्कृतिक हैं, जबकि अन्य आधे में हिंदू धर्म (60), बौद्ध (16) और जैन धर्म (9) से संबंधित मूíतयां हैं। ये कलाकृतियां और पुरावशेष तस्करी और चोरी करके कभी अमेरिका ले जाए गए थे। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के पुरावशेषों के प्रत्यावर्तन के लिए अमेरिका के प्रति अपना आभार व्यक्त किया। 

इन 157 कलाकृतियों की सूची में 10 वीं शताब्दी के बलुआ पत्थर में रेवंत के डेढ़ मीटर बेस रिलीफ पैनल से लेकर 12वीं शताब्दी की 8.5 सेंटीमीटर ऊंची कांसे की नटराज की मूर्ति शामिल है। कांस्य संग्रह में मुख्य रूप से लक्ष्मी नरायण, बुद्ध, विष्णु, शिव पार्वती और 24 जैन तीर्थंकरों की प्रसिद्ध मुद्राओं की अलंकृत मूर्तियां हैं। देवताओं के अलावा कंकलामूर्ति, ब्राह्मी और नंदीकेश की भी मूर्तियां हैं। इन कलाकृतियों में तीन सिर वाले ब्रह्मा, रथ पर आरूढ़ सूर्य, शिव की दक्षिणामूर्ति, नृत्य करते गणेश की प्रतिमा भी है। इसी तरह खड़े बुद्ध, बोधिसत्व मजूश्री, तारा की मूर्तियां हैं।

जैन धर्म की मूर्तियों में जैन तीर्थंकर, पद्मासन तीर्थंकर, जैन चौबिसी के साथ अनाकार युगल और ढोल बजाने वाली महिला की मूर्ति शामिल हैं। इसके अलावा टेराकोटा की 56 कलाकृतियां और 18वीं शताब्दी की म्यान के साथ एक तलवार है जिसमें फारसी में गुरु हरगोविंद सिंह लिखा है। दरअसल मोदी सरकार ने दुनिया भर से भारत की प्राचीन वस्तुओं और कलाकृतियों को वापस लाने की मुहिम छेड़ रखी है। ये 157 कलाकृतियां उसी मुहिम के तहत वापस लाई गई हैं। 

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