आज के समय में महिलाएं समाज में पुरुष के बराबर भागीदारी निभा रही हैं फिर चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो, अन्य सरकारी कामकाजी दफ्तर हो।या फिर आत्मनिर्भर होकर स्वरोजगार का रास्ता चुनकर अपने परिवार भरण पोषण का हो उन्हें अपनी दैनिक जीवन किस प्रकार सामना करना पड़ता है कार्यक्रम में कॉलेज के रिटायर अध्यापिका, एडवोकेट, टीचर मीडिया बंधु महिला शक्ति केंद्र से महिला कल्याण अधिकारी, जिला समन्वयक, आशा,आंगनवाड़ी उपस्थित रहे l अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस अवसर पर भिन्न-भिन्न जिलों एवं प्रदेशों में 01 से 08 मार्च तक महिलाओं से संबन्धित विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं जिसके अंतर्गत 05 मार्च 2023 को नीता अहिरवार उपनिदेशक महिला कल्याण/जिला प्रोबेशन अधिकारी बरेली द्वारा ‘‘इक्वल प्लेस‘‘ कार्यस्थल पर लैंगिक समानता के विषय पर जूम एप के माध्यम से कार्यक्रम आयोजित कराया गया। ‘‘इक्वल प्लेस‘‘ कार्यक्रम में श्रद्वा सक्सेना अधिवक्ता सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सभी प्रतिभागियों को कार्यस्थल पर लैंगिक समानता के विषय के बारे में समझाया गया। एडवोकेट श्रद्वा सक्सेना द्वारा कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष ) अधिनियम 2013 के बारे में जानकारी प्रदान की गयी। यह अधिनियम लोक सभा में 03 सितम्बर 2012 को तथा राज्य सभा में 26 फरवरी 2013 को पारित हुआ, और 23 अप्रैल 2013 को इसे अधिसूचित किया गया। इस अधिनियम के अनुसार ‘‘यह कानून कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से संरक्षण देने, रोकथाम व शिकायत निवारण के लिये बना है।
यौन उत्पीड़न के कारण महिला के संविधान में निहित समानता के अधिकार (धारा 14, 15) व जीवन की रक्षा व सम्मान से जीने के अधिकार (धारा 210) व व्यवसाय करने की आजादी के लिये तथा कार्यस्थल पर सुरक्षित वातावरण के न होने से उसके कार्य करने के लिये यह कानून है, बताया गया कि यदि महिला के साथ कार्यस्थल पर भेदभाव किया जा रहा है या किसी प्रकार की हिंसा की जा रही है तो वह स्थानीय लोकल कमेटी में पीड़ित महिला लिखित में अपनी शिकायत दर्ज करा सकतीं हैं जिसकी जांच स्थानीय लोकल कमेटी के द्वारा की जाएगी या सीधे थाना, चैकी, 112 आपातकालीन पुलिस सहायता नंबर पर शिकायत दर्ज करा सकतीं हैं।
शिकायत दर्ज कराने से पहले घटना का समय, दिनांक, और जगह की जानकारी रखना अतिआवश्यक है। साथ ही अगर महिला को निर्णय लेने में कोई समस्या आ रही है तो वह आगे की कार्यवाही करने से पहले विधिक सहायता ले सकती हैं। अक्सर देखा जाता है कि घरों में भी बेटा- बेटी में भेदभाव किया जाता है तथा शिक्षा के समान अवसर प्रदान नहीं किये जाते हैं ऐसी स्थिति में बालिकाओें/किशोरियोें/महिलाओ को अपने हक के लिये आवाज उठानी चाहिये जिससे कि आपके साथ-साथ ही अन्य महिलाओं को समानता का अवसर मिल सके।





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