महबूबा मुफ्ती को जलाभिषेक करते देख भड़के कट्टरपंथी, देवबंद के मौलाना ने कहा- इस्लाम विरोधी

महबूबा मुफ्ती पहुँची मंदिर (तस्वीर साभार: ANI)
जब कभी किसी मुस्लिम प्रथा पर प्रहार होता है, सभी छद्दम धर्म-निरपेक्षों को 'गंगा-जमुनी तहजीब' संकट में दिखनी शुरू हो जाती है, लेकिन जब किसी मुस्लिम द्वारा हिन्दू देवी-देवताओं में अपनी आस्था व्यक्त करता है, दोगलापन जगजाहिर हो जाता है। इसी तरह एक बात न्यूज़18 पर अमिश देवगन के शो आर-पार में मौलाना रशीदी ने अकबर द्वारा जोदाबाई से शादी करने के कारण उसको हिन्दुओं का जीजा बताने पर शो में मौजूद श्रीमती सुबुही खान ने तुरंत ईंट का जवाब पत्थर से देते हुए कहा कि "मैंने हिन्दू लड़के मिश्रा से शादी की है, तो इस हिसाब से मेरे पति तुम सबके जीजा हुआ", तुरंत रशीदी और शुएब जमाई का दोगलापन बाहर आ गया। वही स्थिति जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने हाल में एक मंदिर में जाकर पूजा पाठ की। यह मंदिर पूंछ जिले का नवग्रह मंदिर है। इसे पूर्व पीडीपी एमएलसी यशपाल शर्मा द्वारा बनवाया गया था। यहीं पहुँचकर महबूबी ने पहले शिवलिंग का जलाभिषेक किया और फिर वहाँ फूल चढ़ाए जाने पर कट्टरपंथियों का सियापा शुरू हो गया। हवा में उड़ गयी 'गंगा-जमुना तहजीब'। 

मंदिर जाकर पूजा-पाठ करने की उनकी वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल है। इसे देख कट्टरपंथी उनसे नाराज हैं। कहा जा रहा है कि ये सब चुनावों को मद्देनजर रखकर हो रहा है। वहीं देवबंद के मौलाना असद कासमी ने कहा है, “महबूबा ने जो किया वो सही नहीं है, उनका मंदिर जाना, शिवलिंग पर जल चढ़ाना, इस्लाम के खिलाफ है।”

एक ट्विटर यूजर ने महबूबा की वीडियो देख लिखा- “ये सब इस्लाम में बिलकुल स्वीकार्य नहीं है। चाहे ये महबूबा करे या कोई और।”

काशिफ शेख ने लिखा- “एक पत्थर पर ही तो पानी डाला है। पत्थर समझ कर ही पानी डाला होगा।”

मुस्तफिज आलम ने कहा, “मैं किसी धर्म के खिलाफ नहीं हूँ लेकिन जो भी किया वो इस्लाम के खिलाफ है। शर्म आनी चाहिए ये सब करने पर।”

वहीं भाजपा ने भी उनके मंदिर जाकर पूजा-पाठ करने को नौटंकी बताया। प्रदेश प्रवक्ता रणवीर सिंह ने कहा कि ये नौटंकी करके महबूबा मुफ्ती को कुछ हासिल नहीं होने वाला है। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे “2008 में महबूबा मुफ्ती और उनकी पार्टी ने अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड को भूमि आवंटन का विरोध किया था। महबूबा मुफ्ती की पार्टी ने तीर्थयात्रियों के लिए हट के निर्माण के लिए श्राइन बोर्ड को भूमि के अस्थायी हस्तांतरण की अनुमति नहीं दी थी।”

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