दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वर्ष 2000 से विदेशी फंडिंग लेकर इमेज चमकाई और सत्ता की सीढ़ी चढ़कर दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गए। विदेशी फंडिंग के लिए उन्होंने कई एनजीओ बनाए। विदेशी फंडिंग करने वाली प्रमुख संस्था फोर्ड फाउंडेशन थी जो कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के लिए काम करती है। फोर्ड फाउंडेशन की फंडिंग से ही मैगसेसे पुरस्कार और अशोका फैलोशिप दी जाती है। केजरीवाल को भी मैगसेसे पुरस्कार और अशोका फैलोशिप मिल चुकी है। दिल्ली में सरकार बनाते ही उन्होंने एडमिरल एल. रामदास को लोकपाल बनाया था। रामदास को भी मैगसेसे पुरस्कार मिल चुका है यानी वो भी उसी इकोसिस्टम का हिस्सा थे। लेकिन केजरीवाल की महत्वाकांक्षा देश का राजा बनने की थी तो उनकी राह में जो भी बाधक बन रहे थे उन्होंने एक-एक कर सभी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। अब राजा बनने के लिए पैसे भी चाहिए तो शराब घोटाले से लेकर तमाम घोटालों को अंजाम दिया गया। कुल मिलाकर उनका पूरा करियर ही विदेशी फंडिंग से बनी और खड़ी हुई, इसीलिए आज भी वह उनके ही एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं।
हिंदू विरोधी और भारत विरोधी NGO से AAP के क्या हैं संबंध?
Very Important Thread
— Vijay Patel🇮🇳 (@vijaygajera) October 16, 2022
1. AAP should clarify to the people of Gujarat about their relationship with foreign-funded anti-Hindu and anti-India NGOs and their founders.
Let me show you an example 👇
3. For example they are opposing the removal of article 370 in Jammu and Kashmir. pic.twitter.com/U17RN7GWWL
— Vijay Patel🇮🇳 (@vijaygajera) October 16, 2022
केजरीवाल के संबंध विदेशी फंडिंग से आतंकवादी का केस लड़ने वालों से क्यों?
केजरीवाल के संबंध शबनम हाशमी, गगन सेठी, हर्ष मंदर, और अन्य विदेशी फंड से चलने वाली एनजीओ के सदस्यों से है। ये सभी लोग विदेशी वित्त पोषित एनजीओ के कार्टेल चलाते हैं, जिसमें उन्हें फोर्ड फाउंडेशन, सोरोस, क्रिश्चियन चर्च और अन्य पश्चिमी संस्थाओं से फंड मिलता है। विदेशी फंड की मदद से ये लोग आतंकवादी का केस लड़ते हैं, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 का विरोध करते हैं और देश की विकास परियोजनाओं का विरोध करते हैं और उसमें अड़ंगा डालते हैं। यहां यह सवाल उठता है कि इस तरह के देश विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों से केजरीवाल के संबंध क्यों हैं?
7. Here comes one more foreign-funded NGO 'Kabir' co-founder Manish Sisodia.
— Vijay Patel🇮🇳 (@vijaygajera) October 16, 2022
It seems that they work very closely.
He is going to play the victim card in the next few days but the media will not ask about this to him! pic.twitter.com/SSgtl37zgN
8. Not Only Sisodia it seems that AAP has a very special collaboration with Shabnam Hashmi and similar people who run foreign-funded NGOs! pic.twitter.com/dZ09uin6zQ
— Vijay Patel🇮🇳 (@vijaygajera) October 16, 2022
विदेशी फंडिंग से चमकाई अपनी इमेज, दूसरे को बता रहा अनपढ़
अब केजरीवाल वो चंदे वाली डिग्रियां दिखा दिखा कर देश में अपनी मेहनत से ली हुई डिग्री को तुच्छ मान कर दूसरे लोगों को अनपढ़ कहता फिरता है! और उनके शिष्यों और साथियों को लगता है कि केजरीवाल बहुत पढ़ लिख लिए हैं और पूरे ब्रम्हांड में उनके जैसा पढ़ा लिखा कोई नहीं है!
सीआईए के लिए राजनीतिक जमीन तैयार करता है फोर्ड फाउंडेशन
अमेरिका की खुफिया संस्था सीआईए के साल 1951 के डिक्लासिफाइड डॉक्यूमेंट में लिखा हुआ है कि कैसे सीआईए को फोर्ड फाउंडेशन के माध्यम से अपने सहयोगी राजनीतिक प्रोजेक्ट तैयार करना है और साथ ही भारत और अन्य देश में कैसे साइकोलॉजिकल वॉरफेर में भी फोर्ड फाउंडेशन का साथ लेना है।
केजरीवाल का पूरा कैरियर सीआईए के लिए काम कर रही फोर्ड फाउंडेशन के चंदे से बना
इस तरह केजरीवाल अपना पूरा कैरियर विदेशी जासूसी संस्था सीआईए के लिए काम कर रही फोर्ड फाउंडेशन के चंदे से बनाता है। यही नहीं जिसके दम पर वो पूरी दुनिया में पढ़ा लिखा होने का दम भरता है वैसी “अशोका फैलोशिप” की डिग्री के पैसे भी “फोर्ड फाउंडेशन” ने दिए हैं!
केजरीवाल ने वर्ष 2000 में एनजीओ बनाया परिवर्तन
साल 2000 में केजरीवाल एक एनजीओ बनाते हैं और नाम रखते हैं “परिवर्तन”। इस परिवर्तन एनजीओ को “ट्रांसपेरेंसी इंडिया” से सपोर्ट मिलता है जो कि “फोर्ड फाउंडेशन” और “सोरोस” की “ओपन सोसाइटी फाउंडेशन” के चंदे से चलती है!
केजरीवाल के एनजीओ परिवर्तन को फोर्ड फाउंडेशन का चंदा
साल 2002 से केजरीवाल के एनजीओ “सम्पूर्ण परिवर्तन” को फोर्ड फाउंडेशन सीधा चंदा देना शुरू कर देते है! केजरीवाल ने अपने एनजीओ का नाम “परिवर्तन” से बदलकर “संपूर्ण परिवर्तन” कर लिया था।
फोर्ड फाउंडेशन के चंदे से मिला अशोका फैलोशिप
साल 2004 में केजरीवाल को “अशोका फैलोशिप” मिलती है जिनके दम पर वो फिर पूरी दुनिया में बताता फिरता है कि देखो वो कितना पढ़ा लिखा है! पर आपको जानकर हैरानी होगी कि “अशोका फैलोशिप” का चंदा भी “फोर्ड फाउंडेशन” देती है।
फोर्ड फाउंडेशन के पैसे से मिला मैगसेसे पुरस्कार
साल 2006 में केजरीवाल को मैगसेसे पुरस्कार दिया जाता है और पूरी दुनिया में हो हल्ला मचाता है कि देखो हमें अपने काम के लिए कितना बड़ा अवॉर्ड मिला। लेकिन केजरीवाल ये नहीं बताएंगे कि “मैगसेसे पुरस्कार” भी फोर्ड के चंदे से ही दिया गया था!
दुनिया को बेवकूफ बनाने के लिए रामदास को बनाया लोकपाल
केजरीवाल के साथी एडमिरल एल. रामदास को साल 2004 में “मैगसेसे पुरस्कार” से नवाजा गया था। यानी रामदास भी उसी अमेरिकी डीप स्टेट के इकोसिस्टम का हिस्सा थे। बाद में केजरीवाल ने उन्हें अपनी पार्टी का पहला लोकपाल बनाया। दुनिया को बेवकूफ बनाने के लिए कि देखो वो कितना ईमानदार है!
सत्ता मिलते ही केजरीवाल ने रामदास को लोकपाल से हटाया
2015 में मिले प्रचंड बहुमत के बाद केजरीवाल सीएम बन गए। पार्टी के कई संस्थापक सदस्यों को बाहर का रास्ता दिखाया जाने लगा। इस पर एडमिरल ने सवाल उठाया, केजरीवाल को पत्र लिखकर उन्हें समझाने का प्रयास किया। 80 वर्षीय रामदास का फोन तक नहीं उठाया। उन्हें बिना बताए एक झटके में लोकपाल समूह से बाहर कर दिया। एडमिरल का गला भर आया था, मगर किसी ने उनसे बात करना भी उचित नहीं समझा।
एल. रामदास की बेटी फोर्ड फाउंडेशन के प्रेसिडेंट की सीनियर एडवाइजर
मजे की बात देखिए कि केजरीवाल ने अपनी ईमानदार छवि गढ़ने के लिए जिस एल रामदास को पहला लोकपाल बनाया था उसकी बेटी फोर्ड फाउंडेशन के प्रेसिडेंट की सीनियर एडवाइजर थी!
2006 में केजरीवाल को अमेरिकी एनजीओ “ऐड इंडिया” से मिला चंदा
साल 2006 में केजरीवाल को अमेरिकी एनजीओ “ऐड इंडिया” उसे “एड साथी” के रूप में चुन कर उसे चंदा देती है। यहां भी मजे की बात देखिए की “फोर्ड फाउंडेशन” ही एड इंडिया को चंदा देती है।
केजरीवाल के एनजीओ कबीर को पंजीकरण से पहले मिल गया चंदा
साल 2005 में केजरीवाल ने एक और एनजीओ शुरू किया जिसका नाम था “कबीर”। मजे की बात देखिए “कबीर” के पंजीकरण के पहले ही “फोर्ड फाउंडेशन” उसे लाखों रुपए का चंदा दे देती है!
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