बिहार : आनंद मोहन के आज़ाद होने से जंगल राज की वापसी , सुबह सबेरे जेल से रिहाई: अशोक यादव भी बाहर निकला, बोला- सरकार बढ़िया काम किया हमलोगों के लिए

आनंद मोहन के साथ जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह (फाइल फोटो, साभारः @ChetanAmohanRJD)
बिहार में अब गुंडाराज आ गया है। लालू प्रसाद यादव के समय में जंगलराज था और अब नीतीश कुमार- तेजस्वी यादव के समय में गुंडाराज आ गया है। चुनावी लाभ के लिए गुंडों को संरक्षण दिया जा रहा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आनंद मोहन के साथ ही 27 वैसे लोगों को छोड़ रहे हैं जो कुख्यात अपराधी रहे हैं। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार ने गुंडों और माफिया को संरक्षण देने के लिए कानून बदल दिया।

पूर्व सांसद आनंद मोहन आजाद हो गया है। 27 अप्रैल 2023 की सुबह उसे सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया। गोपालगंज के डीएम रहे जी कृष्णैया की हत्या में उसे आजीवन कारावास हुई थी। वह 16 साल से जेल में बंद था। बिहार सरकार ने 10 अप्रैल 2023 को जेल नियमावली, 2012 के नियम 481 में संशोधन कर उसकी रिहाई का रास्ता साफ किया था।

सहरसा जेल अधीक्षक अमित कुमार ने उसकी रिहाई की पुष्टि की है। आनंद मोहन की रिहाई को लेकर नियमों में जो बदलाव किया गया है, उस पर कृष्णैया के परिजन निराशा जता चुके हैं। मीडिया में भी इस फैसले पर सवाल उठ रहे हैं। इसका असर रिहाई के समय भी दिखा। जब आनंद मोहन जेल से बाहर निकला तो समर्थकों का कोई जमावड़ा नहीं था। न उसने रोड शो कर अपनी शक्ति दिखाई।

नीतीश कुमार कभी लालू यादव के शासनकाल को जंगलराज कहा करते थे और आज वह खुद गुंडाराज को बढ़ावा दे रहे हैं। गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन को जेल से स्थायी तौर पर रिहा करने का आदेश जारी हो गया है। आनंद मोहन के साथ दर्जन भर जेलों में बंद 27 बंदियों को मुक्त करने का आदेश दिया गया है। कई नेता से लेकर अधिकारी तक नीतीश सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। सेंट्रल IAS एसोसिएशन ने बिहार सरकार द्वारा आनंद मोहन की रिहाई को लेकर नोटिफिकेशन जारी करने का विरोध जताया है। यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आनंद मोहन की रिहाई का विरोध किया है। यहां तक कि महागठबंधन में शामिल कांग्रेस और भाकपा माले ने भी इस फैसले का विरोध किया है।

बाहुबली आनंद मोहन के साथ 26 अन्य कैदी जेल से रिहा होंगे

बिहार सरकार ने गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के आरोप में जेल में बंद पूर्व सांसद बाहुबली आनंद मोहन जल्द कैद से आजाद हो जाएंगे। उनके साथ 26 अन्य कैदी भी जेल से बाहर आ जाएंगे। आनंद मोहन के लिए जेल के नियमों में बदलाव किया गया। नीतीश कुमार की सरकार ने आनंद मोहन के साथ ही 26 अन्य कैदियों को रिहा करने से संबंधित आदेश जारी कर दिया। इन्हें छोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

नीतीश सरकार द्वारा जेल कानून में बदलाव बाद रिहाई का आदेश

नीतीश सरकार द्वारा जेल कानून में बदलाव किए जाने के बाद गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 20 अप्रैल को हुई राज्य दंडादेश परिहार पर्षद की बैठक में इन कैदियों को छोड़ने से संबंधित प्रस्ताव पर सहमति बनी। इसके बाद विधि विभाग ने सभी पहलुओं पर समीक्षा करने के बाद इसकी अनुमति देते हुए आदेश जारी कर दिया। यह आदेश विधि सचिव रमेश चंद्र मालवीय की तरफ से जारी किया गया है। इसके आधार पर जेल निदेशालय ने सभी संबंधित कैदियों को छोड़ने से जुड़ा निर्देश संबंधित जेलों को भेज दिया। इस सूची में आनंद मोहन 11वें नंबर पर हैं।

15 से अधिक कैदी लोक सेवकों की हत्या के दोषी

अब 27 कैदियों को रिहा करने से संबंधित अंतिम प्रक्रिया जेल के स्तर पर शुरू हो गई है। जल्द ही सभी कैदी बाहर आ जाएंगे। सूचना के अनुसार, इसमें 15 से अधिक कैदी लोक सेवकों की हत्या के आरोप में सजा काट रहे हैं। जबकि 20 वर्ष या आजीवन कैद की सजा काट रहे कुछ कैदी ऐसे भी हैं, जिन्हें हाईकोर्ट ने मामलों की सुनवाई करने के बाद रिहा करने का आदेश दिया है। ऐसे ये सभी वैसे कैदी हैं, जो 20 वर्ष से अधिक समय की सजा काट चुके हैं।

बक्सर जेल से कैदियों की रिहाई शुरू

बिहार के बक्सर मुक्त कारा से पांच कैदी की रिहाई होनी थी। इसमें तीन कैदी को बुधवार को रिहा कर दिया गया जबकि एक कैदी ने अर्थ दंड नहीं जमा किया है इस वजह से उसकी रिहाई नहीं हो सकी। वहीं पांचवे कैदी की रिहाई अब कभी नहीं हो सकती है क्योंकि वह अब कैद में नहीं है। बक्सर जेल से जिन पांच कैदियों की रिहाई होनी थी उनमें से एक कैदी पतिराम राय की मौत करीब 6 महीने पहले ही हो गई है।

पतिराम राय की पहले हो चुकी है मौत

बिहार सरकार ने रिहा किए जाने वाले कैदियों की सूची जारी की है उसमें 15 नंबर पर कैदी पतिराम राय की रिहाई का आदेश सरकार ने दिया है। पतिराम राय को 1988 में उम्रकैद की सजा हुई थी। उन्हें हत्या मामले में यह सजा मिली थी। 35 सालों से जेल में बद पतिराम राय की उम्र सरकारी कागजों के अनुसार 93 साल है। जेल अधीक्षक ने उनकी रिहाई के लिए कारा एवं सुधार विभाग को पत्र लिखा था। जिसके बाद सरकार ने आनंद मोहन सिंह के साथ जिन 26 कैदियों को रिहा करने का आदेश जारी किया है उसमें पतिराम राय का भी नाम शामिल है लेकिन पतिराम राम रिहाई की खुशी महसूस करने के लिए इस दुनिया में नहीं हैं। 6 महीने पहले ही उनकी मौत हो चुकी है। आश्चर्य की बात यह है कि किसी कैद मौत हो चुकी है लेकिन सरकार को इस बात की जानकारी ही नहीं है। इससे सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल उठते हैं। 

बिहार में अंधेर नगरी, मौत के बाद रिहाई का आदेश

बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा -बिहार में अंधेर नगरी है। यहां निधन के बाद कर्मचारियों का ट्रांसफर होता है। जिनकी मौत हो चुकी होती है उनके खिलाफ आदेश जारी होता है। अब एक दलित कैदी को जेल से छोड़ने का आदेश तब दिया गया है जब उस कैदी की पहले मौत हो गई है। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि काश उस दलित को जिंदा रहते न्याय मिल जाता।

कांग्रेस ने कहा- इससे देश में गलत संदेश जा रहा

कांग्रेस ने बिहार सरकार के इस फैसले का खुलकर विरोध किया है। कांग्रेस नेता पी.एल.पुनिया ने कहा कि गोपालगंज के डीएम की हत्या करने वाले आनंद मोहन को सजा से पहले छोड़ने के लिए कानून के नियमों में संशोधन किया गया, जिससे वे जल्दी रिहा हो जाए। इससे देश में गलत संदेश जा रहा है।

जी कृष्णैया अपनी हत्या के खुद जिम्मेदारः शिवानंद तिवारी

गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे आनंद मोहन सिंह को रिहा करने के फैसले का विरोध हो रहा है। जिसके बाद महागठबंधन के नेता इसका बचाव कर रहे हैं। आनंद मोहन के बचाव में उतरे नेता ऐसे तर्क दे रहे हैं जिसका कोई सिर पैर नहीं हैं। आरजेडी के सीनियर लीडर और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने तो जी कृष्णैया की हत्या के लिए उन्हें ही जिम्मेदार बता दिया है। शिवांनद तिवारी ने कहा है कि- जिस दिन जी. कृष्णैया की हत्या हुई वह किसी और रास्ते से जा सकते थे। उस दिन वह मुजफ्फरपुर के रास्ते से ही क्यों गए?

IAS एसोसिएशन ने कहा- इससे लोक सेवकों के मनोबल में गिरावट आएगी

सेंट्रल IAS एसोसिएशन ने बिहार सरकार द्वारा आनंद मोहन की रिहाई को लेकर नोटिफिकेसन जारी करने का विरोध जताया है। एसोसिएशन ने एक बायन में कहा कि गोपालगंज के पूर्व डीएम स्वर्गीय जी कृष्णैया की नृशंस हत्या के दोषियों को रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले पर कैदियों के वर्गीकरण नियमों में बदलाव पर गहरी निराशा व्यक्त करता है। IAS एसोसिएशन द्वारा जारी लेटर में कहा गया कि कि नियमों में संशोधन कर लोक सेवक की हत्या के आरोप में दोषी को जघन्य श्रेणी में फिर से क्लासिफाई नहीं किया जा सकता। ऐसे फैसलों से लोक सेवकों के मनोबल में गिरावट आती है। लोक व्यवस्था कमजोर होती है और प्रशासन के न्याय का मजाक बनता है। हमलोग अनुरोध करते हैं कि बिहार सरकार जल्द से जल्द अपने फैसले पर पुनर्विचार करे।

भाकपा माले नेताओं ने कहा- यह भेदभावपूर्व कदम है

महागठबंधन सरकार के सहयोगी भाकपा माले आनंद मोहन की रिहाई को लेकर अपनी ही सरकार का विरोध किया। भाकपा माले ने बिहार सरकार के इस कदम को भेदभाव पूर्ण बताया।

आनंद मोहन के साथ इन बंदियों की होगी रिहाई

कैदी का नाम – जेल का नाम

कलक्टर पासवान उर्फ घुरफेकन – मंडल कारा, आरा
किशुनदेव राय – मुक्त कारागार, बक्सर
सुरेंद्र शर्मा – केंद्रीय कारा, गया
देवनंदन नोनिया – केंद्रीय कारा, गया
रामप्रवेश सिंह – केंद्रीय कारा, गया
विजय सिंह उर्फ मुन्ना सिंह – केंद्रीय कारा, मुजफ्फरपुर
रामाधार राम – मुक्त कारागार, बक्सर
दस्तगीर खान – मंडल कारा, अररिया
पप्पू सिंह उर्फ राजीव रंजन सिंह – केंद्रीय कारा, मोतिहारी
अशोक यादव – मंडल कारा, लखीसराय
शिवजी यादव – आदर्श केंद्रीय कारा, बेउर
किरथ यादव – विशेष केंद्रीय कारा, भागलपुर
राजबल्लभ यादव उर्फ बिजली यादव – मुक्त कारागार, बक्सर
अलाउद्दीन अंसारी – विशेष केंद्रीय कारा, भागलपुर
मो. हलीम अंसारी – विशेष केंद्रीय कारा, भागलपुर
अख्तर अंसारी – विशेष केंद्रीय कारा, भागलपुर
मो. खुदबुद्दीन – विशेष केंद्रीय कारा, भागलपुर
सिकंदर महतो – मंडल कारा, कटिहार
अवधेश मंडल – विशेष केंद्रीय कारा, भागलपुर
पतिराम राय – मुक्त कारागार, बक्सर
हृदय नारायण शर्मा उर्फ बबुन शर्मा – केंद्रीय कारा, गया
मनोज प्रसाद – आदर्श केंद्रीय कारा, बेउर
पंचा उर्फ पंचानंद पासवान – केंद्रीय कारा, भागलपुर
जितेंद्र सिंह – मुक्त कारागार, बक्सर
चंदेश्वरी यादव – केंद्रीय कारा, भागलपुर
खेलावन यादव – मंडल कारा, बिहारशरीफ


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