उत्तर प्रदेश और राजस्थान के इन मंदिरों में अब शॉर्ट कपड़ों में दर्शन नहीं कर सकेंगे श्रद्धालु, अश्लीलता पर रोक के लिए लागू हुई नई व्यवस्था


सनातन हिंदू जनमानस जाग रहा है। अब देवी-देवताओं के अपने आराध्य स्थलों पर उसे किसी तरह की अश्लीलता बर्दाश्त नहीं है। देश के ज्योतिर्लिंगों से लेकर काशी विश्वनाथ तक कई बड़े मंदिरों में तो पहले ही भगवान के दर्शन करने के लिए ड्रेस कोड अनिवार्य है। अब दूसरे मंदिरों में भी इस पर अमल होने लगा है। ताकि आस्था के इन स्थलों पर सनातन संस्कृति की अनुपालना सभी के लिए बाध्यकारी हो, चाहे वो देशी हो या फिर विदेशी। चाहे वो किसी भी धर्म को मानने वाला हो, मंदिरों में प्रवेश के लिए उसके तय ड्रेस कोड का पालन करना ही होगा। राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ मंदिरों में मंदिर कमेटी की ओर से इसके लिए बकायदा बैनर-बोर्ड लगाए हैं। इसमें लिखा है- ”सभी श्रद्धालु मंदिर में मर्यादित वस्त्र पहनकर ही आएं। छोटे वस्त्र, हाफ पैंट, बरमूडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट, कटी-फटी जींस आदि पहनकर आने पर मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं होगी।’ मंदिरों में भड़काऊ कपड़े पहनकर आने वाले श्रद्धालुओं को लेकर लगातार शिकायतें आ रही थीं, जिसके बाद मंदिर कमेटी ने यह फैसला किया और ड्रेस कोड का पालन करने वाले श्रद्धालुओं को ही मंदिर में प्रवेश करने का दिशा निर्देश जारी किए हैं।

सभी लोगों को पर्यटन और धार्मिक यात्रा में फर्क समझना होगा
हिंदू सनातन धर्मियों और मंदिरों के पुजारी-महंत का मानना है कि लोगों को पर्यटन और धार्मिक यात्रा में फर्क समझना होगा। पवित्र जगहों की अपनी परंपरा और मर्यादा होती है, उसी के अनुसार मंदिर में मर्यादित आचरण भी करना चाहिए। उसी माहौल के अनुसार आचरण और वेशभूषा भी होनी चाहिए। अगर आप किसी टूरिस्ट प्लेस पर जा रहे हैं, तो वहां के अनुसार कपड़े पहनें और अगर आप मंदिर जैसी धार्मिक जगह पर आ रहे हैं, तो कपड़े मर्यादा में होने चाहिए। मंदिर या किसी धार्मिक जगह पर शालीन कपड़े पहनना ज्यादा शोभा देता है। जैसे महिलाएं साड़ी या सूट और पुरुष पैंट और शर्ट। इसी को देखते हुए उत्तराखंड में हरिद्वार के मंदिरों में ड्रेस कोड लागू कर दिया गया है। यहां के मंदिरों में आप वेस्टर्न कपड़े पहनकर जाने पर रोक भी लगा दी गई है। ऐसे में अब महिलाएं ही नहीं, बल्कि पुरुष और लड़कियां भी छोटे-छोटे कपड़े पहनकर या वेस्टर्न कपडों के साथ मंदिरों में दर्शन नहीं कर सकते। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी के मुताबिक यह पाबंदी इसलिए है कि भारतीय संस्कृति अंग प्रदर्शन को अच्छा नहीं माना गया है।

उदयपुर में विश्व प्रसिद्ध जगदीश मंदिर में शॉर्ट कपड़े पहनने पर रोक
लेकसिटी उदयपुर में स्थित भगवान जगन्नाथ के विश्व प्रसिद्ध जगदीश मंदिर में अब श्रद्धालु शॉर्ट कपड़े पहनकर प्रवेश नहीं कर सकेंगे। मंदिर प्रबंधन ने शॉर्ट कपड़े पहनकर मंदिर में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। नए नियमों की पालना कराने के लिए मंदिर परिसर में पोस्टर लगाए गए हैं और सूचना भी लिखी गई है। इनमें साफ लिखा गया कि मंदिर में आने वाले श्रद्धालु पुरुष और महिलाएं शॉर्ट कपड़े पहनकर नहीं आएं, अन्यथा उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाएगा। यह व्यवस्था मंदिर मंडल की ओर से लागू की गई है। मंदिर में आने वाले भक्तों से इसकी अपील भी की जा रही है। उन्हें सनातन धर्म की संस्कृति के बारे में बताया जा रहा है। मंदिर मंडल की ओर से बाहर से आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों को भी नए नियमों की पालना करने के लिए जागरुक किया जा रहा है।

हापुड़ के खाटू श्याम मंदिर में कटी-फटी जींस, छोटे कपड़े और हाफ पैंट वर्जित

उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में स्थित प्रसिद्ध खाटू श्याम मंदिर कमेटी ने सनातन संस्कृति के लिए श्रद्धालुओं के पहनावे को लेकर नये दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके मुताबिक कटी-फटी जींस, छोटे कपड़े और हाफ पैंट जैसे कपड़े पहनकर दर्शन करने आने वालों को मंदिर में प्रवेश नहीं मिलेगा। मंदिर समिति के मुताबिक अगर यहां दर्शन करने आना है तो श्रद्धालुओं को ड्रेस कोड का पालन करना होगा। इसको लेकर मंदिर कमेटी ने दिशा-निर्देश जारी कर मंदिर परिसर के बाहर एक बैनर भी लगवा दिया है। मंदिर कमेटी के लगे उस बैनर में लिखा है- ”सभी महिलाएं एवं पुरुष मंदिर में मर्यादित वस्त्र पहनकर ही आएं। छोटे वस्त्र, हाफ पैंट, बरमूडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट, कटी-फटी जींस आदि पहनकर आने पर बाहर से दर्शन करें. कृपया सहयोग करने की कृपा करें।”

हरिद्वार से मैसेज के बाद बोहरा गणेश मंदिर छोटे कपड़ों पर प्रतिबंध
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उदयपुर से प्रख्यात बोहरा गणेश मंदिर में भड़काऊ कपड़े पहनकर आने वाले श्रद्धालुओं को लेकर लगातार शिकायतें आ रही थीं। इसके बाद मंदिर प्रबंधन ने इस दिशा में कुछ दिन पहले ही कदम उठाया है। मंदिर के पंडित इंद्र जोशी के मुताबिक छोटे वस्त्र पहनकर मंदिर में प्रवेश करने पर पाबंदी लगाई गई है। हरिद्वार में मंदिरों में छोटे कपड़े पहनकर आने पर प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है। वहां से यह मैसेज हमारे मंदिर के ग्रुप में आया था। इसके बाद इस पर एक्शन लेते हुए यहां भी सख्ती से इसे लागू कर दिया है। कोटड़ी चारभुजा मंदिर में भी पिछले माह ड्रेस कोड लागू किया गया है। कमेटी ने मंदिर के सभी मुख्यद्वार पर ऐसे बोर्ड लगा दिए हैं। मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष सुदर्शन गाड़ोदिया के मुताबिक श्रद्धालुओं से मर्यादित कपड़े पहनकर आने की अपील की गई है।

इन मंदिरों में पहले से ही सनातन संस्कृति के अनुरूप है ड्रेस कोड

देश के प्रमुख मंदिरों में प्रवेश या दर्शन के लिए वेशभूषा धारण करना अनिवार्य है। यदि किसी को पारंपरिक कपड़े जैसे धोती, लुंगी या अन्य पोशाक पहनने की आदत नहीं है या असुविधा होती है तो इसके लिए रेडिमेड पारंपरिक वस्त्रों की इंतजाम है। आइए, जानते हैं कि कुछ प्रमुख मंदिरों में क्या है ड्रेस कोड…

महाकाल ज्योतिर्लिंग: देश के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक महाकाल ज्योतिर्लिंग धर्म नगरी उज्जैन में है। इस मंदिर में भस्म-आरती के दर्शन करने, अभिषेक, पूजा आदि करने के लिए पुरुषों को धोती और महिलाओं कोरी साड़ी पहनना अनिवार्य है। मंदिर में भस्मार्ती के समय ज्योतिर्लिंग पर जब भस्म चढ़ाई जाती है, तब महिलाओं को कुछ पलों के लिए घूंघट रखना होता है, क्योकि यह दृश्य देखना उनके लिए वर्जित है।

तिरुपति बालाजी मंदिर: इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर में बरमुडा, शॉर्ट्स या टी शर्ट पहनकर श्रद्धालु प्रवेश नहीं कर सकते है। महिलाओं को साड़ी या सलवार सूट पहन कर आने से प्रवेश मिलता है। मन्दिर में होने वाले विशेष अनुष्ठानों में हिस्सा लेने वाले पुरुषों के लिए धोती या पायजामा और महिलाओं के लिए साड़ी पहनना आवश्यक है।

काशी विश्वनाथ मंदिर: वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर में विदेशी पर्यटक अक्सर कम कपड़ों में प्रवेश करते हैं। इसलिए पुरुषों के लिए धोती और विदेशी महिलाओं के लिए साड़ी पहनना अनिवार्य है। यदि मंदिर में लोग जींस, पैंट, शर्ट और सूट पहन कर प्रवेश करेंगे तो वे दूर से दर्शन के पात्र होंगे उन्हें स्पर्श दर्शन करने की अनुमति नहीं मिलेगी।

पद्मानाभस्वामी मंदिर: केरल के पद्मानाभस्वामी मंदिर में महिलाओं के लिए सलवार-सूट, जींस या अन्य परिधान पहनकर प्रवेश करना वर्जित है। वे केवल साड़ी पहन कर ही प्रवेश कर सकती है। वही पुरषों के लिए मुंडू या लुंगी पहन कर प्रवेश करना आवश्यक है ।

महाबलेश्वर मंदिर: कर्नाटक स्थित गोकर्ण का महाबलेश्वर मंदिर का शिवलिंग भक्तों में बहुत प्रसिद्ध है। इस मंदिर में पुरषों का जींस, पैंट, पायजामा, हैट, कैप, कोट और बरमूडा शार्ट्स पहनकर आना वर्जित है। पुरुष भक्त केवल धोती में और महिलायें को सलवार-सूट और साड़ी में ही प्रवेश मिलता है। महिलाएं जींस, पैंट या कैप्री पहन कर नहीं आ सकतीं।

मंदिरों का पुनरुद्धार कर सनातन संस्कृति के ध्वजवाहक बने पीएम मोदी
हिंदू जनमानस के जागने का सबसे बड़ा कारण केंद्र में नरेन्द्र मोदी का प्रधानमंत्री पद सुशोभित करना भी है। पिछले नौ साल में पीएम मोदी भारत की सनातन सभ्यता और संस्कृति के ध्वजवाहक के रूप में सामने आए हैं। उनकी सरकार न सिर्फ देश का भौतिक विकास कर रही है, बल्कि सनातन संस्कृति को दुनियाभर में पहचान भी दिला रही है। दरअसल भारत के पवित्र मंदिर सनातन संस्कृति के मूर्त रूप होते हैं। इन मंदिरों ने आस्था और धर्म को बचाए रखने और उसके फिर से उत्थान में बड़ी भूमिका निभायी है। इनको मोदी राज में प्राचीन और आधुनिक शैली के संगम से नये स्वरुप में ढाला जा रहा है। पिछले आठ सालों से प्रधानमंत्री मोदी प्राचीन धार्मिक, सांस्कृतिक विरासत और धरोहर रहे मंदिरों का जीर्णोद्धार कर उन्हें अपनी पुरानी गरिमा वापस दिला रहे हैं।

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