जब दीमक लगनी शुरू होती है, कभी पता नहीं चलता, जब तक वह कागजों और लकड़ी से बाहर नहीं आती। ठीक वही स्थिति कांग्रेस की सनातन को लेकर रही है, जो अब कुछ वर्षों से बड़ी तेजी से सामने आ रही हैं। इन्हें केवल सनातन धर्म में ही कमियां नज़र आती रही, जबकि अन्य मजहबों में सनातन से अधिक कमियां हैं, उनको दूर करना तो दूर, उनके विरुद्ध बोलने की हिम्मत नहीं किसी में नहीं हुई। तुष्टिकरण और छद्दम सेकुलरिज्म के नाम पर हिन्दुओं के विरुद्ध साज़िशें होती रही। जिनके विरुद्ध नरेंद्र मोदी के केंद्र में आने से पहले भाजपा तक में हिम्मत नहीं हुई।
हिन्दुओं को भ्रमित करने राहुल गाँधी कोट पर जनेऊ पहन लेते हैं, प्रियंका हाथ में कलावा बांध लेती हैं, चुनावों में मंदिरों में पूजा करने का नाटक करती हैं, जबकि वही प्रियंका जब केरल जाती है बिना कलावा के। लेकिन चुनाव समाप्त होते ही समस्त भाजपा विरोधी अपने असली रंग में आ जाते हैं। हिन्दू धार्मिक स्थलों को विवादित बनाने वाले भी ये गैंग है। इस गैंग ने भारतवासियों को गलत इतिहास पढ़ाने का दुस्साहस किया है, और जब आज भारत का वास्तविक इतिहास उजागर होना शुरू हो रहा है, सनातन धर्म पर प्रहार किया जा रहा है। सत्य को झुठलाकर जितना अधिक सनातन पर प्रहार होगा, उतनी ही तेजी इन छद्दम सेक्युलरिस्ट, गंगा-जमुनी तहजीब का नारा लगाने वाले और तुष्टिकरण करने अपने पतन की ओर अग्रसर हो रहे हैं, जिसे ये गैंग समझ नहीं रहा। इस गैंग ने वोट ध्रुवीकरण कर शुरू कर दिया है। हिन्दुओं के धैर्य की अग्नि परीक्षा ली जा रही है, संयम को तोड़ने का दुस्साहस किया जा रहा है और जिस दिन हिन्दुओं के धैर्य की सीमा टूटी उसके दुष्कर एवं परिणामों के हिन्दू नहीं बल्कि ये हिन्दू विरोधी शत-प्रतिशत जिम्मेदार होंगे। तमिलनाडु के स्टालिन द्वारा सनातन पर कीजड़ फेंकने पर साधु-संत समाज का उग्र होना स्पष्ट संकेत दे रहा है।
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव अब दहलीज पर आ चुका है। प्रदेश में दोनों प्रमुख पार्टियां भारतीय जनता पार्टी और इंडियन नेशनल कांग्रेस आमने सामने है। दोनों पार्टियां एक दूसरे को पटखनी देने के लिए दांव भिड़ा रही है। लेकिन जहां तक प्रदेश की जनता की बात है तो वे आज भी कमलनाथ सरकार के 15 महीने के कार्यकाल के दौरान हुए घोटाले का नाम सुनकर सिहर जाती है। वह चाहे सिंचाई परियोजनाओं में हुए घोटाले हो या इफको उर्वरक घोटाला, मोजर वेयर घोटाला हो या अगस्ता वेस्टेलैंड हेलिकॉप्टर घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे का नाम हो, महज 15 महीने के कार्यकाल में ही आधा दर्जन से अधिक घोटाले सामने आ गए। इन घोटालों से प्रदेश की जनता सचेत है।मुख्यमंत्री रहते कमलनाथ का हिंदू विरोधी फैसला
दिसंबर 2018 से लेकर मार्च 2020 तक मध्य प्रदेश की सरकार चलाने वाले मुख्यमंत्री कमलनाथ पर भाजपा ने हिंदू विरोधी फैसले लेने का भी आरोप लगाया है। भाजपा नेता का कहना है कि कमलनाथ सरकार के धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग द्वारा मंदिरों की जमीन नीलाम करने की तैयारी की थी। जो बाद में विवाद के रूप में सबके सामने आ गया। बीजेपी ने सरकार के इस प्रयास को हिंदू विरोधी करार दिया। उन्होंने कहा कि राज्य के धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग के मंत्री पी.सी. शर्मा ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए माना कि राज्य के कई मंदिरों के पास हजारों एकड़ जमीन है, जिसका उपयोग नहीं हो रहा है. ऐसी जमीनों की नीलामी किए जाने पर विचार हो रहा है।
मालूम हो कि दिसंबर 2018 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने कमलनाथ को 20 मार्च 2020 को इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि उनके इस्तीफे का तात्कालिक कारण पार्टी की अंतर्कलह बताई गई, लेकिन प्रदेश की जनता महज 15 महीने के उनके कार्यकाल के दौरान हुए कई घोटालों से त्रस्त आ चुकी थी। महज 15 महीने में ही आधा दर्जन से अधिक घोटालों को अंजाम दिया गया। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष की मानें तो कमलनाथ मुख्यमंत्री पद को छोड़ते-छोड़ते मोबाइल घोटाले को अंजाम देते गए। इस घोटाले को तो उन्होंने अपने इस्तीफे 15 दिन पहले अंजाम दिया। घोटाला तो घोटाला कमलनाथ सरकार हिंदू विरोधी फैसले लेने के कारण प्रदेश में अलोकप्रिय हो गई थी। कमलनाथ सरकार के 15 महीने के दौरान प्रदेश में जो घोटाले हुए थे वो इस प्रकार है।
सिंचाई परियोजनाओ में 870 करोड़ का भुगतान घोटालाकमलनाथ सरकार के 15 महीने के दौरान छह सिंचाई परियोजनाओं में 870 करोड़ रुपये भुगतान कर घोटाले को अंजाम दिया गया। यह सिर्फ आरोप नहीं है बल्कि इसका संज्ञान लेते हुए आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो इस मामले की जांच भी कर रहा है। घोटाले को लेकर कमलनाथ सरकार की लोकप्रियता भी रसातल में पहुंच गई थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि जितने घोटाले इस सरकार के दौरान हुई उतने तो कांग्रेस की दूसरी सरकारों में भी नही हुए।
63 हजार करोड़ का मोबाइल घोटालाबीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के मुताबिक मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपनी सरकार के गिरने से ठीक 15 दिन पहले 63 हजार करोड़ के मोबाइल घोटाले को अंजाम दिया। खास बात ये कि पूर्व मंत्री इमरती देवी के मना करने के बावजूद यह घोटाला किया गया।
354 करोड़ का मोजर वेयर घोटाला
इस घोटाला मामले में तो प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए कमलनाथ के भांजे अतुल पुरी को 2019 में ही केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवंर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था। बैंक फ्रॉड केस में रतुल पुरी को गिरफ्तार किया गया। मालूम हो कि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर सीबीआई ने कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी के साथ ही उनके पिता दीपक पुरी और मां नीता पुरी के खिलाफ 354 करोड़ रुपये की ठगी और जालसाजी का केस दर्ज किया था।छिंदवाड़ा भाजपा के जिलाध्यक्ष विवेक साहू ने कमलनाथ सरकार पर एक सिंचाई परियोजना में 20 फरवरी 2020 से 15 मार्च 2020 के बीच 450 करोड़ रु. से ज्यादा का गलत भुगतान करने का आरोप लगाया है। उन्होंने वर्तमान सरकार से इस दौरान हुए भुगतान की जांच करने की मांग की है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ से पूछा है कि ‘छिंदवाड़ा परियोजना को लेकर अग्रिम 450 करोड़ रुपए आपकी सरकार रहते किसे दिए गए?
कमलनाथ सरकार के कार्यकाल के दौरान ही 131 करोड़ रुपये का जनसंपर्क घोटाला सामने आया। कहा जाता है कि इस मामले के तहत कमलनाथ सरकार ने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की पत्रकार रही पत्नी जिस मीडिया संस्थान में सहभागी बनी, उस मीडिया संस्थान को पैसे दिए।
मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने आरोप लगाया है कि कमलनाथ की सरकार ने आखिर के 6 महीने में जो फैसले लिए हैं, उसकी शिवराज सरकार जांच करवा रही है। उन्होंने कहा कि किसान कर्ज माफी में बड़ा घोटाला हुआ है। यह सदी का सबसे बड़ा घोटाला है। किसान कर्जमाफी को लेकर प्रदेश में 25 हाजर करोड़ रुपये के घोटाले सामने आए हैं।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पीसीसी चीफ कमलनाथ के कई चौराहों पर पोस्टर लगाए गए है। इसमें कमलनाथ को वांटेड और करप्शन नाथ बताया गया है। उन पर मुख्यमंत्री रहने के दौरान 1178 करोड़ रुपये के गेहूं बोनस घोटाला का आरोप लगाया गया है। कहा गया है कि कमलनाथ सरकार ने किसानों को गेहूं पर बोनस देने के नाम पर उनके हक का पैसा मार लिया। इतना ही नहीं भाजपा के प्रदेश अध्य ने कमलनाथ पर हिंदू विरोधी काम करने का भी आरोप लगाया है।
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