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छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ जवानों ने मंदिर का करवाया पुन:निर्माण |
सामने आई वीडियो में गाँव के बच्चों के साथ मिलकर सीआरपीएफ जवान मंदिर के पट को पानी से धो रहे हैं। इसके बाद वह अंदर रखी भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी की मूर्ति के आगे आरती भी करते हैं।
#WATCH | Sukma, Chhattisgarh: CRPF 74 Corps revived a Hindu Ram Temple and handed it over to the local villagers, which was closed down in 2003 due to Naxal terror. (08.04) pic.twitter.com/08jQmfaZux
— ANI (@ANI) April 8, 2024
इस संबंध में सीआरपीएफ की 74वीं कोर के कमांडेंट हिमांशु पांडेय ने बताया कि सुकमा के लाखापाल में बीते 14 मार्च को सीआरपीएफ ने अपना कैंप लगाया था। लाखापाल में ही केरलापेंडा गाँव आता है।
सीआरपीएफ ने देखा कि गाँव में एक मंदिर टूटी-फूटी हालत में है। गाँव वालों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि ये मंदिर ऐतिहासिक है और यहाँ साल में एक बार मेला भी लगता था। इसके बाद नक्सलियों ने यहाँ पूजा-पाठ बंद करा दिया।
#WATCH | Sukma, Chhattisgarh: CRPF 74 Corps Commandant Himanshu Pandey says, "On March 14, 2023, CRPF set up their camp in Lakhapal... In the Keralapenda village, we saw a temple which was in ruins. The villagers informed us that it was a historical temple and there also used to… https://t.co/cJaTe75s1r pic.twitter.com/Z6K7ryFwk8
— ANI (@ANI) April 8, 2024
Why would the Naxals stop prayers in Temple? their demands have nothing to do with religion Temple.Only reason is they must have taken money from missionaries to convert and stop Hindu practices.Same story in Jharkhand,Orissa,NE,other remote tribal areas. Rahul Vinci aiding them.
— Changez (Chinggis Temujin Taizu ) Khan(Parody) (@ChangezTaizu) April 8, 2024
मंदिर के कपाट दोबारा खोले जाने पर ग्रामीणों ने अपनी खुशी जाहिर की है। बताया गया कि 2003 में नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के सुकमा स्थित इस मंदिर को तोड़-फोड़ दिया था। ग्रामीणों को धमकी दी गई थी कि इस मंदिर में कोई पूजा नहीं करेगा। हालाँकि अब सीआरपीएफ के जवानों के कारण इस मंदिर में दोबारा से पूजा पाठ शुरू होगी, यह देख गाँव के लोग बहुत खुश हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1970 में राम मंदिर की स्थापना बिहारी महाराज द्वारा की गई थी। उस समय ग्रामीणों ने सिर पर सीमेंट, पत्थर, बजरी, सरिया लादा और सुकमा से लगभग 80 किलोमीटर दूर पैदल चलकर निर्माण सामग्री पहुँचाई थी। मंदिर का निर्माण हुआ तो रामभक्ति में पूरा क्षेत्र रम गया। धीरे-धीरे इलाके में मांसाहार, मदिरा का सेवन भी बंद हो गया।
बताया जाता है कि आज भी गाँव के 95 प्रतिशत लोग मांसाहार, मदिरापान का सेवन नहीं करते। ग्रामीणों ने बताया कि यहाँ कभी भव्य मेला भी लगता था। साधु-संन्यासी अयोध्या से आते थे, लेकिन नक्सल प्रकोप बढ़ने व नक्सलियों द्वारा पूजा-पाठ बंद करवा देने से मेला आयोजन बंद हो गया। नक्सलियों ने मंदिर को अपवित्र कर ताला लगा दिया।
— Vikram Singh (@Vi_kram92) April 9, 2024
मंदिर के कपाट दोबारा खुलने की खबर सोशल मीडिया पर देखने के बाद नेटिजन्स अपनी खुशी जाहिर कर रहे हैं। सीआरपीएफ के जवानों को आभार व्यक्त किया जा रहा है। लोग कह रहे हैं हमारी सेना और सीआरपीएफ देश और संस्कृति दोनों की रक्षा करती है।
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