सुभाष चन्द्र
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को जेल में रहकर पद से हटाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने 3 याचिका खारिज कर दी। कल तीसरी याचिका खारिज करते हुए acting Chief Justice मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने ये बातें कहीं।
-इसमें न्यायिक हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है;
-यह श्री केजरीवाल का विशेषाधिकार होगा कि वह मुख्यमंत्री बने रहें या इस्तीफा दे;
-क्या कभी ऐसा हुआ है कि कोर्ट ने राष्ट्रपति या राज्यपाल शासन लगाया हो;
-पहले की याचिका ख़ारिज करते हुए कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता यह साबित करने में विफल रहा है कि गिरफ्तार मुख्यमंत्री के मुख्यमंत्री बने रहने के लिए किसी कानून में मनाही है;
![]() |
लेखक |
-याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि हम कैसे कह सकते हैं कि सरकार काम नहीं कर रही है;
-LG या राष्ट्रपति फैसला लेने में सक्षम हैं. उन्हें हमारी सलाह की जरूरत नहीं है. वो कानून के मुताबिक काम करेंगे;
उपराज्यपाल अगर सक्षम है तो फिर उनके फैसले के खिलाफ आप सुनवाई नहीं करेंगे यह भी आदेश किया जाना चाहिए था। उनने फैसले को तो एक के बाद कोर्ट उधेड़ कर रख देगा। क्योंकि हाई कोर्ट की पीठ ने यह भी साफ़ कह दिया है कि किसी कानून में गिरफ्तार मुख्यमंत्री को मुख्यमंत्री बने रहने की कोई मनाही है।
उपराज्यपाल द्वारा केजरीवाल को हटाते ही आप ही सबसे पहले उसके खिलाफ याचिका सुनेंगे और उपराज्यपाल से पूछेंगे किस कानून में आपने उस सरकार को बर्खास्त किया जिसके पास विधानसभा में 3/4 से ज्यादा बहुमत है और उपराज्यपाल के फैसले को निरस्त भी कर देंगे।
हाई कोर्ट इसमें कार्रवाई कर सकता था मगर लगता है इसे उन्होंने राजनीतिक मामला समझ कर दखल नहीं दी कि भाजपा को भुगतने दो केजरीवाल को बर्खास्त करने के मामले को।
यदि आज तक कभी किसी अदालत ने सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति या राज्यपाल शासन नहीं लगाया है तो ऐसा कभी नहीं हो सकता, यह भी जरूरी नहीं है। अदालतों ने कितनी ही बार केंद्र सरकार द्वारा लगाए राष्ट्रपति शासन को गैर कानूनी बता कर बर्खास्त कई सरकारें बहाल की है तो केजरीवाल की सरकार को हटा भी सकते हैं।
कानून की व्याख्या तो हर केस में होती है जैसे PLMA पर रोज व्याख्या हो रही है। कुछ दिन पहले ही संसद में रिश्वत लेने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कानून की ही नई व्याख्या करते हुए सांसदों की संविधान के article 105 और 194 में Immunity ख़त्म कर दी और इस तरह संविधान के मूल स्वरुप को ही बदल दिया।
सरकारी कर्मचारियों की तरह मंत्रियों के लिए सरकारी ख़ज़ाने से सैलरी वाले Public servant के तौर पर गिरफ़्तारी के बाद दिशा निर्देश होने चाहिएं। कोर्ट CM बने रहने को केजरीवाल के विवेक पर छोड़ कर उसकी सरकार को “वैध” कहने की कोशिश कर रहा है जबकि कानून की विवेचना कर उसे हटा सकते हैं।
कोर्ट यह कह कर कि हम कैसे कह सकते हैं सरकार काम नहीं कर रही, क्या केजरीवाल की जेल से सरकार चलाने को सही बता रहा है। वैसे कोर्ट अनेक मामलों में सरकार को सवाल करते ही रहते हैं आपने काम नहीं किया जैसे मणिपुर में साफ़ कहा था CJI ने कि अगर सरकार कुछ नहीं करेगी तो हम करेंगे।
इंदिरा गांधी को कोर्ट ने Disqualify कर दिया और 6 साल के चुनाव लड़ने के अयोग्य कर दिया, वो फिर भी प्रधानमंत्री बनी रही।
No comments:
Post a Comment