केजरीवाल पर जिस तरह मेहरबान हो रहे हैं जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता, उसे देख कर लगता है कि जैसे केजरीवाल राजनेता होने के साथ साथ सुप्रीम कोर्ट का दामाद भी हो गया है। सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें उसकी गिरफ़्तारी को गैर कानूनी बताने वाली याचिका ख़ारिज कर दी थी। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के पास मुद्दा केवल इतना था कि क्या उसकी ED द्वारा की गई गिरफ़्तारी वैध है या नहीं और उसने जमानत मांगी ही नहीं। यह बात उसके वकील सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में कही भी थी जब जस्टिस खन्ना ने पूछा था कि आपने जमानत के लिए अर्जी क्यों नहीं दी, सिंघवी ने कहा था हम पहले गिरफ़्तारी की वैधता पर निर्णय चाहते हैं।
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लेखक चर्चित यूटूबर |
लेकिन यहां तो सुप्रीम कोर्ट के जज ही मेहरबान हो गए केजरीवाल पर और असल मुद्दे को छोड़ कर उसे चुनावों के लिए “अंतरिम जमानत” देने के लिए उतावले हो गए। कल(मई 7) जस्टिस खन्ना ने केजरीवाल के CM बने रहने को भी हरी झंडी दे दी लेकिन उसे अंतरिम जमानत देने पर बहस में उलझे रहे जिसका ASG राजू और Solicitor General तुषार मेहता ने पुरजोर विरोध किया, उन्होंने यहां तक पूछा कि “हम कैसे Examples पेश कर रहे हैं अदालत में, क्या अन्य लोगों और CM के लिए अलग अलग कानून हैं”।
कल फिर मीलॉर्ड ने अपना पुराना सवाल पूछा ED से कि चुनाव के समय गिरफ़्तारी क्यों की गई, मुझे न जाने क्यों लगता है जनाब ने दिमाग की बत्ती बुझा ही दी है। आप यह क्यों नहीं सोचते कि उसने ही चुनावों में ही summons को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए गिरफ़्तारी पर से रोक हटाने के लिए क्यों मांग की। जब वह चुनावों में हाई कोर्ट गया और कोर्ट ठीक समझता कि चुनाव में गिरफ़्तारी ठीक नहीं है कोर्ट उसकी गिरफ़्तारी पर रोक लगा देता। लेकिन कोर्ट ने ऐसा नहीं किया मतलब कोर्ट ने चुनाव में गिरफ़्तारी गलत मानी गई। फिर आप इतने बेचैन क्यों हैं?
जस्टिस खन्ना ने कहा - वो चुने हुए CM हैं। चुनाव चल रहे हैं और ये extraordinary circumstances हैं।
He is not habitual offender, these factors may be considered for granting interim bail.
जानते हैं न Habitual Offender कौन होता है। वो होता है लालू यादव जैसा सजायाफ्ता मुजरिम, जिसे 5 केस में साढ़े 32 साल की सजा हो चुकी है लेकिन आपने तो उसे भी जमानत पर छोड़ रखा है।
जस्टिस खन्ना को चिंता है कि लोग सोशल मीडिया पर उनके (कोर्ट) बारे में बात करते है उन्होंने कहा “हम नहीं चाहते लोग murmur करे और comments करें। तुषार मेहता ने कहा कि आप इसे रोक नहीं सकते।
लोग तो बात करेंगे ही मीलॉर्ड जब आपको केजरीवाल के पक्ष में खड़े हुए देख रहे हैं। लोग कह सकते हैं कि करोड़ो के हेरफेर में केजरीवाल ने कोर्ट में भी “पैसे का जादू कर दिया”। लोग पूछेंगे आपसे कि ऐसी क्या डील हुई है जो आप सारे नियम कायदे तोड़ कर उसे जेल से बाहर लाना चाहते हैं? मीलॉर्ड में केजरीवाल से यह भी कहने की हिम्मत नहीं कि गिरफ्तार होने पर इस्तीफा क्यों नहीं दिया? अपने electronic devices का पासवर्ड क्यों नहीं बता रहे? कहते हैं दाल में कुछ काला है, लेकिन यहाँ सारी ही दाल काली दिख रही है।
आपका कहना है बेल पर वो official काम नहीं करेगा। तो फिर कहिए वो सरकारी आवास में भी नहीं रहेगा, सरकारी गाड़ी सरकार से सुरक्षा भी नहीं लेगा। वो तो पहले ही बिना विभाग का CM है वो क्या sign करता है कहीं पर। केजरीवाल और उसके मंत्रियों के पास 3000 से ज्यादा files लंबित हैं।
कहते हैं “JUSTICE DELAYED IS JUSTICE DENIED” जो सुप्रीम कोर्ट में अक्सर होता है लेकिन यहां हो रहा है “JUSTICE HURRIED IS JUSTICE KILLED”
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