चरण सिंह, चंद्रशेखर, देव गौड़ा और इंद्रकुमार गुजराल सभी की “गठबंधन” सरकारें कांग्रेस पर निर्भरता के कारण “लुंज पुंज” थीं जो कांग्रेस ने गिरा दी अपने अहम के लिए। कांग्रेस ने जिसको चढ़ाया गद्दी पर उसकी टांग खींच ली।
मोदी 3.0 भी “गठबंधन सरकार है लेकिन किसी एक के भरोसे नहीं है। घटक दलों में सबसे ज्यादा सदस्य TDP के हैं 16 और उसके बाद जदयू के 12 हैं। जबकि इंडी “ठगबंधन” के पास TMC के 29 छोड़ कर 204 ही हैं। इनमे भी कांग्रेस के सबसे ज्यादा 99 हैं, फिर सपा के 37 हैं और DMK के 22 हैं। इनके साथ जितने मर्जी जोड़ दो, इनका गठबंधन “लुंज पुंज” ही रहेगा जो कोई सरकार नहीं बना सकता।
अब NDA के घटकों को एक बाद समझ कर चलनी होगी खासकर नीतीश और चंद्रबाबू नायडू को कि यदि आप दोनों दल अपने अपने राज्य में अपनी अपनी पार्टी का कार्यक्रम लागू करना चाहेंगे तो आपको भी भाजपा के हर कार्यक्रम को केंद्र में पूरा करने में सहयोग देना होगा और उसके लिए अपना “सेकुलर चरित्र” भूलना होगा। नीतीश की पार्टी अग्निपथ योजना को ख़त्म करने के लिए कैसे जोर दे सकती है जिसे चलते हुए 3 वर्ष हो चुके हैं। जदयू के कई कार्यक्रम बिहार में चल रहे होंगे जो भाजपा को पसंद नहीं होंगे, ऐसा नहीं भूलना चाहिए
![]() |
लेखक चर्चित YouTuber |
एक ही समुदाय के लिए कोई भी योजना अमल में नहीं लाई जानी चाहिए और अगर इस तरह घटक दल केवल मुसलमानों के फायदे के लिए योजना बनाएगा तो कल को मोदी और भाजपा ने केवल हिंदुओं के लिए कोई योजना लागू कर दी तो छातियां पीटने की जरूरत नहीं है। हज सब्सिडी को सुप्रीम कोर्ट ख़त्म कर चुका है, तो इसे फिर चालू करके TDP क्या सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ जाना चाहती है। 50 वर्ष से अधिक के केवल मुसलमानों को पेंशन क्यों, वह सभी को मिलनी चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी पूरे चुनाव अभियान में कहते रहे हैं कि वह किसी हालत में मुसलमानों के लिए आरक्षण लागू नहीं होने देंगे क्योंकि यह संविधान के विरुद्ध है और नायडू का सुपुत्र उस आरक्षण को लागू करना चाहता है सामाजिक न्याय के नाम पर। नारा लोकेश ने यह कैसे कहा कि 20 साल से मुस्लिम आरक्षण आंध्र प्रदेश में चल रहा है जबकि सच यह है कि -
-25 अक्टूबर, 2005 को आंध्र प्रदेश सरकार ने मुस्लिमों के लिए 5% आरक्षण दिया था; लेकिन
-8 नवंबर, 2005 को आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने उस आरक्षण को संविधान के विरुद्ध घोषित कर उसे रद्द कर दिया;
-आंध्र प्रदेश सरकार ने 14 दिसंबर, 2005 को सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर की;
-4 जनवरी, 2006 को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर limited interim stay लगा कर मामला संविधान पीठ को भेज दिया;
-25 मार्च, 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने backward members of Muslim community के लिए 4% आरक्षण की मंजूरी दे दी (केवल backward के लिए सभी मुस्लिमों के लिए नहीं);
-वर्ष 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान पीठ गठित कर दी पर कोई सुनवाई नहीं की अभी तक -यानी 2005 का मामला 19 साल से लटक रहा है।
घटक दलों को दिमाग में पलने वाले सेकुलर कीड़े को काबू में रखना होगा।
No comments:
Post a Comment