राहुल ने जिन अज्ञानी सलाहकारों के कहने पर वीणा के तारों को जो छेड़ा है या ढोल पीटा है, उसका शोर ही अब कांग्रेस को खाने जा रहा है। काश! अपने दादा फ़िरोज़ जहांगीर खान की मजार पर जाकर सजदा कर, उनसे अक्ल मांगी होती, कांग्रेस की इतनी दुर्गति नहीं होती। कहते हैं कि फ़िरोज़ ऐसा सांसद थे, जिनके संसद में खड़े होने पर ससुर जवाहर लाल नेहरू के पसीने आने लगते थे। एक उन्ही फ़िरोज़ का पोता राहुल है जो अपने ही दादा का नाम डूबो रहा है।
राहुल गांधी और अखिलेश यादव बहुत रोना रो रहे थे लोकसभा में दलित/आदिवासी/OBC का लेकिन उन्हें पता नहीं है कि इंदिरा गांधी से लेकर कांग्रेस तक के दूसरे कार्यकाल, 1980 से 2014 तक कांग्रेस ने एक भी जज सुप्रीम कोर्ट में दलित नियुक्त नहीं किया। कौन कौन दलित जज बने और कब कब बने, यह देखिए -
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लेखक चर्चित YouTuber |
-इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट में दूसरे दलित जज बने Justice K. G. Balakrishnan 8 जून, 2000 को जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे; ये 2007 में चीफ जस्टिस बने जिसमें कांग्रेस का कोई योगदान नहीं था क्योंकि उन्हें वरीयता से बनना ही था;
-फिर 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 2 और दलित सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किए, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सी टी कुमार।
इसका मतलब है 1980 से लेकर 2014 तक 34 साल में कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में दलितों को कोई “हिस्सेदारी” नहीं दी और आज ढोल पीट रहे हैं दलितों/आदिवासी/OBC की सरकार में क्या हिस्सेदारी है?
राहुल गांधी यह भी याद रखे कि मोदी ने जस्टिस गवई को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाया जबकि वो कांग्रेस परिवार से आते थे और उन्होंने ही ऊलजलूल तर्क देकर राहुल की सजा पर रोक लगाई थी जिससे उसकी सांसदी बची।
अब समझते हैं कि SC/ST/OBC को लेकर राहुल गांधी क्यों इतना पगलाया हुआ है? 17th लोकसभा में SC के 84 सांसदों में कांग्रेस के मात्र 5 थे और ST के 47 सांसदों में मात्र 4 थे और भाजपा के 46 SC और ST थे 31; अब 18th लोकसभा में कांग्रेस के हो गए 21 SC और ST हो गए 7 जबकि भाजपा के घट कर 29 SC रह गए और ST रह गए 26।
बस यही कारण है राहुल गांधी का दिमाग ख़राब होने का। SC/ST को भरमाया कि मोदी उनका आरक्षण ख़त्म कर देगा जबकि उन्हें मोदी ने हर सुविधा दी अब वो मांग रहे हैं राहुल से एक लाख रुपया दो तो उन्हें वो दे रहा है “बाबा जी का ठुल्लू”। SC/ST को अब समझ आ रहा होगा कि उनका नेता तो फर्जी निकला जो संसद में अपनी जाति ही नहीं बता सकता और वो इसलिए कि उसकी कोई जाति है ही नहीं, वो तो बस हमें जातिवाद में उलझा कर रखना चाहता है। राहुल गांधी/अखिलेश यादव, ये मूर्ख बनाने का खेल हमेशा नहीं चलता।
आज ये राहुल/अखिलेश, पुरुष लैला/मजनू की जोड़ी अयोध्या में समाजवादी पार्टी के कथित नेता मोईद खान और उसके साथी राजू खान द्वारा एक OBC नाबालिग लड़की के बलात्कार पर मुंह में सीमेंट भर कर बैठे है। क्या ये है किसी दलित बेटी की हिस्सेदारी समाज में और मुसलमानों की हिस्सेदारी हिंदू बेटियों की आबरू लूटने में?
आदिवासी भी उसकी बातों में आ कर भूल गए कि देश में पहली बार राष्ट्रपति बनने वाली आदिवासी द्रौपदी मुर्मू का कांग्रेस ने कैसा मजाक उड़ाया था और अपमान किया था जबकि वह अपमान हर आदिवासी का था।
कांग्रेस ने केवल एक दलित राष्ट्रपति बनाया लेकिन 3 मुसलमान बनाए जबकि भाजपा ने एक मुस्लिम राष्ट्रपति दिया, एक दलित दिया और एक आदिवासी लेकिन कांग्रेस ने इन तीनों का विरोध किया। राहु-केतु ये है कांग्रेस का दोगलापन।
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