चंद्रचूड़ ने लगता है देश में जगह जगह पाकिस्तान बनाने की सुपारी ले ली है; और गारंटी दे रहे हैं मुसलमानों को कुछ नहीं कहा जाएगा; लेकिन जनाब आप फिर भी “काफिर” ही रहोगे; हिंदुओं का अल्पसंख्यक होना भी मंजूर है

सुभाष चन्द्र

मैंने अपने 21 सितंबर के लेख में कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस श्रीशानंद के मैसूर के एक इलाके को पाकिस्तान कह देने पर सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम जजों के स्वतः संज्ञान पर विवेचना करते हुए बताया था कि केरल और कर्नाटक में कौन कौन से जिले मुस्लिम बहुल होने की वजह से पाकिस्तान से लगते हैं और बंगाल का तो कहना ही क्या है। जस्टिस श्रीशानंद को माफ़ी मांगनी पड़ी थी

अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा - “कोई भी भारत के किसी भी हिस्से को पाकिस्तान नहीं कह सकता” यह मूल रूप से राष्ट्र की क्षेत्रीय अखंडता के विरुद्ध है, सूर्य के प्रकाश का उत्तर अधिक सूर्य का प्रकाश है, न कि न्यायलय में जो हो रहा है, उसे दबाना चंद्रचूड़ की बेंच ने जस्टिस श्रीशानंद के खिलाफ कार्रवाई को बंद करते हुए कहा कि “यह फैसला न्याय के हित में और न्यायपालिका की गरिमा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है”

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एक तरफ कई बार तो सुप्रीम कोर्ट के जजों द्वारा कहा गया है कि हमें सोशल मीडिया में हो रही आलोचना से कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन दूसरी तरफ चंद्रचूड़ की बेंच ने सोशल मीडिया की ताकत को स्वीकार करते हुए कहा कि -

“जब सोशल मीडिया कोर्ट रूम में होने वाली कार्यवाही को मॉनीटर करने में अहम भूमिका निभाता है तो यह सुनिश्चित करने की तत्काल जरूरत है कि न्यायिक टिप्पणी कानून की अदालतों में अपेक्षित शिष्टाचार के अनुरूप हों” जस्टिस श्रीशानंद का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था 

मतलब सुप्रीम कोर्ट मान रहा है कि सोशल मीडिया की आज के समय में अहम भूमिका है तो फिर इस बात को क्यों नहीं मानते कि सोशल मीडिया ने जस्टिस श्रीशानंद का भरपूर  समर्थन किया था लेकिन आप अपनी आंखें नहीं खोलना चाहते 

आप चाहते हैं पाकिस्तान तो बने हर राज्य के क्षेत्र में लेकिन उन्हें पाकिस्तान कहा न जाए उन्हें पाकिस्तान कहना  मूल रूप से राष्ट्र की क्षेत्रीय अखंडता के विरुद्ध नहीं है बल्कि ऐसे पाकिस्तान का निर्माण करना अलग अलग क्षेत्र में देश की अखंडता को चुनौती है 

गांधी नेहरू ने आज़ादी के दिन से कोशिश की थी दूसरा  पाकिस्तान बनाने के लिए और चंद्रचूड़ & कंपनी उस सपने को पूरा करने में लगी है क्या कोई इलाज है उनके पास ऐसे पाकिस्तान बनाने वालो का जहां हिंदुओं को क़त्ल की धमकी दी जाती हो?

आप कितने ही मुस्लिम परस्त क्यों न हो जाएं, उनके लिए आप “काफिर” ही रहेंगे, यह नहीं भूलना चाहिए

एक और केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने धर्मान्तरण के एक आरोपी को जमानत न देते हुए कहा - “यदि ऐसे ही धर्मान्तरण चलता रहा तो एक दिन बहुसंख्यक अल्पसंख्यक हो जाएंगे” 

उन्होंने कहा कि Article 25 of the Constitution of India provides for “freedom of conscience and free profession, practice, and propagation of religion” but does not provide for conversion from one faith to another faith.

इसमें क्या गलत कह दिया जस्टिस अग्रवाल ने लेकिन CJI चंद्रचूड़ ने और जस्टिस मनोज मिश्रा ने उस आरोपी को जमानत तो दी ही, साथ में जस्टिस अग्रवाल की टिप्पणीयों को गैर जरूरी मानते हुए कोर्ट की कार्यवाही से हटा दिया (expunge) और कहा -

"Such general remarks should not be used in any other case,"

चंद्रचूड़ सच्चाई को समझने की जानबूझकर कोशिश नहीं कर रहे जबकी पता है 8 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके है और कई राज्यों के अनेक जिलों में अल्पसंख्यक बन चुके हैं सुप्रीम कोर्ट यदि ऐसा आचरण दिखाएगा तो देश कैसे कुछ उम्मीद रख सकता है आपसे

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