इज़रायल को धोखा दे दिया क्या अमेरिका ने? इज़रायल की ईरान पर होने वाली कार्रवाई लीक कर अमेरिका ने अपने मित्र पर अपराध किया?

सुभाष चन्द्र

दरअसल अमेरिका पर विश्वास करना ही मूर्खता है। कभी इसने किसी का साथ नहीं दिया हमेशा धोखे में रख अपने हथियार बेच व्यापार करना ही इसका मकसद है। 1965 और 1971 की इंडो-पाक युद्ध में क्या हुआ किसी से नहीं छिपा। Iron Lady के नाम से चर्चित तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी तक अमेरिका की धमकी में आ गयी। लेकिन कुछ नहीं बोल पायी, उसका कारण है लाल बहादुर शास्त्री की ताशकंत में रहस्यमयी मृत्यु, जिसकी जानकारी रूस को मालूम होने के साथ-साथ अमेरिका को भी थी। इस बात की पुष्टि इस वजह से नहीं हो पायी क्योकि तत्कालीन भारत सरकार ने कभी जाँच करने का साहस नहीं किया। जिस कारण ऊँगली तत्कालीन भारत सरकार पर भी उठती हैं।      

अपने 6 अक्टूबर के लेख में मैंने लिखा था “ईरान ने भले ही Ismail Haniyeh और Hassan Nasrallah की मौत का बदला लेने के लिए इज़रायल पर मिसाइलों से हमला किया लेकिन इज़रायल ईरान के खिलाफ अभी तुरंत कोई कार्रवाई नहीं करेगा, ऐसा मेरा अनुमान है। इज़रायल की तुरंत कार्रवाई न करना भी एक रणनीति है क्योंकि अभी इज़रायल का फोकस हिज़्बुल्ला को पूरी तरह साफ़ करने और लेबनान के मुख्य इलाकों को गाज़ा में बदल कर और सीरिया को तहस नहस करके, ईरान की कमर तोड़ने में है जिससे ईरान लेबनान और सीरिया के किसी हिस्से से इज़रायल पर हमला न कर सके”

लेखक 
चर्चित YouTuber 
मेरा अनुमान गलत नहीं था और अब इज़रायल एक अक्टूबर को ईरान के हमले का जवाब देने के लिए तैयार था लेकिन 16th अक्टूबर को पेंटागन से इज़रायल की योजना को लीक कर दिया गया पेंटागन के दस्तावेज़ का लीक होना कोई छोटी बात नहीं है वह भी इतनी संवेदनशील मामले के यह कोई लापरवाही नहीं हो सकती बल्कि एक सोची समझी साजिश के तहत किया गया दुष्कर्म है

दस्तावेज़ पर Top Secret लिखा था और ऐसा कुछ अंकित था जिसका मतलब था इसे केवल “Five Eyes” allies ही देख सकते हैं (ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, नूज़ीलैण्ड एंड ब्रिटेन”। इनमें इज़रायल के संभावित हमले की जानकारी दी गई थी FBI ने कुछ भी कहने से मना कर दिया और एक US Official ने कहा “लीक गहरी चिंता का विषय है और जांच हो रही है कि ये डॉक्यूमेंट की पहुँच किस किस को थी

ऐसा तो संभव नहीं है कि इतने गोपनीय दस्तावेज़ों तक बहुत लोगों की पहुंच हो, गिने चुने लोग ही होंगे और उनकी जांच करना कि किसने लीक किया कोई बहुत बड़ी बात नहीं है पन्नू की कथित हत्या के सुराग तो अमेरिका के पास कथित तौर पर इतने पुख्ता थे कि एक बार तो भारत को कटघरे में खड़ा करने में भी देर नहीं की

जिसने भी दस्तावेज़ लीक किए उसने इज़रायल को नुकसान पहुंचाने और ईरान की मदद करने की मंशा से किए वह व्यक्ति इज़रायल विरोधी और हमास, हिज़्बुल्ला और ईरान समर्थक भी हो सकता है और जो अमेरिकी प्रशासन में बैठ कर अमेरिकी प्रशासन की ही जड़ें खोद रहा है

ऐसा भी हो सकता है अमेरिका नहीं चाहता था कि उसके 5 नवंबर के चुनाव से पहले ईरान पर हमला हो, परमाणु ठिकानों पर हमला करने से तो पहले ही बाइडन मना कर रहे हैं। इसलिए ही शायद जानबूझ कर दस्तावेज़ लीक किए गए जो इज़रायल को धोखा देने वाली बात है

आज खबर है कि ईरान ने UNO को पत्र लिखकर आशंका जताई है कि इज़रायल उस पर हमला करेगा और अमेरिका उसे उकसा रहा है और UNO को इस हमले को रोकने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए लेकिन खामनेई ने इज़रायल पर 200 मिसाइलों से हमला करने से पहले तो ऐसी बात नहीं सोची मगर आज Victim (पीड़ित) बनकर खड़ा हो गया जबकि रूस और चीन से भरपूर मदद मिल गई है

अमेरिका पर भारत तो क्या इज़रायल को भी सोच समझ कर भरोसा करना चाहिए

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